केंद्र सरकार और नये कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के बीच का गतिरोध पिछले 34 दिनों जारी है। इस गतिरोध में आज विराम लगने की उम्सेमीद जताई जा रही है। किसान और सरकार के बीच में आज तय बातचीत से हल निकलने के आसार दिख रहे हैं। आज यानी बुधवार को केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की वार्ता होनी है। एक ओर केंद्रीय कृषि मंत्री आशावान हैं कि सरकार किसानों को मनाने में सफल रहेगी वहीं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि सरकार के साथ चर्चा तभी होगी जब तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सरकार देगी। उधर सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है की तीनों नए कानून वापस नहीं होंगे और MSP पर सरकार सिर्फ लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है.
बता दें कि आज सातवें दौर की बातचीत होनी है लेकिन इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। उन वार्ताओं में दोनों ही पक्ष अपने-अपने मुद्दों पर टिकी रही जिससे सभी बातचीत बेनतीजा ही रहीं।
8 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह की बैठक के 22 दिन बाद यह बैठक हो रही है। सरकार और किसानों के बीच अबतक 6 दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। बुधवार को दोपहर 2 बजे सरकार ने करीब 40 किसान संगठनों को विज्ञान भवन में बातचीत का न्योता दिया है। वार्ता के लिए उन्हीं संगठनों को न्योता दिया गया है जो पहले भी बातचीत का हिस्सा रहे हैं। दरअसल, ये बातचीत 29 दिसंबर को होनी तय थी, लेकिन उसे सरकार ने एक दिन वक्त आगे बढ़ा दिया।
अमित शाह से मिले गोयल और तोमर
किसानों के साथ 30 दिसंबर को होने वाली बैठक से पहले सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल की मीटिंग हुई। तीनों मंत्रियों ने कृषि कानूनों और किसान संगठनों के गतिरोध को लेकर आगे की रणनीति पर मंथन किया। तोमर और गोयल और के साथ वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
सरकार का रुख
कृषि मंत्री तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध जल्द खत्म होंगे। केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए बुलाय लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में यह साफ कह दिया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।
किसान संगठनों का रुख
दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर तंबू गाड़े किसान भी अपनी मांगों पर अडिग हैं। किसान संगठनों की ओर से लगातार तीनों कानून वापस लेने की मांग की जा रही है और सरकार से उनके द्वारा प्रस्तावित एजेंडे पर चर्चा करने की मांग की जा रही है। बातचीत से पहले किसानों ने मुख्य रूप से चार मुद्दों पर फोकस करने को कहा:
1. तीनों कृषि कानून वापस करने के तरीके पर चर्चा होनी चाहिए।
2. एमएसपी को कानूनी रूप देना, कई फसलों पर गारंटी मिलना जैसे विषयों को गंभीरता से लिया जाए।
3. एनसीआर में वायु प्रदूषण के मसले पर लाए गए कानून को सरकार वापस ले।
4. सरकार द्वारा बिजली बिलों को लेकर लाए गए नए बिल को वापस लेना।