स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
3 मई को विश्वभर में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे यानि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भारत में अक्सर चर्चाएं गर्म रहती हैं, ऐसे में इस विषय को समझना भी जरूरी है कि समाज में प्रेस की स्वतंत्रता के क्या मायने हैं, और विश्वभर में प्रेस फ्रीडम डे मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है। इस विषय को सरल भाषा में समझिए इस आर्टिकल के माध्यम से।
प्रेस यानि दुनियाभर में खबरों से जनमानस को जोड़े रखने का सबसे सरल-सहज माध्यम, लेकिन खबरों की विश्वस्नीयता चोटिल न हो इसके लिए जरूरी है प्रेस की स्वतंत्रता और इसी को लेकर भारत में अक्सर बातचीत होती रहती हैं। प्रेस, पत्रकार, मीडिया को समाज का दर्पण, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, जिसकी जिम्मेदारी समाज की वास्तविकता को दिखाना या समझाना है, और किसी भी देश में प्रेस की स्वतंत्रता ही इस बात को भी सिद्ध करती है कि वहां अभिव्यक्ति की कितनी आजादी है। जैसे भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक आवश्यकता है, और भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार के तहत सुनिश्चित होती है। लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाती है। इस कारण सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
खैर… 3 मई को दुनियाभर में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने दिसंबर 1993 में, 3 मई के दिन विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, तभी से 3 मई के दिन डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक की वर्षगांठ पर इस दिन को हर साल एक स्पेशल थीम के साथ World Press Freedom Day के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के प्रति लोगों को जागरुक करना, और सही खबरे लोगों तक पहुंचा रहे मीडिया कर्मियों का व्यापक विकास करना।
दरअसल दुनियाभर में पत्रकारों को तमाम तरह की ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिनमें कई बार जान का भी जोखिम उठाना पड़ता है, ऐसे में प्रेस की सुरक्षा पर एक सवालिया निशान लगता है। अक्सर ऐसा भी देखा जाता है कि सरकार-प्रशासन की मर्जी के विपरीत चलने वाले मीडिया संस्थान प्रताड़ना का शिकार होते हैं, प्रत्रकारों के साथ मारपीट और धमकाने से घटाएं होती है। ऐसी तमाम गतिविधियों के चलते अभिव्यक्ति की आजाती में बाधा खड़ी होती है, बस इन्हीं के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाए जाने की शुरुआत की गई।
इस दिन को मनाने के लिए हर साल एक खास थीम चुनी जाती है और साथ ही स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थानों व अन्य शैक्षिक संस्थानों में प्रेस की स्वतंत्रता पर विचार-विमर्श, निबंध लेखन प्रतियोगिता और क्विज आजि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, और ऐसे विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से अवगत कराया जाता है। इस साल World Press Freedom Day की थीम है “Information as a Public Good यानि सार्वजनिक हित के रूप में सूचना।
साल 1997 से हर साल यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड प्रेस डे के दिन यानि 3 मई के दिन उस व्यक्ति या संस्था को गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज से सम्मानित किया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। किसी भी देश के सर्वांगीण विकास में प्रेस, पत्रकार, मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते इस वर्ग का अधिकार के साथ साथ एक कर्तव्य भी है,
जनमानस को सत्य से अवगत कराना, ऐसी घटनाओं से लोगों को अवगत कराना, जो प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उनके जीवन को प्रभावित करती हैं। ऐसे में प्रेस की स्वतंत्रता व अभिव्यकित के अधिकार का सम्मान आवश्यक हो जाते हैं। हालांकि वर्तमान परिस्थितियों में समाज का ये आईना जनमानस को गुमराह करने में भी सक्षम है इसलिए प्रेस के लिए भी कुछ नियम हैं, जो इसे दायरे में रहकर काम करने की स्वतंत्रता देते हैं।
वास्तव में ये एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसमें अधिकार का उपयोग ईमानदारी से जनहित के लिए, सत्यता और पारदर्शिता के लिए पूर्ण कर्तव्य के साथ होना चाहिए।