1- भूमि की घटती उर्वरता और बढ़ते अनउपजाउपन का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र ही अहम मीटिंग में सुनाई दिया। सोमवार रात यूनाइटेड नेशन की बैठक में वर्चुअली जुड़े प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाई लेवल मीटिंग में अपने संबोधन में कहा कि भारत ने भूमि को धरती मां का दर्जा दिया है, लेकिन घटती उपजाऊ जमीन, चिंता का कारण है जो विकासशील देशों और पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत है। अपने संबोधन में पीएम ने बताया कि गुजरात के कच्छ की जमीन को बंजर होने से कैसे बचाया गया। उन्होंने कहा कि भारत इस मामले में अपने सहयोगी विकासशील देशों की मदद कर रहा है ताकि लैंड रेस्टोरेशन किया जा सके. इसके लिए हमने देश में सेंटर फॉर एक्सीलेंस भी तैयार किया है, ताकि इस मामले पर हम दुनिया की मदद कर सकें, हमने कई और कदम उठाए हैं, कच्छ के रण में इस कारण काफी दिक्कतें आती थीं. वहां बारिश भी बहुत कम होती है। हमने कच्छ के रण में भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए घास लगाने पर फोकस किया और इससे जमीन को बंजर और मरूस्थली बनने से रोका गया। यह प्राकृतिक तरीका काफी कारगर साबित हुआ।
2- कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्स्य सुविधाओं के बोझिल होने से जहां सैकड़ों लोगों की जानें गईं वहीं इलाज के लिए भी जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, ऐसे में तीसरी लहर से बचाव के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं, केन्द्र सरकार ने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए य़ोजना तैयार कर ली है, जिसके तहत 3 महीनों के अंदर पूरे भारत में 50 मॉड्यूलर हॉस्पिटल बनाए जाएं, जिनकी लाइफ 25 साल तक होती है। इन अस्पतालों में ICU बेड्स के साथ ऑक्सीजन सपोर्ट और दूसरे लाइफ सपोर्ट सिस्टम की भी सुविधा होगी। 3 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले ये मॉड्यूलर अस्पताल महज 3 हफ्तों तैयार किए जाएंगे और आपदा के वक्त ये अस्पताल एक हफ्ते में शिफ्ट किये जा सकते हैं। इन अस्पतालों को ऐसे सरकारी अस्पतालों के पास बनाया जाएगा जहां बिजली, पानी और ऑक्सीजन की व्यवस्था होगी।
3- कोरोना की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन व दवाओं की कमी के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में मचे कोहराम से केन्द्र सरकार समेत बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों को भी खासी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। महामारी के प्रकोप के दौरान खराब हुई इस छवि को सुधारने के लिए बीजेपी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राह पर है। इसी के तहत पार्टी ने सेवा ही संगठन नाम से एक प्रोग्राम को लॉन्च किया है। इस प्रोग्राम के तहत कार्यकर्ताओं को वैक्सीनेशन अभियान, राहत अभियानों और गांवों में स्वयंसेवी हेल्थवर्कर्स की ट्रेनिंग में हिस्सा लेने को कहा गया है। सेवा ही संगठन के अंतर्गत कार्यकर्ता 45 साल से ज्यादा उम्रवालों के वैक्सीनेशन और 18 से 44 साल के ऐसे लोगों के वैक्सीनेशन पर फोकस करेंगे जिन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इसके अलावा जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को भी टीकाकरण के लिए जागरुक किया जाएगा। ये कार्यकर्ता, संक्रमण के शिकार लोगों, महामारी के दौरान तमाम मुश्किलों का सामना कर रहे बुजुर्गों व जरूरतोंमंदों को भी
मदद पहुंचाएंगे। साथ ही पोस्ट कोविड एडवाइज के लिए टेलीमेडिसिन कंसल्टेंसी और मेडिकल हेल्प सेंटर्स भी बनाए जाएंगे। सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को ये तमाम निर्देश दिए।
4- अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की बनाई कोरोना वैक्सीन के ब्रिटेन में किए गए थर्ड फेस के ट्रायल के नतीजे आने के बाद सोमवार को कंपनी ने बताया कि ये वैक्सीन वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है। वैक्सीन ने माइल्ड, मॉडरेट और सीविअर डिजीज में 90.4% फाइनल एफिकेसी दिखाई है, ये वैक्सीन कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट्स के खिलाफ भी काफी असरदार रही है। वैक्सीन के अच्छे परिणामों को देखते हुए जल्द ही इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूदी मिलने की उम्मीद है। व्यस्कों के बाद कंपनी ने बच्चों पर भी वैक्सीन का ट्रायल शुरु कर दिया है, जिसमें 12-17 साल के बच्चे शामिल किए गए हैं, वैक्सीन का ट्रायल किए जा रहे इन बच्चों की 2 साल तक निगरानी की जाएगी।
5- कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएट्स के बीच इसका एक और नया वेरिएंट मिला है, जिसे वैज्ञानिकों ने डेल्टा प्लस नाम दिया है। जो डेल्टा वेरिएंट से बना है। आपको बता दें कि भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए डेल्टा वायरस ही जिम्मेदार था, लेकिन डेल्टा वेरिएंट से बने डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के नए वेरिएंट के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है, इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है इसलिए अभी इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी देश में इसके बहुत कम मामले हैं। आपको बता दें कि डेल्टा प्लस उस ‘मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल’ उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में परमिशन
मिली है।
6- देश में रीटेल महंगाई दर 6 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। CPI यानि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित रिटेल महंगाई दर जो अप्रैल में 4.23 फीसदी थी वो मई में 6.3 फीसदी पर पहुंच गई है। पेट्रोल-डीजल और खाने-पीने के सामान महंगे होने से महंगाई दर में ये बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि सब्जी और मिठाई जैसी चीजों के दामों में थोड़ी कमी आई है लेकिन कुकिंग ऑयल, गेहूं, चावल, आटा और दाल आदि की कीमतों में इजाफा हुआ है, और इन सामानों पर बढ़े हुए दामों ने आम आदमी का बजट बिगाड़ दिया है। फ्यूल के आसमान छूते दाम और मैन्यूफेक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने से थोक महंगाई दर भी रिकॉर्ड स्तर 12.94 फीसदी पर पहुंच गई है जो मई 2020 में -3.37 प्रतिशत रही थी।