आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को प्लास्टिक से बने झंड़ों को लहराने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। सरकार ने प्लास्टिक के राष्ट्रीय झंडे (Plastic Indian Flag) का इस्तेमाल करने से मना करते हुए कहा है कि पॉली प्लास्टिक से बने झंडों का निपटान करना एक विकट समस्या है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं। पत्र में कहा कि राष्ट्रीय ध्वज देश के लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए हमेशा इसका सम्मान होना चाहिए. पत्र में कहा गया, ‘‘राष्ट्रीय ध्वज के लिए सबके मन में स्नेह, सम्मान और वफादारी है. फिर भी राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों और परंपराओं के संबंध में लोगों के साथ-साथ सरकार के संगठनों, एजेंसियों के बीच जागरूकता की एक स्पष्ट कमी देखी जाती है.’
केंद्र ने चिंता जताते हुए कहा है कि प्लास्टिक के झंडे जैविक रूप से अपघटित नहीं होते हैं जिससे इनका उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक व्यावहारिक समस्या है इसलिए राज्यों द्वारा ये सुनिश्चित किया जाए कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के मौकों पर भारतीय ध्वज संहिता 2002 के प्रविधानों के तहत प्लास्टिक के झंडों का उपयोग न किया जाए। कागज के झंड़ों का उपयोग करें, और कार्यक्रम खत्म होने के बाद झड़ों को जमीन पर फेंक कर उनका अपमान न करें।