स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
21 नवंबर को मनाया जाता है World Television Day, इस दिन को कि उद्देश्य से, किसके द्वारा और कब मनाना शुरु किया गया, पढ़िए World Television Day से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
World Television Day यानि विश्व दूरदर्शन दिवस साल 1996 से ही हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है, इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा टेलीविजन के महत्व से लोगों को जागरुक करना के उद्देश्य से की गई। रेडियो का विकसित रूप और मनोरंजन का पहला और सबसे अच्छा साधन कहा जाने वाला टेलीविजन, ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने से लोगों का पंसदीदा है, टेलीविजन देखना आज लोगों को जितना अच्छा लगता है, बेरंग चित्र यानि ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में भी ये लोगों को उतना ही लुभाता था। तीन-चार दशक पहले के टेलीविजन प्रेम को याद करें तो पता चलता है कि भारत में दूरदर्शन यानि टीवी प्रेम अद्भुत था।
भारतीय आवाम को टेलीविजन का दीदार थोड़ा देर से हुआ, 1927 में टेलीविजन का आविष्कार अमेरिका के वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने किया था। इसी टेलीविजन को पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप धारण करने के बाद जॉन लॉगी बेयर्ड 1938 में मार्केट में लेकर आ गए। हालांकि इसके बाद इसे भारत पहुंचने में तीन दशक से ऊपर का समय लग गया लेकिन 15 सितंबर 1959 को दिल्ली से, टेलीविजन पर फर्स्ट टेलीकास्ट के साथ ही इसकी पॉपुलेरिटी में इजाफा होना शुरु हो गया, होता भी क्यूं ना सिर्फ सुनाई देने वाली चीजें यदि साक्षात समान दिखाई देने लगें तो वो किसी चमत्कार से कम नहीं लगता, भारतीयों के लिए टेलीविजन उस दौर में ऐसा ही चमत्कार था। हालांकि शुरु शुरु में टेलीविजन सिर्फ हफ्ते के तीन दिन ही आधे-आधे घंटे के कार्यक्रमों से जीवंत होता था लेकिन इसकी लोकप्रियता इतनी तेजी से बढ़ी कि कुछ एक साल में ही टेलीविजन पर दैनिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई।
सत्तर का दशक आते आते देश के सात शहरों तक इसका विस्तार हो गया और टेलिविजन इंडिया के नाम से 1975 में शुरु हुए, टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले चैनल को नाम मिला दूरदर्शन, जिसपर समाचारों के अलावा कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रमों का प्रसारण होने लगा और बहुत ही कम वक्त में ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीग तक का सफर भी पूरा हुआ, 80 का दशक आते आते देशभर में रंगीन प्रसारण की शुरुआत हुई, जिसने लोगों को टेलीविजन का दीवाना बनाया। 1982 में आयोजित एशियाड खेलों के आयोजन से भारत में टेलिविजन का व्यापक प्रसार हुआ। ये वो दौर था जब दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले बुनियाद,शक्तिमान, अलिफ लैला, रामायण, महाभारत, जंगल बुक, एलिस एंड वंडर लैंड, विक्रम वेताल और पोटली बाबा की जैसे कार्यक्रमों को लोग दीवानों की तरह देखते थे, रामायण महाभारत के टेलीकास्ट के वक्त तो मानो सड़कें सुनसान हो जाती थीं, वो दशक इस कदर टेलीविजन का शौकीन हुआ था कि इन कार्यक्रमों को देखने के लिए, लोग जिनके घर में टीवी होते थे वहां हुजूम की तरह जमा हो जाते थे। इसके एक दशक बाद शुरु हुआ प्राइवेट प्रोग्राम चैनल्स का दौर और 2 अक्टूबर 1992 को भारत में आया जी टीवी, जिसने दर्शकों को मनोरंजन के लिए तमाम कार्यक्रम दिए और लोगों ने भी इन्हें खूब पसंद किया।
