स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
प्रेम चोपड़ा, ये शख्सियत फिल्मी दुनिया के बाहर भी पहचान की मोहताज नहीं है। प्रेम चोपड़ा साहब बॉलीवुड के एक ऐसे उम्दा अभिनेता हैं जिन्होंने फिल्म जगत में विलेन के किरदार को एक नया आयाम दिया है, और अधिकतर फिल्मों में अपनी खलनायकी की बदौलत ही दर्शकों के बीच ऐसी पहचान कायम की कि आज भी दर्शक इनकी एक्टिंग के मुरीज हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर पढ़िए प्रेम चोपड़ा के जीवन की कुछ रोचक बातें।
23 अगस्त 1935 को लाहौर में जन्मे प्रेम चोपड़ा छह भाई बहनों में तीसरे नंबर पर थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार शिमला आ गया और यहीं से प्रेम साहब ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। उनके पिता चाहते थे कि वो एक डॉक्टर बनें कॉलेज के दिनों में ही उनका अभिनय प्रेम प्रबल हुआ और पिता से साफ कह दिया कि वे एक्टर बनना चाहते हैं। ग्रेजुएशन कंपलीट करते ही उन्होंने एक्टिंग में करियर बनाने की राह पर कदम रखा और अपने सपनों को पंख देने के लिए 50 के दशक के आखिरी में प्रेम चोपड़ा मुंबई आ गए।
एक्टिंग में करियर बनाने के लिए उन्होंने मुंबई आकर काफी मशक्कत की, खर्चा चलाने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्कुलेशन डिपार्टमें में जॉब की और साथ साथ फिल्मों में काम करने के लिए भी कोशिशें करते रहे। कम ही लोग जानते होंगे कि सिनेमा में एंट्री लेने से पहले वो बंगाल-उड़ीसा में अख़बार बेचते थे। स्ट्रगल के दिनों में ही उन्हें 1960 में फिल्म मुड-मुड के ना देख में काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्हें एक पंजाबी फिल्म चौधरी करनैल सिंह में एक रोल ऑफर हुआ, फिल्म 1960 में पर्दे पर उतरी और सुपरहिट साबित हुई, इस फिल्म के लिये उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.और इस तरह प्रेम चोपड़ा के एक्टिंग करियर का खाता खुला, लेकिन प्रेम चोपड़ा पंजाबी नहीं हिन्दी फिल्मों के सितारे बनने का ख्वाब लिए मुंबई आए थे, उनका ये ख्वाब पूरा भी हुआ और वो मशहूर भी हुए लेकिन नायकी नहीं खलनायकी के लिए।
जब नाराज हो गये थे महबूब खान
साल 1964 में मनोज कुमार-साधना स्टारर फिल्म वो कौन थी में प्रेम चोपड़ा को विलेन का रोल मिला। फिल्म में प्रेम चोपड़ा की खलनायकी को लोगों ने पसंद किया और वो दर्शकों की बीच पहचाने जाने लगे। हालांकि इस फिल्म का प्रीमियर देखने के बाद महबूब खान, प्रेम चोपड़ा पर काफी नाराज हुए थे फ़िल्म देखने के बाद उन्होंने प्रेम चोपड़ा से कहा, तुमने इंतज़ार क्यों नहीं किया अब ख़लनायक बन कर ही रह जाओगे, हीरो नहीं। क्योंकि उन्होंने प्रेम चोपड़ा को बतौर हीरो ब्रेक देने की बात कही थीलेकिन उनके कोई फिल्म ऑफर करने से पहले ही उन्हें राज खोसला की फिल्म वो कौन थी मिल गई, जिसे उन्होंने छोड़ना ठीक नहीं समझा। हालांकि महबूब साहब की ये बात पूरी तरह सच साबित हुई प्रेम चोपड़ा कभी किसी फ़िल्म में हीरो की भूमिका नहीं निभा पाये और बतौर विलेन ही सफलता के झंडे गाड़े।
खलनायक के तौर पर सफलता के झंडे गाड़े
इसके बाद 1965 में आई फिल्म शहीद में उनकी एक्टिंग को दर्शकों ने खूब सराहा। फिर तीसरी मंजिल और मेरा साया जैसी फिल्मों में प्रेम चोपड़ा ने अपने अनोखे अभिनय का परिचय दिया और साल 1967 में मनोज कुमार के डायरेक्शन-प्रोडक्शन में बनी फिल्म उपकार में प्रेम चोपड़ा अपने अभिनय की बदौलत दर्शकों के दिलों पर छा गए। जय जवान जय किसान के नारे को सार्थक करती इस फिल्म में उन्होंने मनोज कुमार के भाई की भूमिका निभाई थी जो ग्रे शेड्स के बाद भी दर्शकों की सहानुभूनित पाने में सफल रही।
फिल्म उपकार की सफलता ने प्रेम चोपड़ा की कामियाबी की राह बनाई और उन्हें कई बड़ी फिल्मों के ऑफर मिले। जिनमें उन्होंने उस दौर के बड़े स्टार्स- देवानंद, राजकपूर, राजेश खन्ना, राजेन्द्र कुमार के साथ काम करने का मौका मिला और उन्होंने अराउंड द वर्ल्ड, झुक गया आसमान, दो रास्ते, डोली, पुजारी, पूरब-पश्चिम, कटी पतंज, गोरा-काला, हरे रामा-हरे कृष्णा, और अपराध जैसी तमाम फिल्मों में अपने बेहतरी अभिनय की छाप छोड़ी। इन फिल्मों ने न सिर्फ उनके अभिनय करियर को बुलंदी दी बल्कि एक अमिट पहचान बनाने में भी प्रेम चोपड़ा सफल हुए।
‘प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा’
साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म बॉबी उनके एक्टिंग करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में बोला गया उनका डायलॉग ‘प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा’ इतना हिट हुआ कि आज भी लोगों की जुबान पर आता है। इसके बाद 1976 में आई फिल्म दो अनजाने भी उनके सिने करियर की एक महत्वपूर्ण फिल्म बनी। इस फिल्म में प्रेम चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन के दोस्त का रोल किया था, जो इतना बेहतरीन था कि उन्हें इस किरदार के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।
चार दशक के लंबे सिने करियर में 300 से ज्यादा फिल्में कर चुके प्रेम चोपड़ा ने अपने हर किरदार को पर्दे पर पूरे जी जान से जिया है, और फिल्मों में खलनायक को महत्वपूर्ण अदाकार साबित करने में भी उनकी अहम भूमिका रही हैं। उनकी हर फिल्मी की खलनायकी ने दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी है, उनके अंदाज, किरदार, डायलॉग्स आज भी लोगों के जहन में सदाबहार फूल जैसे जीवंत हैं। यही एक हुनरमंद अभिनेता की काबिलियत होती है जो उसे सदा दर्शकों के दिलों का बादशाह बनाए रहती है। फिर चाहें वो पर्दे पर विलेन हो या हीरो। जैसे की प्रेम चोपड़ा। जिनकी एक्टिंग एक मंजे हुए हीरो की एक्टिंग पर भारी है। तभी तो प्रेम नाम है इनका…. प्रेम चोपड़ा।