कभी भारतीय आसमान का महाराजा रहे एयर इंडिया की घर वापसी की खबरें जोर पर हैं। शुक्रवार सुबह से ही यह खबर प्रसारित हो रही थी कि कर्ज के बोझ तले दबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के नीलामी की प्रक्रिया टाटा समूह ने जीत ली है। हालांकि, बाद में सरकार की ओर से इस पर स्पष्टीकरण आ गया। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM), वित्त मंत्रालय, के सचिव ने जानकारी दी कि मीडिया में आ रही खबरें गलत हैं। सरकार की ओर से यह कहा गया कि निर्णय लिए जाने पर मीडिया को सूचित किया जाएगा।
लेकिन अगर यह खबर सच हो जाती है, जिसके कयास भी लगाए जा रहे हैं कि अब सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया टाटा ग्रुप का हो जाएगा तो आप यह समझ लीजिए कि 68 साल बाद एयर इंडिया टाटा समूह के पास वापस आएगा। चलिए आज आपको रुबरु करवाते हैं एयर इंडिया की दिलचस्प कहानी से।
कहानी ‘महाराजा’ की
एयर इंडिया की स्थापना 1932 में टाटा एयर सर्विसेज के तौर पर हुई थी, जिसका नाम बाद में बदलकर टाटा एयरलाइंस कर दिया गया था और इसके जनक थे जेआरडी टाटा (JRD TATA)। जे आरडी टाटा एक बेहतरीन पायलट थे, उन्हे हवाई जहाज उड़ाने का शौक था। 10 फरवरी 1929 को भारत के पहले पायलट के रूप में उन्हें लाइसेंस मिला था। उनका सपना था भारत को आकाश की बुलंदी तक पहुंचाना।
88 साल पहले, 15 अक्टूबर 1932 के दिन, देश की पहली विमान सेवा शुरू हुई थी। जेआरडी टाटा और पूर्व रॉयल फोर्स के पायलट नेविल विंसेंट (Nevill Vintcent) ने मिलकर टाटा सन्स लिमिटेड के तले ये विमान सेवा शुरू की थी। ये कंपनी केवल दो छोटे जहाजों के साथ शुरू की गई थी। कंपनी में जेआरडी टाटा और विंसेंट के अलावा एक पायलट और थे होमी भरूचा (Homi Bharucha)। भरूचा ब्रिटिश रॉयल फोर्स में पायलट रह चुके थे। साथ ही इससे तीन मैकेनिक जुड़े हुए थे।
यहां से शुरु हुआ शानदार सफर लंबे समय तक भारत के आकाश में छाया रहा। इस विमान सेवा की पहली उडान 15 अक्टूबर 1932 को हुई। टाटा की पहली उड़ान कराची से बॉम्बे की थी। यह एक एयर मेल ले जाने वाला विमान था। मुंबई के बाद वो विंसेंट जहाज उड़ा कर मद्रास तक ले गए।
शुरुआत में, कंपनी ने साप्ताहिक एयर मेल सर्विस का संचालन किया, जो कराची और मद्रास के बीच और अहमदाबाद और बॉम्बे के बीच थी। इस एयरलाइन ने अपने पहले साल में 2,60,000 किलोमीटर की उड़ान भरी। पहले साल में 155 मुसाफिरों ने सफर किया और 9.72 टन मेल और 60,000 रुपये का मुनाफा कमाया। अपनी पहली घरेलू उड़ान की शुरुआत टाटा एयरलाइंस ने छह सीटों वाली Miles Merlin के साथ बॉम्बे से त्रिवंद्रम के बीच की थी। 1938 में, इस सेवा में कोलंबो और दिल्ली भी शामिल हो गये। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एयरलाइन ने रॉयल एयर फोर्स की की सेना की आवाजाही, सप्लाई ले जाने, शरणार्थियों को बचाने और एयरक्राफ्ट के रखरखव में मदद की।
आजादी के बाद भारत सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया था। हालांकि इसे एयर इंडिया नाम पहले ही मिल चुका था। 8 मार्च 1947 को जेआरडी द्वारा स्थापित की गई एयर इंडिया (Air India) एक संयुक्त प्रक्षेत्र की कंपनी बन गई। 1 अगस्त 1953 में, भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट को पास किया, और टाटा संस से एयरलाइन में मालिकाना हक खरीद कर इसका राष्ट्रीयकरण किया। जेआरडी टाटा एयर इंडिया के चेयरमैन बनाए गए। वे 1977 तक चेयरमैन के तौर पर बने रहे। टाटा एयरलाइंस के राष्ट्रीयकरण के बाद भी जेआरडी की धड़कन थी एयर इंडिया। उनका इंटरेस्ट इस विमानन कंपनी में बना रहा।
जेआरडी टाटा के चेयरमैन रहते 21 फरवरी 1960 को, एयर इंडिया इंटरनेशनल ने अपने पहले बोइंग 707-420 को बेड़े में शामिल किया। 14 मई 1960 को एयर इंडिया की न्यू यॉर्क तक सेवाएं शुरू हुई। 8 जून 1962 को एयरलाइन का नाम एयर इंडिया कर दिया गया। 11 जून 1962 को एयर इंडिया दुनिया की पहली ऑल जेट एयरलाइन बन गई।
धीरे धीरे भारतीय आसमान के इस महाराज को भ्रष्टाचार ने खोखला करना शुरु कर दिया। भारी कर्ज और भ्रष्टाचार के दीमक ने एयर इंडिया को कमजोर बना दिया। साल 2000 में, एयर इंडिया ने शांघाई, चीन को सेवाओं की शुरुआत की। 23 मई 2001 को नगर विमानन मंत्रालय ने उस समय कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर Michael Mascarenhas पर भ्रष्टाचार का चार्ज लगाया। साल 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय कर दिया गया।
लंबे समय से एयर इंडिया को बेचने की कवायद चलने के बाद 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने इसके निजीकरण को मंजूरी दे दी। मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार 52,000 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही एयर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप सरकार से बात कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो एयर इंडिया वापस वहीं चली जाएगी जहां उसका जन्म हुआ था।