पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) अपने निधन के पहले संंस्मरण ‘द प्रेसिडेंसियल ईयर्स’ (The Presidential Years) को लिख चुके थे। 11 दिसंबर को मुखर्जी के जन्मदिन के अवसर पर रूपा प्रकाशन ने ऐलान किया कि मुखर्जी के संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स को जनवरी, 2021 में वैश्विक स्तर पर जारी किया जाएगा। पुस्तक में प्रणब दा की जिंदगी के कई हिस्सों को दिखाया जाएगा। पश्चिम बंगाल के एक गांव में बिताए बचपन से लेकर राष्ट्रपति रहने तक उनके लंबे सफर पर रोशनी डाली गई है।
प्रणब मुखर्जी पहले भी कई बेहतरीन किताबे लिख चुके हैं। ‘द प्रेसिडेंसियल ईयर्स’ उनके निधन के पश्चात पहली पुस्तक होगी। इस संस्मरण से कई नई बातें निकल कर सामने आ रही है। प्रणब मुखर्जी ने इस पुस्तक में उल्लेख किया है कि कांग्रेस की स्थिति कब बिगड़नी शुरु हुई। उन्होंने जिक्र किया है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस अपने रास्ते से भटक गई, राजनीतिक दिशा खो बैठी। मुखर्जी ने इसमें साफ तौर पर लिखा है कि कुछ पार्टी सदस्य तो यह भी मानते और कहते थे कि अगर 2004 में उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जाता तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना नहीं करना पड़ता।
इस किताब में मुखर्जी लिखते हैं, ‘कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस करारी हार वाली स्थिति में नहीं आती। हालांकि इस राय से मैं इत्तेफाक नहीं रखता। मैं यह मानता हूं कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक दिशा खो दी । सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में असमर्थ थीं, तो मनमोहन सिंह की सदन से लंबी अनुपस्थिति से सांसदों के साथ किसी भी व्यक्तिगत संपर्क पर विराम लग गया।’
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरा मानना है कि शासन करने का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के साथ निहित होता है। देश की संपूर्ण शासन व्यवस्था प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के कामकाज का प्रतिबिंब होती है। डॉक्टर सिंह गठबंधन को बचाने में व्यस्त रहे जिसका शासन पर असर हुआ, जबकि नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में शासन की अधिनायकवादी शैली को अपनाए हुए प्रतीत हुए जो सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच तल्ख रिश्तों के जरिए दिखाई दी।’
रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।
प्रणब मुखर्जी का देहांत इसी वर्ष 31जुलाई को हुआ था। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण वो कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। वो 84 वर्ष को थे।