उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जोड़-तोड़ की राजनीति शुरु हो चुकी है। जहां एक ओर पूर्व मंत्री और कभी राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से अलग होकर प्रदेश में कमल खिलाने का जिम्मा उठाया लिया है तो वहीं कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने कहा जितिन प्रसाद का पार्टी छोड़ कर जाना कांग्रेस के लिए बड़ी क्षति है और अब पार्टी को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे युवा नेता क्यों पार्टी छोड़कर जा रहे हैं।
तो प्रदेश में एक और बगावती सुर सुनाई देने लगा- अदिति सिंह का। रायबरेली की सदर सीट से विधायक अदिति लंबे अरसे से पार्टी से नाराज चल रही हैं। जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के मौके को भी उन्होंने लपक लिया और बता दिया कि उनके मन में क्या चल रहा है। उन्होंने कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सलाह देते हुए ये भी कहा है कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी बनती जा रही है।
ऐसा पहली बार नहीं है। 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रायबरेली विधायक चुनी गई अदिति सिंह समय -समय पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमले कर रहीं हैं। यही वजह है कि अदिति सिंह फिलहाल निलंबित हैं। उनके बागी तेवर के चलते पार्टी ने उन्हें निलंबित किया हुआ है और उनकी विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने के लिए अर्जी भी लगाई थी लेकिन असफल रहे।
बता दें कि कांग्रेस के दिग्गज विधायक रहे स्वर्गीय अखिलेश सिंह की बेटी हैं अदिति सिंह। और वो कांग्रेस के खिलाफ बगावती सुर छेड़ने का कोई भी मौका नहीं चूकती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी से अलग होने पर भी अदिति ने कहा था। सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस एक परिवार पार्टी बनती जा रही है। कांग्रेस को अब इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए कि आखिर पार्टी के सीनियर नेता क्यों पार्टी को छोड़ रहे हैं। पार्टी को अब ये सोचना चाहिए कि कहा गलती हो रही है वो कौन लोग हैं जो राष्ट्रीय पार्टी को सही सलाह नहीं दे रहे हैं।
अदिति ने कांग्रेस को सलाह देते हुए यह भी कहा था कि पार्टी को यूपी में जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। जितिन प्रसाद के जाने के बाद अब तो यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस का युवा ब्रिगेड दरकने लगा है। और 2022 में अदिति सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं।
पहले भी साधा था निशाना
इसी साल कुछ महीने पहले अदिति सिंह ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि पिछले पंचवर्षीय कार्यकाल में चुनाव जीतने के बाद सोनिया गांधी सिर्फ दो बार रायबरेली आई थीं। वहीं, 2019 में चुनाव में नामांकन के समय वह सिर्फ एक बार ही रायबरेली आई हैं। जनता ने ही उन्हें चुनाव जितवाया है। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने जिले की जनता से कभी भी मुलाकात करने की कोशिश नहीं की है न ही वह किसी कार्यक्रम में शामिल होने आई हैं। हम किसी पार्टी विशेष की बात नहीं कर रहे हैं। हम सभी राजनीतिक नेताओं की बात करते हैं। जो भी चुनाव जीत कर आता है वह अपनी जनता के प्रति पूरी तरह से जिम्मेदार होना चाहिए। जो अच्छा काम करेगा, उसकी तारीफ भी करूंगी।