1- उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा, अब इस कानून पर 104 पूर्व IAS अफसरों ने आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है कि इस विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है, इसलिए इस अवैध अध्यादेश को वापस ले लिया जाए। कानून पर आपत्ति जताते हुए पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे कई बड़े पूर्व IAS अफसर शामिल हैं। राज्य में हो रही घटनाओं का जिक्र करते हुए पत्र में लिखा गया है कि लव जिहाद कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश है जो उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है। ये एक तरह का अत्याचार है जो प्रशासन ने युवाओं पर किया है। लव जिहाद कानून पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का जिक्र भी पत्र में किया गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि किसी के व्यक्तिगत रिश्तों में दखल देना स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
2- भारत के शौर्य-वैभव, संस्कृति और अनेकता में एकता की झांकियों से सजी गणतंत्र दिवस परेड अपने आप में खास मानी जाती है लेकिन कोरोना काल का असर 2021 की गणतंत्रदिवस परेड पर भी पड़ेगा, कोविड 19 संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए इस बार 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस परेड में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों में पहला होगा परेड की दूरी का कम होना, जिसके तहत 8.2 किलोमीटर लंबी परेड इस बार सिर्फ 3.3 किलोमीटर में ही पूरी होगी। हर साल राजपथ से शुरु होकर लाल किले तक दिखाई देने वाली परेड 2021 के रिपब्लिक डे पर विजय चौक से शुरू होकर सिर्फ नेशनल स्टेडियम तक ही जाएगी, जिसकी वजह से परेड के झलकियां देखने का मौका भी कम ही लोगों को मिलेगा। इसके अलावा इस बार परेड में 15 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चे शामिल नहीं हो सकेंगे, ना ही दिव्यांग बच्चों को परेड में इस बार एंट्री मिलेगी। खड़े होकर परेड देखने वाले दर्शकों के लिए भी इस बार कोई बंदोबस्त नहीं किया गया, कोरोना से सावधानी को ध्यान में रखते हुए सिर्फ 7500 लोगों को ही टिकट लेकर रिपब्लिक डे परेड को देखने का सौभाग्य मिलेगा। सामाजिक दूरी की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए दर्शकों के साथ-साथ परेड के दस्तों में भी लोगों की गिनती कम की गई है पहले जहां हर दस्ते में 144 लोग होते थे वहीं इस बार सिर्फ 96 लोग नजर आएंगे। दर्शकों व प्रतिभागियों के लिए मास्क अनिवार्य होगा।
3- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 29 दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तर प्रदेश के ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा सेक्शन का उद्घाटन किया। जो पंजाब के लुधियाना से शुरु होकर बंगाल के दनकुनी में खत्म होगा। पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के बनने से जहां एक तरफ देश में माल ढुलाई की सुविधा दुरुस्त होगी तो वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा फासदा पैसेंजर ट्रेन की स्पीड बढ़ाने में होगा। 5,750 करोड़ रुपये की लागत से बने 351 किलोमीटर लंबे इस सेक्शन पर मालगाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इस नए सेक्शन की वजह से मौजूदा कानपुर-दिल्ली मुख्य लाइन से भी भीड़भाड़ कम हो सकेगी और इंडियन रेलवे ट्रेनों की गति बढ़ाने में सक्षम होगा। अभी यात्री ट्रेनों को पास देने की वजह से मालगाड़ियों को लूप लाइन में खड़ा होना पड़ता है और 100 किलोमींटर की दूरी तय करने में कई बार पूरा दिन लग जाता है। अभी मौजूदा ट्रैक पर सामान्य दिनों में करीब 170 से 200 मालगाड़ियां औऱ करीब 375 यात्री ट्रेनें दौड़ रही हैं लेकिन नए सैक्शन के शुरु होने के बाद मालगाड़ियां स्थानांतरित हो जाएगी और ट्रैक यात्री ट्रेनों के लिए हो जाएगा। इसका फायदा पेसेंजर ट्रेन व माल गाड़ी दोनों को मिलेगा, स्पीड बढ़ने से ट्रेनें डिले होने की गुंजाइश भी नहीं रहेगी और समय की भी बचत होगी। इतना ही नहीं कई राज्यों से होकर गुजरने वाले इस नए कॉरिडोर के माध्यम से, जिसका करीब 57 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा, इससे स्थानीय उद्योगों के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे।
4- नए कृषि कानूनों से खफा किसान इनकी वापसी के लिए एक महीने से ज्यादा वक्त से सड़कों पर है, कई दौर की बातचीत के बाद अभी समाधान नहीं निकला है, और आज एक बार फिर किसानों औऱ सरकार के बीच इस मुद्दे पर बातचीत होनी है, इसी बीच एनसीपी चीफ और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने केन्द्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यों से मशविरा किए बिना ही तीनों कानूनों को थोपा गया है। पवार ने कहा कि खेती, जिससे गांवों के लोग जुड़े हैं उसके मामलों से निपटारा दिल्ली में बैठकर संभव नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं से बातचीत के लिए बनाए गए तीन सदस्यीय मंत्री समूह के ढांचे पर सवाल उठाते हुए पवार ने कहा कि सरकार को ऐसे नेताओं को किसानों से बातचीत के लिए आगे करना चाहिए जिन्हें कृषि और किसानों के मुद्दों की समझ हो। पवार ने ये भी कहा कि किसान आंदोलन के लिए सरकार का विपक्ष को दोषी ठहराना सही नहीं है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया है कि वे नए कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं साथ ही टिकैत ये भी कहा कि अगर विपक्ष मजबूत था तो किसानों को आंदोलन करने की जरूरत क्या थी।
5- यूके में मिले कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन पर ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा की गई हालिया स्टडी में वैज्ञानिकों ने नए वैरिएंट को पहले की तुलना में 56 फीसदी ज्यादा खतरनाक बताया है, नए वैरिएंट पर की गई स्टडी को पब्लिश करते हुए वैज्ञानिकों ने इसे रोकने के कुछ सुझाव भी सुझाए हैं जिसमें स्कूल-कॉलेजों को बंद करने और वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन में तेजी लाने की बात कही गई है। स्टडी के लेखक निकोलस डेविस का कहना है कि जिन में देशों में नया वैरिएंट मिला है, उन्हें इसे चेतावनी के रूप में लेना चाहिए क्योंकि इसे वैक्सीन के बिना रोकना संभव नहीं है। वैक्सीनेशन की संख्या बढ़ाकर ही इसे काबू किय़ा जा सकता है। कुल मिलाकर नए स्ट्रेन के संक्रमण को गंभीरता से लेने की जरूरत है, लेकिन राहत की बात ये है कि नए स्ट्रेन पर वैक्सीन कारगर है।