स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
हर साल 11 नवंबर को भारत शिक्षा दिवस के रूप में मनाता है, इस दिन को मनाने का क्या उद्देश्य है ये तो नाम से ही साफ होता है, शिक्षा के प्रति जागरुकता, लेकिन ये दिन मनाने के लिए 11 नवंबर ही क्यों और कब इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई, जानिए इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
National Education Day यानि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस, जिसे भारत 11 नवंबर को मनाता है, शिक्षा के महत्व से जनमानस को वाकिफ कराने और शिक्षित समाज का राष्ट्र को सक्षम बनाने में क्या योगदान होता है इस विषय को सहजता से समझाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर को मनाया जाता है भारत के पहले शिक्षा मंत्री और भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में, क्योंकि 11 नवंबर को होता है मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्मदिन, जिसे साल 2008 से हम राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सितंबर 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। जिसके बाद 11 नवंबर 2008 को भारत ने पहला शिक्षा दिवस मनाया।
अब सवाल ये कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन को ही शिक्षा दिवस के रूप में क्यों मनाता जाता है तो वो इसलिए क्योंकि एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ वे एक विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् थे जो स्वतंत्र भारत के प्रमुख वास्तुकारों में गिने जाते हैं। वो मौलाना अबुल
कलाम आज़ाद ही थे जिन्होंने AICTE और AICTE जैसे प्रमुख शिक्षा निकायों की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने ही 1949 में, सेंट्रल असेंबली में, आधुनिक विज्ञान के महत्व पर ज्यादा जोर दिया था और 1950 में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी का गठन भी उन्ही की अगुवाई में हुआ। स्वतंत्र भारत में शिक्षा प्रणाली की नींव रखने में उनका योगदान महत्वपूर्ण और यादगार है।
शिक्षा और राष्ट्र के विकास के बीच के संबंध को भलिभांति समझने वाले, आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 1947 से 1958 तक इस पद का कार्यभार संभाला। उन्होंने न सिर्फ महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया बल्कि 4 साल की आयु तक सभी बच्चों के लिए निशुल्क सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया। उनका मानना था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। हर साल शिक्षा दिवस के मौके पर पूरा भारत मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के राष्ट्र निर्माण में दिए उनके योगदान को याद करता है, इस दिन उनकी याद और शिक्षा के महत्व को समझाने के उद्देश्य से स्कूलों कॉलेजों व शिक्षण संस्थानों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमो, संगोष्ठियों और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन किया जाता है।
देश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और सबल बनाने वाले देश के पहले शिक्षा मंत्री और स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख सेनानी भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद जी की जयंती पर नेशनल खबर उन्हें उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम करता है और राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की पूरे राष्ट्र को शुभकामनाएं देता है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद के प्रेरणादायक उद्धरण
1. हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए, कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकता है।
2. दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है।
3. शीर्ष पर चढ़ने के लिए ताकत की आवश्यकता होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर हो या आपके करियर के शीर्ष पर।
4. इस बात का एहसास होना बहुत जरूरी है कि आत्मविश्वास के साथ ही आत्म सम्मान आता है।
5. बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उसका फल मिलता है।