स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
परिवार, जिसके बिना हर इंसान अधूरा है। सुख-दुख, हंसी-मजाक या उदासी-अकेलापन, अपना-पराया, रिश्ते और अजनबी…. आदि। ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिनके बीच के अंतर को परिवार बखूबी समझाता है। एक व्यक्ति के संपूर्ण विकास में एक अहम भूमिका निभाता है परिवार, जिसे देखने वाला कुछ सदस्यों का समूह भले कहे, लेकिन इस परिवार के बिना व्यक्ति का अस्तित्व अधूरा होता है।
परिवार के ऐसे ही तमाम सकारात्मक पहलुओं से विश्वभर की आवाम को जागरुत करने और परिवार के महत्व को समझने के लिए साल का एक दिन परिवार के नाम भी समर्पित किया गया है। 15 मई, जिसे पूरी दुनिया International Day of Families के रूप में मनाती है। इस दिन को मनाने की शुरुआत किसने की, किन महत्वपूर्ण बिदुंओं से लोगों को अवगत कराने के लिए की, और इस दिन को मनाने के लिए 15 मई की तारीख ही क्यों चुनी गई। इस छोटे से आर्टिकल के माध्यम से ये तमाम बड़ी बातें समझिए।
परिवार का महत्व जो नहीं भी समझते होंगे, बीते एक साल से वो भी इस शब्द की सार्थक परिभाषा भलि-भांति समझ गए होंगे, क्योंकि संकट के समय में आप जहां भी हों परिवार सुख की छाया वाली छत सा प्रतीत होता है। तभी तो परिवार तक पहुंचने का सफर लोग किसी भी कीमत पर पूरा करते हैं, बीते साल लॉकडाउन के दौर में उसकी साक्षात तस्वीरें हम सभी ने देखी थीं। खैर, फिलहाल हम बात कर रहे हैं 15 मई को मनाए जाने वाले International Day of Families की। तो इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य के परिवार की तस्वीर को सदा जीवंत रखना, क्योंकि परिवार के बिना समाज की परिकल्पना अधूरी है लेकिन आज की मॉर्डन सोसाइटी में फैमिली यानि परिवार की परिभाषा काफी बदल गई है। ऐसा नहीं है कि परिवारों का विघटन सिर्फ मौजूदा वक्त में ही हो रहा है, पहले भी परिवारों का विघटन होता रहा है, लेकिन आज ये साधारण बात है, किसी संयुक्त परिवार का झटके में दो या तीन एकल परिवारों में बंटना आज बड़ी बात या गंभीर मुद्दा नहीं समझा जाता, लेकिन गंभीर है। इसीलिए तो परिवार के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए एक दिन विशेष तौर पर निर्धारित करने की जरूरत पड़ी।
International Day of Families यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की शुरुआत हुई साल 1993 में, जब संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस की शुरुआत की और हर साल 15 मई के दिन इसे मनाने की घोषणा की गई। जिसके बाद साल 1996 में पहली बार
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने का मुख्य कारण है मॉर्डन सोसाइटी में परिवारों का विघटन। इस
दिन को सेलिब्रेट कर विश्व के लोगों को संयुक्त परिवार की अहमियत बताने की कोशिश की जाती है। दुनियाभर के समुदायों व लोगों को उनके परिवारों से जोड़ना, सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करना, परिवार से जुड़े मुद्दों पर समाज में जागरूकता आदि इस दिन को मनाने के मुख्य उद्देश्य हैं। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को संयुक्त परिवार के लाभ और एकल परिवार के नुकसानों के प्रति जागरुक किया जाता है और हर साल 15 मई को एक विशेष थीम के साथ अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। इस साल की थीम है Families and New Technologies.
लोगों का मिलजुल कर रहना परिवार का रूप कहलाता है, परिवार के बीच रहने से लोग तनाव, अकेलेपन, डिप्रेशन और मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं से दूर रहते ही हैं प्रसन्नचित्त भी रहते हैं। परिवार में एकसाथ रहकर जहां लोग तमाम तरह की विपत्तियों का सामना कर पाने में सक्षम होते हैं वहीं कई तरह की सामाजिक बुराईयों से भी अछूते रहते हैं, परिवार की इन तमाम खूबियों को आज की युवा पीढ़ी भी समझें, जागरुक बनें और अपने परिवारों से अलग न हों, इसी उद्देश्य से इस दिन को दुनियाभर में मनाया जाता है।
आज की पीढ़ी परिवार का अर्थ सिर्फ कुछ लोगों के साथ रहने को समझती है, बस ईसीलिए कभी आजीविका तो कभी कंफर्ट जोन के चक्कर में युवा संयुक्त से एकल परिवार में शिफ्ट हो जाते हैं, लेकिन अकेलेपन का ये कंफर्ट जोन उन्हें कितनी सारी सामाजिक अच्छाईयों से महरूम करता है ये वो सोच ही नहीं पाते। एकल परिवारों में रहकर ना तो बच्चों को बड़ों का साथ मिलता है, न नैतिक संस्कार और इसी से समाज मे बिखराव की स्थिति आ जाती है। समाज को इसी बिखराव से बचाने के लिए विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार, जो रिश्तों की एक अटूट डोर होता है, एक-दूजे के बीच सहयोग के ऐसे बंधन, जिनमें अपनो की सुरक्षा के वादे-इरादे होते हैं, और संकट के वक्त में सदा एक-दूसरे के साथ रहते हैं, और हमारे देश की संस्कृति व परंपरा में पारिवारिक एकता ही सदा से महत्वपूर्ण रही है, जिस पर बल दिया जाता है। परिवार एक ऐसा आवश्यक संसाधन है, जो समाज की मूल इकाई है और एक सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक आधारभूत संस्था की भांति होता है।
एक सरल वाक्य में परिवार का सार ये है कि लोगों से परिवार बनता है, परिवार से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व और एक सबल विश्व के निर्माण के लिए जरूरी है कि विश्वभर की आवाम परिवार के महत्व को समझें।