कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने के बाद राजस्थान कांग्रेस में भी सरगर्मी तेज हो गई है। सचिन पायलट के इरादे अब और भी बुलंद दिख रहे हैं। वैसे तो सचिन पायलट पार्टी के खिलाफ बगावती झंडा लंबे समय से उठाये हुए हैं। बीते साल राजस्थान में उनके कप्तान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बगावत का बिगुल फूंका था। और वो अपने बागी विधायकों के साथ पार्टी में वापस तब लोटे जब गांधी परिवार की ओर से उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर पदोन्नत करने का आश्वासन मिला था। लेकिन वही बगावत फिर से नजर आ रही है। जितिन प्रसाद तो पार्टी छोड़ चुके है और अब सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। पायलट को आश्वासन मिले दस महीने हो गये लेकिन इनकी एक भी शिकायत पर तीन सदस्यीय कमेटी ने कोई समाधान नहीं दिया, जिसे इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। पायलट के करीबी सूत्र बता रहे हैं कि वह पार्टी के व्यवहार से नाराज और बेचेन हैं। ना तो पार्टी आलाकमान की ओर से कुछ किया जा रहा है और ना ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनके करीबी विधायकों के पर कतरने की कोशिशें कम कर रहे हैं।
लेकिन सवाल यह उठता क्या सचिन पायलट वही गलती करेंगे जो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की या फिर जितिन प्रसाद ने की है। खुद को दिग्गज नेताओं के पायदान से छोटे नेताओं की कतार में ला कर खड़ा कर दिया है।