इसके बाद 26 जनवरी 1993 को दूरदर्शन ने विस्तार करते हुए अपना दूसरा चैनल, मेट्रो चैनल के नाम से शुरू कर दिया बाद में पहला चैनल डीडी 1 और दूसरा डीडी 2 के नाम से लोकप्रिय हो गए। आज पटेलिविजन पर अपार प्राइवेट चैनल्स हैं वहीं 30 से ऊपर राष्ट्रीय व क्षेत्रीय चैनल दूरदर्शन द्वारा देश भर में प्रसारित किए जा रहे हैं। भारत में आज प्रसारित होने वाले टीवी चैनलों की संख्या लगभग 1000 के आसपास पहुंच
चुकी है।
उस दौर में लोगों में टेलीविजन प्रेम तो अपार था लेकिन इस माध्यम के प्रति पूरी जागरुकता भी जरूरी थी, ज्यादातार लोग न तो विश्व टेलीविजन दिवस के बारे में जानते हैं और न ही टेलीविजन की कहानी के बारे में। ग्रीक प्रीफिक्स ‘टेले’ और लैटिन वर्ड ‘विजीओ’ से मिलकर बना शब्द
टेलीविजन यानि टीवी एक वैज्ञानिक उपकरण है, जो जन-संचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है। साल 1948 में पहली बार टेलीविजन का शॉर्ट फॉर्म टीवी इस्तेमाल किया गया और 1960 में टेलीविजन शब्द डिक्शनरी में जुड़ा और इसी टेलिविजन के वास्तविक महत्व को लोगों को समझाने के उद्देश्य से दिसंबर 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का आह्वान किया और 21 नवंबर की तारीख को वैश्विक स्तर पर टेलीविजन दिवस मनाने के लिए तय किया गया। हां, वो अलग बात है कि इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाए जाने को लेकर तब काफी विवाद हुआ था, क्योंकि जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि मिलते जुलते विषयों पर पहले से तीन तीन वैश्विक दिवस, प्रेस स्वतंत्रा दिवस, दूरसंचार दिवस, और विकास सूचना दिवस मनाए जा रहे हैं ऐसे में सिर्फ सुचना के एक साधन के लिए भी वैश्विक स्तर पर एक दिन समर्पित करना जरूरी नहीं है।
इस विरोध की एक वजह ये भी थी कि उस दौर में टेलीविजन सिर्फ गिने-चुने आर्थिक रूप से सक्षम लोगों के पास ही होता था, जबकि रेडियो हर आमो-खास की पहुंच में था इसलिए उनका कहना था कि टेलीविजन की बजाए रेडियो के महत्व से अवगत कराना और इसके प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना ज्यादा जरूरी है।
खैर,,, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, टेलीविजन वीडियो उपभोग का सबसे बड़ा स्रोत है इसलिए इन विरोधों के बाद भी विश्व टेलीविजन दिवस मनाने की शुरुआत हुई और आज यानि साल 2021 में 21 नवंबर को हम 26वां World Television Day यानि विश्व दूरदर्शन दिवस मना रहे हैं, इस
दिन के माध्यम से हर साल जन संचार के एक ऐसे माध्यम के महत्व के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है जो मनोरंजन, शिक्षा, समाचार और राजनीति से जुड़ी तमाम गतिविधियों के बारे में सूचित करता है, जिसे टेलीविजन कहते हैं। शिक्षा और मनोरंजन का ये स्वास्थ्यपरक स्त्रोत ही सूचना प्रदान करने में मुख्य भूमिका अदा करता है। विश्व टेलीविजन दिवस दृश्य मीडिया की शक्ति की याद दिलाता है साथ ही जनमत को आकार देने और विश्व राजनीति को प्रभावित करने में मदद करता है।
वो अलग बात है कि बदलते वक्त के साथ एक हुजूम से घिरा रहने वाला टीवी आज एकदम अकेला हो गया है। नई नई तकनीकों के आविष्कार ने इस प्यारी सी तकनीक से लोगों को अलग कर दिया है, क्योंकि इस सुंदर से दूर बैठे बक्से की जगह अब हाथ में थमे स्मार्ट फोन ने ले ली है, लेकिन हमारी पुरानी पीढ़ी यानि बुजुर्ग आज भी इस टीवी को वही महत्व देते हैं जो दशकों पहले था। भले ही अपनी भागमभाग भरी जिन्दगी में लोगों के पास वक्त की कमी हो, टीवी की जगह हाथों में स्मार्ट फोन हो लेकिन बदलते दौर के साथ टीवी इंसान के जीवन का एक खास हिस्सा बना है जो हमारे रहन सहन औऱ विचारों को प्रभावित करता है औऱ एक दिलचस्प सच्चाई और टीवी के महत्व को बताती हक्कीकत ये भी है कि अस्तितव में आने के बाद जो टीवी हफ्ते में बस दो दिन के लिए चलता था अब वो 24X7 काम करता है से देखने के लिए एक इंसान अपने जीवन के औसतन 10 साल देता है। तो कहिए है ना टीवी बेहद खास।