नासा का पर्सिवियरेंस मार्स रोवर गुरुवार देर रात मंगल ग्रह ही सतह पर उतर गया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस एयरक्राफ्ट को लाल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए उतारा गया है। मार्स (मंगल) की सबसे खतरनाक सतह जेजेरो क्रेटर पर गुरुवार रात करीब ढाई बजे रोवर ने लैंड किया। इस सतह पर कभी पानी हुआ करता था। नासा का यह मिशन मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश करेगा।
नासा ने रोवर के लैंड करने के बाद की पहली तस्वीर भी जारी की है। माना जा रहा है कि नासा के इस मिशन से मंगल ग्रह के बारे में दुनिया को बड़ी जानकारी मिलेगी। नासा ने इस ऐतिहासिक मिशन पर खुशी का इज़हार करते हुए तस्वीर के साथ एक कैप्शन भी लिखा-‘हेलो दुनिया, मेरे अपने घर से मेरा पहला लुक।’ नासा ने कुछ वीडियो भी ट्वीट किए हैं, जिसमें रोवर के सफलापूर्व लैंड करने की खुशी में वैज्ञानिक बहुत ही उत्साहित दिख रहे हैं।
Hello, world. My first look at my forever home. #CountdownToMars pic.twitter.com/dkM9jE9I6X
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) February 18, 2021
इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल की अमेरिकी इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन भी हैं जो इसकी विकास प्रणाली का हिस्सा हैं। डॉ स्वाति मोहन ने इस मिशन के बारे में कहा, “मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है! अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है।”
आइये जानें कौन हैं डॉ स्वाति मोहन?
नासा की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन इस मिशन से संबंधित विकास प्रक्रिया की प्रमुख सिस्टम इंजीनियर हैं। उनके नेतृत्व में टीम की देखभाल की जाती है। साथ ही वो GN & C के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग शेड्यूल भी करती है। डॉ स्वाति एक साल की उम्र में भारत से अमेरिका गईं थी। उनका बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में गुजरा है।
वो 9 साल की थी जब ‘स्टार ट्रेक’ देख कर वो ब्रह्मांड की जानकारी बटोरने को लेकर बहुत उत्साहित हो उठीं। उनकी दिली इच्छा बाल रोग विशेषज्ञ बनने की भी थी।
डॉ स्वाति मोहन कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मेकेैनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली फिर एयरोनॉटिक्स में एमएस और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।
वह पासाडेना, CA में नासा के जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में लंबे समय से मार्स रोवर मिशन से जुड़ी रही हैं। नासा के कई अहम मिशनों का हिस्सा रह चुकी डॉ स्वाति ने कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं से भी जुड़ी रही हैं।