कोरोना वायरस महामारी के दौरान दो तरह की तस्वीर सामने आई। एक तो वो जहां अपनों ने अपनों से ही मुंह फेर लिया था, कोरोना से मरने वालों की लाशों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने बेटों ने ही इंकार करते दिखे, वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग दिखे जो खुद को जोखिम में डाल दूसरों की मदद करते रहे। एक ऐसे ही शख्स थे आरिफ खान। कोरोना से मरने वालों को उनके आखिरी मुकाम तक पहुंचाने वाले आरिफ खान कोरोना से जंग हार गये।उनका उपचार हिंदूराव अस्पताल में चल रहा था।
आरिफ के निधन पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शोक व्यक्त कर लिखा है, ‘आरिफ खान ने 200 से अधिक कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार में मदद की। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।’
आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े थे। वह फ्री में एम्बुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। कोरोना का प्रकोप फैलने के बाद से ही, 21 मार्च से आरिफ खान कोरोना के मरीजों को उनके घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम कर रहे थे। कोरोना मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाने और मरीज़ों की मौत होने पर शव की सेवा करने वाले आरिफ खान की खुद कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गए।
दिल्ली के सीलमपुर इलाके में रहने वाले एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया।
शहीद भगत सिंह सेवादल द्वारा अब तक 488 कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों की लाशों को निशुल्क सेवा प्रदान की जा चुकी है। साथ ही 623 COVID-19 पॉजिटिव मरीजों को इस संस्था द्वारा मदद पहुंचाई गई है। सेवा दल की ओर से बताया गया है कि दल द्वारा 90 ऐसी लाशों का भी संस्कार किया गया, जिनके घर वाले आइसोलेशन में थे।