1 – देश में 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशें शुरु हो चुकी है, बता दें कि प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है, जिसके बाद राज्य सरकार नई नीति लाने जा रही है। जिसके लिए जनसंख्या दिवस के मौके पर 11 जुलाई को योगी सरकार द्वारा यूपी में नई जनसंख्या नीति 2021-30 जारी की जाएगी, इस नई नीति को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद 11 जुलाई को जारी करेंगे। इस नीति के माध्यम से सरकार का फोकस परिवार नियोजन कार्यक्रम पर होगा। नई नीति के तहत गर्भ निरोधक उपायों को बढ़ाने, सुरक्षित गर्भपात की बेहतर व्यवस्था के साथ साथ नवजात मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को और कम करने की रणनीति पर काम होगी। गुरुवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री के सामने नई जनसंख्या नीति का मसौदा पेश किया गया। इसके प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते सीएम योगी ने कहा कि आबादी में बढ़ोत्तरी के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है, कुछ समुदायों में जनसंख्या को लेकर जागरुकता की कमी है इसलिए समुदाय केन्द्रित जागरुकता फैलाई जाएगी।
2- मंत्रीमंडल के विस्तार के साथ 12 मंत्रियों के इस्तीफे ने सबको चौंकाया, जिसके बाद इस्तीफा देने वाले मंत्रियों के पद छोड़ने के पीछे उनके काम काज में कमी के कयास लगाए जाने लगे, लेकिन इन तमाम बातों को सिरे से खारिज करते हुए कल मंत्रीमंडल की अहम बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि इस्तीफा देने वाले मंत्रियों का उनकी कार्य क्षमता से कोई संबंध नहीं है, बल्कि ये मंत्री व्यवस्था के चलते हटे हैं। रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर, रमेश पोखरियाल निशंक और डॉक्टर हर्ष वर्धन समेत 12 मंत्रियों की जगह मंत्री पद का कार्यभार संभालने वाले मंत्रियों को पीएम ने सलाह दी कि वे इन पदों पर रहे मंत्रियों के अनुभव का लाभ उठाएं और मीडिया में बेवजह बयानबाजी से भी बचें। पीएम ने मंत्रियों को क्या करें, क्या न करें की नसीहत देते हुए कहा कि चेहरा चमकाने की बजाय काम पर फोकस करें, और संसद में पूरी तैयारी के साथ पहुंचे।
3- बुधवार को हुए कैबिनेट विस्तार के बाद कल गुरुवार को केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई से बैठक में हेल्थ और एग्रीकल्चर सेक्टर को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए। हेल्थ सेक्टर को लेकर किए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि भविष्य में कोरोना महामारी से निपटने के लिए 23 हजार करोड़ के इमरजेंसी हेल्थ पैकेज का ऐलान किया है। जिसमें 15 हजार करोड़ रुपये केन्द्र और 8 हजार करोड़ रुपये राज्य सरकारें देंगी। तीसरी लहर के बच्चों पर असर की आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने 736 ज़िलों में पीडिएट्रिक यूनिट बनाने का फैसला किया है। इसके अलावा 20 हजार ICU बेड्स और हर जिले में 10 हजार लीटर मेडिकल ऑक्सीजन के स्टोरेज की व्यवस्था की जाएगी, साथ ही हर जिले में एक हजार करोड़ की दवाओं का बफर स्टॉक भी बनाया जाएगा। वहीं केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार मंडियों के सशक्तिकरण पर विचार कर रही है। एपीएमसी खत्म नहीं होंगी बल्कि मंडियों को दुरुस्त करने के लिए कृषि मंडियों को और संसाधन मुहैया कराए जाएगें। साथ ही उन्होंने नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम के बारे में बताते हुए कहा कि नारियल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए लिए साल 1981 में नारियल बोर्ड बना था, जिसमें सरकार संशोधन करने जा रही है। अब बोर्ड का अध्यक्ष गैर शासकीय व्यक्ति होगा जो किसान वर्ग से होगा। साथ ही कृषि मंत्री ने एक बार फिर साफ किया कि कृषि कानून रद्द नहीं होंगे, लेकिन सरकार किसानों से दूसरे विकल्पों पर चर्चा के लिए तैयार है, कृषि मंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म कर बातचीत करने की अपील की, वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस पर कहा कि, सरकार को बातचीत के लिए शर्त नहीं लगानी चाहिए।
4- गुजरात से आने वाले मनसुख मांडविया के स्वास्थ्य मंत्री बनते ही वे सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे। सोशल मीडिया पर उनके 2013-14 के कुछ पुराने ट्वीट्स के स्क्रीन शॉट्स वायरल होने लगे, जिन्हें शेयर कर लोगों ने उनका मजाक बनाया, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया पर अब इन सबका कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब उनका पूरा ध्यान अपनी जिम्मेदारी निभाने पर है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच इस मंत्रालय के कार्यभार को संभालना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा, तैयारियों के लिए वक्त की कमी है। कोरोना से जंग का कारगर हथियार मानी जा रही है वैक्सीन, जिसके लिए सरकार ने दिसंबर तक 94 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है। साथ ही बच्चों पर तीसरी लहर के घातक होने का अंदेशा है। ऐसे में वैक्सीन व दवाओं की उपलब्धता और तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के पर्याप्त प्रबंध एक बड़ी चुनौती है। हालांकि दूसरी लहर के दौरान फार्मा विभाग में राज्य मंत्री के रूप में मांडविया ने दवाओं की आपूर्ति कराने में अहम भूमिका निभाई थी। मुश्किल समय में रेमडेसिविर और दूसरी जरूरी दवाओं की सप्लाई को ठीक करना हो या फिर ऑक्सीजन को विदेश से मंगवाने का काम हो, मांडविया ने वक्त रहते सही फैसले लेकर स्थिति को बेकाबू होने से बचाया था। उनके काम करने के इसी तरीके के चलते शायद उन्हें स्वास्थ्य मंत्रायल का कार्यभार भी सौंपा गया है। अब वे अपने कार्य क्षमता से इतनी बड़ी जिम्मेदारी को कैसे निभाते हैं, ये कोरोना की तीसरी लहर तय करेगी।
5- कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है, ऐसी आशंकाओं के बीच अधिकतर राज्यों ने अभी स्कूल खोलने पर कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन दूसरी लहर के कमजोर होते असर के बीच जहां जिन्दगी पटरी पर लौट रही है तो वहीं कुछ राज्यों में स्कूलों को खोलने की भी तैयारी हो रही है। बता दें कि अगले हफ्ते से उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार समेत कुछ राज्य में स्कूल खोले जा रहे हैं। उत्तराखंड सरकार ने 12 जुलाई से टीचर्स और स्टाफ के लिए सभी स्कूल खोलने का फैसला किया है, जबकि स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन क्लासेज चलती रहेगीं। वहीं बिहार में 10 से 12वीं तक के सभी स्कूल और कॉलेज खोले जा रहे हैं, जिनमें अभी 50 फीसदी छात्रों को बुलाया जाएगा। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी कोविड फ्री जोन्स में पेरेन्ट्स की सहमति से 8वीं से 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए क्लासेज शुरु की जा रही हैं। हरियाणा मे भी कोरोना प्रोटोकॉल्स का कड़ाई से पालन करते हुए सभी स्कूल व कॉलेजों को जल्द खोलने की तैयारी चल रही है।