पुष्पा गनेड़ीवाला, इस नाम से आप वाकिफ होंगे ही, ये बॉम्बे हाई कोर्ट की वही जज हैं जिन्होंने हाल ही कुछ मुकदमों में विवादित फैसले दिए और आम जनता व सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया। जस्टिस पुष्पा वीरेन्द्र गनेड़ीवाला बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें हाई कोर्ट की स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने के लिए केन्द्र को सिफारिश की गई थी, लेकिन अब बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजिम ने उनकी स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के प्रस्ताव की मंजूरी को वापस ले लिया है। कहा जा रहा है कि कोलेजियम ने कुछ हालिया मामलों में उनके विवादित फैसलों के बाद ये कदम उठाया है।
आईये जानते हैं कौन हैं पुष्पा गनेड़ीवाला
जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला छात्र जीवन से ही पढ़ाई-लिखाई में अवव्ल रही हैं। मेधावी पुष्पा गनेड़ीवाला बी.कॉम, एलएलबी और एलएलएम में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं।
उनकी उपलब्धियों में यह सबसे ऊपर है कि उन्होंने पहली ही कोशिश में नेट-सेट की परीक्षा पास कर ली थी और फिर विदर्भ के अमरावती जिले में बतौर अधिवक्ता उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की। अपनी कार्यशैली के लिए वो बेहद मशहूर थी। कई बैंक और बीमा कंपनियों के पैनल में वो बतौर अधिवक्ता शामिल रही। अमरावती के कई नामी कालेजों में एमबीए और एलएलबी की मानद व्याख्याता भी रहीं। साल 1969 में अमरावती जिले के परतवाड़ा गांव में जन्मी जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला को साल 2007 में मुंबई सिविल कोर्ट में सीधे जिला जज के रूप में नियुक्ति दी गई। नागपुर में जिला न्यायालय और कुटुंब न्यायालय, महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी (एमजेए) की संयुक्त निदेशक, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और नागपुर में रजिस्ट्रार जनरल रहीं। 13 फरवरी 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका प्रोमोशन हुआ और आगे चल कर नागपुर पीठ में उनकी नियुक्त हुईं।
हालांकि पुष्पा गनेड़ीवाला के काम का अंदाज़ उन्हें सबसे अलग बनाता था लेकिन यह पहली बार नहीं है जब उनपर उंगलियां उठी हैं।
कौन से विवादित मामले?
दरअसल यौन शौषण के मामले में आरोपियों को बरी करना जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला को भारी पड़ा है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने उनका कन्फर्मेशन रोक दिया है। बता दें कि जस्टिस पुष्पा गनेडिवाला ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया था कि बिना कपड़े उतारे किसी लड़की के ब्रेस्ट को छूना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं आता और उससे पहले एक मामले में उन्होंने कहा था कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना या जिप की चेन खोलना पॉक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है। जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला ने यौन शोषण के मामले में चार फैसले दिये जिसे लेकर उन पर सवाल उठे हैं। उन्होंने यौन शोषण के चार मामलों में जो फैसला सुनाया है वो यह है कि कपड़े के ऊपर से बच्ची का सीना दबाना और इस दौरान शारीरिक संपर्क यानी स्किन का स्किन से न छूना, पैंट उतारना या नाबालिग का हाथ पकड़ना, एक आदमी के लिए एक लड़की का गला दबाना, उसे निर्वस्त्र करना, खुद को निर्वस्त्र करना और फिर हाथापाई के बिना 15 साल की लड़की का दुष्कर्म करना असंभव है। पुष्पा गनेड़ीवाला ने अपने फैसले में यह साफ कहा कि यह मामले पॉक्सो कानून के तहत यौन हमले की श्रेणी में नहीं आते है। इसलिए ये मामले यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आते।