अपनी जान की परवाह किए बगैर, परिजनों का मोह छोड़, भारतीय सेना के तीनों अंगों के
जांबाज सैनिक देश की रक्षा की खातिर अपने प्राणों को न्यौछावर कर देते हैं। सिर्फ सीमा पर
ही नहीं, देश की आंतरिक सुरक्षा और प्राकृतिक आपदा के समय भी देश के नागरिकों की
हिफाजत में सैनिक सदैव तत्पर रहते हैं। युद्ध व आपात स्थिति में देश रक्षा में शहीद होने
वाले सैनिक अपने पीछे एक ऐसा परिवार छोड़ जाते हैं जिसे मानसिक सहारे के साथ-साथ
आर्थिक सपोर्ट की भी जरूरत होती है। युद्ध में कई सैनिक इतने हताहत होते हैं कि वे खुद
परिजनों पर आश्रित हो जाते हैं ऐसे सभी परिवारों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार
द्वारा लिया गया एक विशेष निर्णय था Armed Forces Flag Day।
इस दिन सेना के जाबांजों का आभाव प्रकट करते हुए उनके कल्याण में अपना योगदान देना
हर भारतवासी के लिए सौभाग्य की बात है, क्योंकि 7 दिसंबर की तारीख भारतीय सेना के
लिए काफी खास होती है, इस दिन को देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए
निर्धारित किया गया है, इसीलिए हर साल 7 दिसंबर को तीनों सेनाओं, जल, थल वायु सेना
के सम्मान में Armed Forces Flag Day यानि सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया
जाता है।
आजादी के बाद सरकार ने इस विषय पर विचार किया कि देश की सुरक्षा में तैनात जाबांजों
के परिजनों औऱ आश्रितों का ख्याल रखने की जरूरत है, इसी को ध्यान में रखते हुए 7
दिसंबर को सेना के सम्मान के लिए चुना गया। भारतीय सेना साल 1949 से इस दिन को
मनाती आ रही है। पहले इस दिन को झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन साल
1993 में इस दिन को नाम दिया गया सशस्त्र सेना झंडा दिवस।
इस दिन एक खास कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसके तहत देश की सुरक्षा में शहीद हुए
सैनिकों के परिवारों के कल्याण के लिए एक विशेष तरीके से धनराशि इकट्ठी की जाती है।
भारतीय सेना के झंडे के स्टीकर का मूल्य निर्धारित किया जाता है, इस स्टीकर को खरीदकर
देशवासी शहीदों और घायल हुए सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं, इससे जो भी फंड
इकट्ठा होता है उसे झंडा दिवस कोष में जमा किया जाता है। झंडा कोष में जमा ये राशि
सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से शहीदों और घालय सैनिकों के परिवारों के कल्याण के
लिए खर्च की जाती है।
देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सैनिकों के सम्मान में देश के हर
नागरिक को इस दिन के महत्व को सार्थक बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। जिस
ध्वज की रक्षा के लिए सेना के जांबाज सदा तत्पर रहते हैं, उसी ध्वज के स्टीकर को अपने
सीने पर सजाकर, 7 दिसंबर को हर भारतवासी सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाए, सेना के
जांबाजों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करें औऱ स्वैच्छिक अंशदान कर अपना योगदान दे।