स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
अभिनय जगत के कुछ चुनिंदा कलाकार ऐसे हैं, जिनका अभिनय, अभिनय सा नहीं लगता, बिग स्क्रीन पर इन शख्सियतों के अभिनय से सजी फिल्में हकीकत सा अनुभव कराती हैं, सिने जगत के ऐसे ही एक मंझे हुए उम्दा कलाकार हैं परेश रावल, जो आज अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जन्मदिन के मौके परेश रावल के अभियन के सफर से जुड़ी कुछ खास बातें।
जिस किरदार में ढल जाएं, उसमें अपने अभिनय से ऐसी जान फूंक दें कि देखने वाला भी ये भूल जाए कि हकीकत है या एक्टिंग, कुछ ऐसी ही अनोखी प्रतिभा के धनी हैं परेश रावल। उम्र भले 66 की हो लेकिन इनके अभिनय में आज भी वो दम है कि दर्शक इनकी एक्टिंग के कायल हैं। कॉमेडी हो, खलनायकी हो या फिर एक असहाय सा हारा हुआ व्यक्ति, परेश रावल हर किरदार में जान फूंक देते हैं। तभी तो फिल्म देखने के बाद दर्शक उनके किरदार के नाम से ही पुकारने लगते हैं। य़ूं तो परेश रावल ने कई फिल्मों में ऐसे किरदार निभाए हैं जो उनकी पहचान बन गए, लेकिन मेरे लिए सबसे दमदार रहे, हेरा फेरी के बाबू भैया, एक ऐसा दमदार किरदार है जो सुपर-डूपर हिट है। शायद ही कोई दर्शक हो जिसे उनका ये किरदार न सुहाया हो।
अभियन जगत के बहुत कम सितारे ऐसे हैं जिनके बारे में बहुत कुछ खोजने की जरूरत नहीं पड़ती, उनका अभिनय ही उनकी सबसे बड़ी पहचान होता है, ऐसे सितारों के बारे में लिखते हुए दिमाग को शब्द खोजने नहीं पड़ते। खैर… 30 मई 1950 को जन्मे परेश रावल ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, और 22 साल की उम्र में सिविल इंजीनियर के रूप में काम की शुरुआत की लेकिन शौकीन थे एंक्टिंग के सो थियेटर भी ज्वाइन किया। लोगों ने जब उनके एक्टिंग के जौहर को देखा तो उन्हें सलाह दी कि वे अपना करियर फिल्म जगत मे बनाएं और इस तरह उन्हें फिल्मों में काम करने की प्ररेणा मिली।
मनचाही मंजिल के लिए लंबा संघर्ष
चाह की राह हमेशा आसान हो ये जरूरी नहीं, कुछ ऐसा ही परेश रावल के साथ भी हुआ। लंबे असरे तक स्ट्रगल के बाद उन्हें साल 1984 में फिल्म ‘होली’ में काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने हिफाज़त, दुश्मन का दुश्मन, लोरी और भगवान दादा जैसी फिल्मों में भी काम किया लेकिन उनका अभिनय जिस पहचान का हकदार था, ये फिल्में परेश रावल को उस मुकाम तक नहीं ले जा सकीं। इसके बाद साल 1986 में फिल्म नाम में परेश रावल विलेन के रोल में नजर आए। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा जिसके बाद परेश रावल ने फिल्म में हीरो की जगह विलेन के रोल को तवज्जो देना शुरु किया। यही वजह रही कि 90 के दशक की ज्यादातर फिल्मों में वो विलेन और सपोर्टिंग एक्टर के रोल में नजर आए।
‘छोकरी’ के लिए नेशनल अवॉर्ड
1993 परेश रालव के फिल्मी सफर के लिए एक अहम साल बना। जब उनकी दामिनी, आदमी और मुकाबला जैसी फिल्मों ने पर्दे पर धमाल मचाया। वहीं फिल्म सर के लिए परेश रावल को बेस्ट सपोर्टिगं एक्टर के फिल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया और फिल्म छोकरी में उम्दा अभिनय के लिए परेश रावल को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
जैसा मैंने शुरु में लिखा कि परेश रावल अभिनय जगत के एक ऐसे सितारें हैं जो अपने अभिनय से हर किरदार में चमक पैदा करने का हुनर रखते हैं, साल 1994 में आई फिल्म दिल वाले में परेश रावल का निभाया मामा ठाकुर का किरदार उस दौर के दर्शकों को खूब पसंद आया। इतनी रीयल एक्टिंग कि दर्शक फिल्म देख उनसे सच्ची नफरत करने लगे। साल 1998 में आई फिल्म तमन्ना इसकी मिसाल है। इस फिल्म में उन्होंने एक किन्नर की भूमिका निभाई, फिल्म भले फ्लॉप हुई लेकिन परेश रावल की एक्टिंग हिट रही जिसने दर्शकों के साथ साथ क्रिटिक्स को भी वाह कहने पर मजबूर किया।
कॉमेडी के धुरंधर
सपोर्टिंग एक्टर, विलेन के साथ साथ परेश रावल की कॉमेडी भी दमदार है, इस बात को साबित किया उनकी फिल्म हेराफेरी ने। साल 2000 में आई ये फिल्म परेश रावल की सबसे सफल फिल्मों में गिनी जाती है, और बाबू भैया का किरादर… ये तो था ही सबसे दमदार, इस फिल्म के लिए भी उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। इस फिल्म को मिली कामयाबी के बाद परेश रावल ने लगातार कई कॉमेडी फिल्में कीं। फिल्म आवारा पागल दीवाना ने उन्हें बेस्ट कॉमेडी एक्टर का फिल्मफेयर अवॉड दिलाया, हंगामा, फंटूश, गरम मसाला, दीवाने हुए पागल, मालामाल वीकली, भागमभाग, वेलकम और अतिथि तुम कब जाओगे जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने हंसोड़ अभिनय से दर्शकों का दिल जीता।
स्वरूप संपत से पहली नजर में प्यार
उनकी प्रोफेशनल लाइफ उनके उम्दा अभियन की एक सफल कहानी कहती है, और जहां तक बात है उनकी पर्सनल लाइफ की तो कम ही लोग शायद ये बात जानते होंगे कि परेश रावल की पत्नी स्वरूप संपत 1979 में मिस इंडिया रह चुकी हैं। जिसके बाद उनके एक्टिंग करियर
की शुरुआत हुई। स्वरूप संपत के पिता इंडियन नेशनल थिएटर के प्रोड्यूसर थे, और स्वरूप को उन्होंने पहली बार तब देखा था जब को अपने दोस्तों के साथ मैं एक बंगाली ड्रामा देखने गए थे। परेश बताते हैं कि उस वक्त स्वरूप संपत को देखकर उन्होंने अपने दोस्त से कहा था कि ये लड़की मेरी वाइफ बनेगी। उसने पूछा जानते हो किसकी बेटी है? मैंने कहा कि मेरी वाइफ बनेगी बस।” और देखिए उनकी जुबां से निकली बात सच हुई। परेश रावल की फैमिली में इनके दो बेटे आदित्य रावल और अनिरुद्ध हैं।
अपने अभिनय के लिए नेशनल अवॉर्ड, फिल्म फेयर अवॉर्ड जीत चुके परेश रावल साल 2014 में पद्म श्री से भी सम्मानित हुए हैं। उनका अभिनय करियर जितना सफल रहा राजनीति मे हाथ आजमाने के बाद वहां भी उन्हें कामियाबी मिली, और आज अभिनय की दुनिया के ये
दमदार अभिनेता एक सफल राजनेता भी बन गए हैं।