‘लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती।’ कितना सच है ना मुनव्वर राणा के इन शब्दों में। ममता सचमुच अनमोल है…..मां एक अनुभूति है..एक अहसास है। मां का प्रेम अथाह सागर, जिसे नापना नामुमकिन है। माना जाता है कि ईश्वर क्योंकि हर स्थान पर खुद मौजूद नहीं रह सकते तो उन्होंने मां बना दी। मां के कलेजे से लिपट कर जो आनंद मिलता है, वो और कहीं नहीं मिल सकता। उसके आंचल तले ईश्वरीय छाया का सुख मिलता है। मां की डांट भी मीठी लगती है। वैसे तो मां के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए किसी दिन की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को विश्व मातृ दिवस का दर्जा दिया गया है ताकि हर कोई अपनी मां के प्रति अपने प्यार और सम्मान को प्रदर्शित कर सके।
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