1- कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच केन्द्र सरकार ने सोमवार को टीकाकरण को लेकर एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत 1 मई से पूरे देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग वैक्सीनेशन करा सकेंगे, जिसके लिए पहले रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए, इससे बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन हो सकें, इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई हाईलेवल मीटिंग में ये फैसला लिया गया है। मीटिंग में इसके अलावा भी कुछ अहम फैसले लिए गए। जैसे वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपने उत्पादन का 50% वैक्सीन केंद्र को सप्लाई करेंगी और बाकी की 50 प्रतिशत वैक्सीन कंपनी खुले बाजारों व राज्यों को दे सकेगी। वहीं राज्य सरकारों को भी सीधे वैक्सीन कंपनियों से वैक्सीन खरीदने का अधिकार होगा। अगले चरण में वैक्सीन चाहे प्राइवेट हॉस्पिटल में लगे या सरकारी में, सरकार द्वारा जारी प्रोटकॉल्स के तहत ही किया जाएगा। इसके अलावा वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से ये भी कहा गया है कि
कंपनियां 50 फीसदी वैक्सीन राज्यों और ओपन मार्केट तक 1 मई से पहले पहुंचाएंगी और इसकी कीमत भी पहले ही बतानी होगी और वैक्सीन लगाने वाले प्राइवेट हॉस्पिटल्स को भी वैक्सीन की कीमत पहले ही बतानी होगी। 1 मई से शुरु होने वाले अगले चरण के दौरान भी जिनके लिए
वैक्सीन मुफ्त थी आगे भी मुफ्त लगाई जाएगी। केन्द्र सरकार विभिन्न राज्यों को संक्रमण की स्थिति और वैक्सीनेशन की स्पीड को देखते हुए वैक्सीन सप्लाई करेगी, लेकिन यदि टीके की बर्बादी करता है तो केन्द्र सरकार की तरफ से उसे टीकों की सप्लाई भी कम होगी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार कम वक्त में ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन करने की दिशा में कार्यरत है, साथ ही प्रधानमंत्री ने वर्चुअल मीटिंग में कॉक्टर्स की मेहनत और काम की तारीफ करते हुए उनकी हौसला अफजाई की।
2- देश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच महाराष्ट्र के बाद अब यूपी और दिल्ली में भी स्थिति खराब होती जा रही है, दिल्ली में कल रात से सोमवार सुबह तक के लिए पूरी तरह लॉकडाउन किया गया है वहीं यूपी में स्थिति बिगड़ती देख इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी राज्य के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने के आदेश दिए हैं। यूपी में बढ़ते कोरोना संक्रमण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 5 शहरों प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक कंप्लीट लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले भी कोर्ट ने सरकार को स्थिति
की गंभीरता को भांपते हुए अलग-अलग शरहों में लॉकडाउन का सुझाव दिया था, जिसके बाद योगी सरकार ने अहतियातन नाइट कर्फ्यू लगाया लेकिन स्थिति नियंत्रण के बाहर हो रही है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने लॉकडाउन का आदेश दिया है, लेकिन दूसरी तरफ योगी सरकार का कहना है कि जीवन के साथ जीविका बचाने की भी चुनौती है इसलिए कंप्लीट लॉकडाउन नहीं किया जा सकता, क्योंकि अहतियातन राज्य में पहले ही काफी सख्त पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं। इसके अलावा राजस्थान में भी रिकॉर्ड 10 संक्रमितों का आंकड़ा पार होने के बाद राज्य सरकार ने तुरंत 15 दिन का लॉकडाउन लगाया है, यानि 3 मई तक राजस्थान में इसेशिंयल सर्विसेज को छोड़कर सभी पर पाबंदी रहेगी।
मध्यप्रदेश के इंदौर में भी बेकाबू होते हालात को देखते हुएशिवराज सरकरान ने यहां शादियों पर पाबंदी लगाई है और प्रदेश के 4 बडे़ शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में 2 हजार बेड के कोविड अस्पताल खोलने का ऐलान किया।
3- दिल्ली में जैसे ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साप्ताहिक लॉकडाउनक का ऐलान किया, सब अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बीते साल की तस्वीरें फिर से जीवंत हो उठीं। हालांकि केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा के दौरान प्रवासियों को ये सांत्वना भी दी और अपील भी की लेकिन नतीजा सिफर ही नजर आ रहा है। केजरीवाल ने असमर्थता जताते हुए कहा, दिल्ली में रोजाना 25 हजार केस आ रहे हैं, अगर अब भी लॉकडाउन नहीं लगा तो स्थिति काफी बिगड़ जाएगी। प्रवासी मजदूरों से गुजारिश करते हुए उन्होंने कहा ये छोटा सा लॉकडाउन है। दिल्ली छोड़कर मत जाइएगा सरकार आपका ख्याल रखेगी। मैं हूं ना, मुझ पर भरोसा कीजिए। बावजूद इसके आनंनद विहार आईएसबीटी पर हजारों की भीड़ उमड़ी। ऐसे में आशंका है कि यदि लॉकडाउन बढ़ा तो दिल्ली में रह रहे प्रवासी एक बार फिर अपने घरों का रुख करेंगे और 2020 की वो तस्वीरें, वो दर्द फिर से ताजा होगा।
4- हाल ही में दुनिया के प्रमुख हेल्थ रिसर्च जर्नल लैंसेट ने दावा किया था कि कोरोना वायरस हवा के जरिए तेजी से फैलता है, साथ ही ये भी सुझाया था कि WHO और दूसरी स्वास्थ्य एजेंसियां को इस वायरस से लड़ने के तरीके में तुरंत बदलाव करें। इस रिसर्च में किए दावे को अबे केन्द्र सरकार ने भी स्वीकारा है। सरकार ने भी ये मान लिया है कि कोविड संक्रमण हवा में ज्यादा तेजी से हो रहा है। मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के हवाले से, ICMR और नीति आयोग ने ये बातें कही हैं। कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से फैल रहे संक्रमण के बारे में सोमवार को नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया कि पहली लहर के मुकाबले इस बार लोगों को सांस लेने में परेशानी ज्यादा आ रही है। इसीलिए ऑक्सीजन की जरूरत भी ज्यादा है। पहली लहर में जहां ज्यादातर मरीजों में शरीर दर्द के लक्षण दिखाई दे रहे थे वहीं इस बार सांसों पर कोरोना का प्रहार है, लेकिन साथ ही ICMR ने ये भी कहा कि दूसरी लहर पहली के मुकाबले कम खतरनाक है। यानि अगर हम सिर्फ प्रशासन भरोसे सारी सिम्मेदारियो का ठीकरा न मढ़ें और कोविड प्रोटोकॉल्स को ईमानदारी से स्वीकारें और अमल करें, तो अपने अपने स्तर पर स्थिति को नियंत्रित करने में काफी योगदान दे सकते हैं।
5- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अभी 2 दिन पहले ही अपना मौन तोड़ते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोविड की बेकाबू होती स्थिति से निपड़ने के लिए चिट्ठी लिखकर कई सुझाव दिए थे और कल वो खुद इस बीमारी की चपेट में पाए गए हैं। 88 साल के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है। आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोविड वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, जिसके बाद वो कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि होने की जानकारी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए ट्वीट किया, ‘‘अपने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के उत्तम स्वास्थ्य और जल्द से जल्द उनके ठीक होने की कामना करता हूं।’’