May 03, 2024
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Myanmar Military Coup: जानते हैं कि म्यांमार में क्यों पैदा हुआ राजनीतिक संकट

म्यांमार (Myanmar) में 10 साल पहले लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाए जाने के बाद एक बार फिर सैन्य शासन लौट आया है। म्यांमार की सेना ने तख्तापलट करते हुए देश की देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) और राष्ट्रपति यू विन मिंट सहित कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है और सत्ता अपने हाथ में ले ली है। इसके साथ ही देश में एक साल तक आपातकाल की भी घोषणा की गई है। म्यांमार की राजधानी नेपीता और मुख्य शहर यंगून में सड़कों पर सैनिकों की घेराबंदी है। कई शहरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बंद कर दिया गया है। राष्ट्र्पति के दस्तखत वाली एक घोषणा के मुताबिक देश की सत्ता अब कमांडर-इन-चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेस मिन आंग ह्लाइंग के हाथों में रहेगी। देश के पहले उप राष्ट्रपति माइंट स्वे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। उन्हें सेना प्रमुख का भी दर्ज दिया गया है।

आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सैन्य स्वामित्व वाले टीवी चैनल मयावाडी ने घोषणा की कि देश में एक साल तक आपातकाल रहेगा। साथ ही देश के संविधान के अनुच्छेद 417 का हवाला देते हुए कहा कि सेना को आपातकाल में सत्ता अपने हाथ में लेने की अनुमति हासिल है। टीवी चैनल के हवाले से जो बात सामने रखी गई है उसके अनुसार नवंबर चुनाव कराने में सरकार का विफल होना ही वो कारण है जिसके कारण ऐसी स्थिति बनी है। 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गये संविधान और चार्टर के तहत उसने लोकतंत्र, नागरिक शासन की कीमत पर सत्ता अपने हाथ में रखने का प्रावधान किया। तब भी मानवाधिकार समूहों ने इस अनुच्छेद को संभावित तख्तापलट की व्यवस्था करार दिया था। सेना ने बताया है कि तख्तापलट की वजह पिछले वर्ष नवंबर में हुए चुनाव हैं जिसमें दौरान धोखाधड़ी हुई थी। सेना के इस दावे को आंग सांग सू-की की पार्टी  नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी नकार चुकी है। सेना ने कहा है कि उसने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि देश की स्थिरता खतरे में थी। जानकारी के मुताबिक, किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है।

म्यांमार के संविधान में कैबिनेट के मुख्य मंत्रालय और संसद में 25 फीसदी सीट सेना के लिए आरक्षित रखी गई है। ऐसी स्थिति में लोकतंंत्र की बहाली पूरी तरह से नहीं हो सकती है। सेना के समर्थन के बगैर चार्टर में संशोधन भी नहीं किया जा सकता है। देश की जनता से सेना की कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरने का आह्वान  करते हुए नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा है कि सेना की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है और मतदाताओं की इच्छा एवं संविधान के खिलाफ है इसलिए लोगों को इस तख्तापलट के खिलाफ आवाज बुलंद करना चाहिए।

बता दें कि विश्व भर की सरकारों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने म्यांमार में तख्तापलट की निंदा की है और कहा है कि  देश में सीमित लोकतांत्रिक सुधारों को इससे झटका लगा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के कदम की अमेरिका ने आलोचना की। बाइडेन ने इस देश पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी। बाइडन ने एक बयान में कहा, ‘बर्मा (म्यांमार) की सेना द्वारा तख्तापलट, आंग सान सू ची एवं अन्य प्राधिकारियों को हिरासत में लिया जाना और राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा देश में सत्ता के लोकतंत्रिक हस्तांतरण पर सीधा हमला है।’

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