1- गुरुवार 10 दिसंबर को बंगाल दौरे के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के
काफिले पर हुए हमले के बाद शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनकड़ ने
कानून व्यवस्था के मुद्दे पर हुए प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था लगातार
खराब हो रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संविधान का पालन करना होगा, यदि वो अपने
रास्ते से भटकती हैं तो मेरा रोल शुरू हो जाएगा। जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले को
लेकर राज्यपाल ने कहा कि ये हमला लोकतंत्र पर धब्बा है और बेहद शर्मनाक है। इस घटना
के लिए ममता को माफी मांगनी। ममता को नसीहत देते हुए गवर्नर ने कहा “मैडम प्लीज
आग से न खेलें” साथ ही ये भी कहा कि सीएम को भाजपा अध्यक्ष पर दिए अपने बयान को
वापस लेना चाहिए। राज्यपाल ने जेपी नड्डा के काफिले पर हुए कहमे को लेकर अपनी
रिपोर्ट केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है, इस रिपोर्ट में पर्याप्त सुरक्षा की कमी की बात कही
गई है।
2- नए कृषि कानूनों के प्रति किसानों को जागरुक कराने के लिए अब सरकार ने भी कमर
कस ली है, केन्द्र सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में जिला स्तर पर 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस और
100 से ज्यादा सम्मेलनों-चौपालों का आयोजन कर किसानों को ये समझाएगी कि नए कृषि
कानून उनके लिए कितने फायदेमंद हैं। हाल ही में इन कृषि कानूनों की जानकारी को लेकर
छापी गई एक बुकलेट भी सरकार की ओर से जारी की गई है, केन्द्रीय कृषि मंत्री खुद भी
प्रसे क्रॉन्फेंस में कृषि कानूनों के फायदे बता रहे हैं, ताकि किसान अपना आंदोलन खत्म कर
दें, लेकिन किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। हालांकि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने
इस बीच एख बार फिर किसानों से अपील की है कि किसान आंदोलन खत्म कर बातचीत
करें।
3- नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर अब किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया है। भारतीय किसान यूनियन ने केन्द्र सरकार के लाए कृषि कानूनों के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीनों कृषि कानूनों को चुनौती दी है। दायर याचिका में
कहा गया है कि कृषि कानून अवैध व मनमाने हैं, इनसे कृषि उत्पादन के गुटबंदी और
व्यावसायीकरण के लिए रास्ते बनेंगे और कॉरपोरेट के लालच के आगे किसानों को कमजोर
बनाएंगे। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार सुबह ट्वीट किया “मंत्रिमंडल के मेरे दो
सहयोगी नरेन्द्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की
मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें” सरकार की ओर से तमाम कोशिशों
के बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़िग हैं और आंदोलन को और तेज करने की तैयारी में
हैं, जिसके बाद अब आंदोलन को समर्थन देने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान
दिल्ली की ओर रवाना हो रहे हैं।
4- बीजेपी का पार्टी चिन्ह और राष्ट्रीय फूल कमल अब कोर्ट पहुंच गया है, क्योंकि इसे लेकर
इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुछ समय पहले एक जनहित याचिका दायर हुई है जिसमें कहा गया
है कि कमल को पॉलिटिकल पार्टी के सिंबल के तौर पर इस्तेमाल करके भाजपा राष्ट्रीय फूल
के चिन्ह का दुरुपयोग कर रही है, इसपर रोक लाई जाए। इसी मामले की सुनवाई के दौरान
हाई कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से सवाल किया है कि किसी राजनैतिक दल को राष्ट्रीय पुष्प
कमल को पार्टी के चुनाव चिंह के तौर पर कैसे दे दिया। कमल को बतौर चुनाव चिन्ह
इस्तेमाल करने पर रोक लगाने को लेकर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलेक्शन कमिशन से
जवाब मांगा है। इलेक्शन कमिशन ने इसपर जवाब के लिए समय मांगा है, अब इस मामले
की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी। बता दें, कि भारतीय जनता पार्टी करीब 40 साल
से कमल के चिन्ह के साथ ही देशभर में चुनाव लड़ती आ रही है
5- पहाड़ों में बर्फबारी हो रही है ऐसे में अगले एक दो दिन में उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों,
खासकर दिल्ली,पंजाब और हरियाणा में बारिश के चलते पारा लुढक सकता है, मौसम विभाग
का कहना है कि 1-2 दिन में दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित देश के कई राज्यों में
बारिश हो सकती है, यूपी के कुछ हिस्सों में भी हल्की-फुल्की बारिश की संभावना है, जिसके
चलते 14-15 दिसंबर तक कड़ाके की ठंड शुरु हो सकती है।