अफगान की पहचान बन चुकी ‘Afghan Girl’ तस्वीर 20वीं सदी के उत्तरार्ध की सबसे प्रसिद्ध तस्वीरों में से एक है। चौंका देने वाली बड़ी बड़ी हरी आंखों से कैमरे को घूरते हुए 12 साल की एक युवा लड़की की तस्वीर है ये। इस तस्वीर को जितनी देर आप देखते हैं, उतना ही आपको यह आभास होता है कि उसकी निगाहें आश्चर्य और अवज्ञा के बीच कहीं गिर जाती हैं। इस तस्वीर को दिसंबर 1984 में मशहूर फोटो जर्नलिस्ट स्टीव मैककरी ने पाकिस्तान के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में खींची थी, जहाँ सोवियत संघ द्वारा 1979 के आक्रमण के मद्देनजर लगभग 30 लाख अफगानों ने शरण मांगी थी।
जब इस तस्वीर को कैमरे में उतारा गया तब स्टीव उसका नाम नहीं पूछ पाये थे। हालांकि 2002 में “अफगान गर्ल” का नाम पता चला। उसका नाम शरबत गुला है। गुला को इस तस्वीर के कारण कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा क्योंकि पश्तून समाज की लड़कियों को दूसरे मर्दों के सामने चेहरा दिखाने की इजाजत नहीं थी। स्टीव पर भी कई सवाल उठे। कईयों ने इस तस्वीर को अफगानिस्तान के आत्मसम्मान और गर्व से जोड़ कर देखा तो कइयों ने कहा कि वो लड़की गुस्से में थी। क्योंकि पश्तून समाज गैर मर्दों के सामने चेहरा दिखाने की इजाजत नहीं देता..
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बताया था शरबत अफगान के अभाव, अफगान की आशा और अफगान की आकांक्षाओं को दर्शाती है।
शरबत गुला का चित्र, जिसकी समुद्री-हरी आँखें और भेदी निगाहों ने उसे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे शरणार्थियों का एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बना दिया। इस फोटो की तुलना लियोनार्डो दा विंची की मोनालिसा से की गई है। नेशनल ज्योग्राफिक ने शरबत के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाया और उन्हें “Mona Lisa of Afghan war” यानी “अफगान युद्ध की मोनालिसा” करार दिया।