1- यदि आपने अभी तक कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है तो ये खबर खास आपके लिए है, क्योंकि अब तक की कई रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में वैक्सीन ही एक कारगर हथियार है। अब हाल ही में NIV यानि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा वैक्सीनेशन पर की गई स्टडी में भी ये बात साबित हुई है कि वैक्सीन, कोरोना के सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा से होने वाली मौतों से भी 99 फीसदी तक सुरक्षा मुहैया कराती है। रिसर्च में सामने आया है कि बैकथ्रों इन्फेक्शन यानि वैक्सीन लेने के बाद कोविड संक्रमित हुए 9.8% लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जबकि सिर्फ 0.4% संक्रमितों की ही मौत हुई। ऐसे में यदि आपने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है तो तुरंत लगवाएं क्योंकि कोरोना संक्रमण के घातक असर से बचने का एकमात्र कारगर हथियार केवल वैक्सीनेशन ही है और इसमें भी दूसरा डोज अहम है।
2- पंजाब कांग्रेस में जारी घमासान अब शांत होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस नेतृत्व का फैसला मानने को तैयार हो गए हैं। आलाकमान का संदेश लेकर चंडीगढ़ पहुंचे पंजाब प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात के बाद पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगी वो सबको स्वीकार होगा। कैप्टन को अब नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश प्रधान बनाए जाने पर एतराज नहीं है। इसके बाद सिद्धू पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष होंगे। हालांकि नवजोत सिंह सिदद्धू की ताजपोशी की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बताया जा रहा है कि सोमवार को सिद्धू के लिए पंजाब प्रधान पद पर घोषणा की जा सकती है। इसके अलावा सिद्धू की टीम में रखे जाने वाले तीन से चार कार्यकारी प्रधानों का चयन कैप्टन अमरिंदर सिंह की मर्जी से होगा और कैबिनेट के फेरबदल में भी कैप्टन को फ्री हैंड मिलेगा, इसमें किसी का दखल नहीं रहेगा।
3- जनसंख्या नियंत्रण योजना या कहिए उपायों/प्लानिंग्स की खबरें बीते एक-दो दिन से खूब सुर्खियों में हैं। यूपी समेत कुछ भाजपा शासित प्रदेशों में इसके लिए पृष्ठभूमि भी तैयार हो रही है, जिस पर अब उंगली उठाई है कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने। शनिवार को शशि थरूर ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि इसके पीछे पार्टी की राजनीतिक मंशा है, और भाजपा का मकसद एक समुदाय विशेष को निशाना बनाना है। शशि थरूर ने भाजपा पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि ये कोई इत्तेफाक नहीं है कि उत्तर प्रदेश, असम और लक्षद्वीप में आबादी कम करने की बात हो रही है, जहां हर कोई जानता है कि उनका इरादा किस ओर है। आपको बता दें कि हाल ही में विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का एक मसौदा सामने रखा गया है। जिसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जिनमें दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ेगा, जबकि 1 या 2 संतानों वाले दंपति को कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। इसी के बाद से जनसंख्या नियंत्रण योजना के मुद्दे ने सुर्खियों में जगह बनाई हुई है।
4- यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने लॉन्ग कोविड यानि शरीर से वायरस जाने के बाद भी लक्षण दिखने की समस्या से जूझने वाले मरीजों पर स्टडी की है। इस रिसर्च में पता चला है कि लंबे वक्त से कोविड से जूझ रहे लोगों में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी शरीर को 10 अंगों से जुड़े 200 से ज्यादा लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे थकान, बेचैनी, सोचने-समझने की क्षमता घटना, कंपकंपी, खुजली, महिलाओं के पीरियड्स में बदलाव, सेक्शुअल डिस्फंक्शन, हार्ट पेल्पिटेशन, यूरिन स्टोर करने वाले ब्लैडर को कंट्रोल न कर पाना, याद्दाश्त घटना, धुंधला दिखाई देना, डायरिया, कानों में आवाजें सुनाई देना और दाद आदि। वैज्ञानिकों ने 56 देशों के ऐसे 3 हजार 762 मरीजों से बात की जो लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं, वैज्ञानिकों ने इन मरीजों से कोविड से संबंधित ढाई सौ से ज्यादा सवाल किए। इन सभी की उम्र 18 साल से ज्यादा थी। इन मरीजों में 95 फीसद से ज्यादा में ऐसे लक्षण 3 महीने बाद भी दिखते रहे जबकि कुछ में ये लक्षण 6 महीने तक दिखाई दिए। अभी तक की रिसर्च में एक्सपर्ट्स ने पाया है कि लॉन्ग कोविड के मामले में ऐसे लक्षण 35 हफ्तों के बाद तक दिखना जारी रह सकते हैं और ये लक्षण कितने गंभीर होंगे इसका पता भी बाद में ही चलता है।
5- कोरोना महामारी के चलते इस साल भी नहीं होगी कांवड यात्रा, मंजूरी देने के बाद भी योग सरकार को सुप्रीम कोर्ट के कहने पर रद्द करनी पड़ी कांवड यात्रा। दरअसल यूपी सरकार ने 13 जुलाई को 25 जुलाई से होने वाली कांवड यात्रा को कोविड प्रोटोकॉल्स के तहत मंजूरी दी थी, लेकिन दूसरी तरह उत्तराखंड सरकार ने पहले ही कांवड यात्रा स्थगित कर दी और 22 जुलाई की सुबह से हरिद्वार की सभी सीमा सील करने का भी आदेश दिया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की बात कही और केन्द्र व यूपी सरकार को इस विषय में नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इसके बाद यूपी सरकार ने कांवड़ संघों से बातचीत कर संघों की सहमति से इस साल भी यात्रा रद्द करने का फैसला किया है। यूपी सरकार की तरफ से कांवड यात्रा को लेकर लगातार तैयारियां की जा रही थीं, लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस साल भी यात्रा को रद्द किया गया।