पंजाब में विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में ही होने तय हैं, यानी कि अब बस कुछ ही महीने बचे हैं लेकिन पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़े ने चुनाव से पहले पंजाब में कांग्रेस की जड़े हिलानी शुरु कर दी है। जाहिर सी बात है, हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की किरकिरी के बाद पंजाब को लेकर कांग्रेस को चिंतित होना चाहिए लेकिन दोनों नेताओं के बीच का टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।
नवजोत सिद्धू ने रविवार को 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और पुलिस फायरिंग में दो लोगों के मारे जाने को लेकर अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा। सिद्धू ने मामले में न्याय सुनिश्चित करने में मुख्यमंत्री की कथित विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा, “उचित को जान के उस पर अमल ना करना कायरता का आभास है।”
उचित को जान के उस पर अमल ना करना कायरता का आभास है।
To know what is Right and Not to do it is the worst Cowardice !! 2/2 pic.twitter.com/hKV8Qca9T3
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) May 15, 2021
कैप्टन और सिद्धू के बीच लंबे समय से चल रही लड़ाई को लेकर पार्टी हाईकमान चुप है। या फिर यूं कह लें कि दोनों ही किसी की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। सिद्धू पंजाब के उप मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं लेकिन कैप्टन उन्हें मंत्री पद से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं।
सिद्धू जहां कैप्टन को निशाना साधने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं, वहीं सिद्धू के करीबियों की विजिलेंस फाइलें खोलकर पार्टी कुछ और इशारा कर रही है।
दिलचस्प तो यह है कि पार्टी के भीतर चल रहे इस घमासान को लेकर हाईकमान ने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान नहीं लिया है। पार्टी महासचिव हरीश रावत ने भी इस मामले पर सुध लेने की कोशिश नहीं की।