1- IT एक्ट की धारा 66A के तहत दर्ज हुए तमाम केस अब वापस लिए जाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी की IT एक्ट की धारा 66A, जिसके तहत केस दर्ज किए गए हैं, वो धारा सुप्रीम कोर्ट साल 2015 में ही खत्म कर चुका है, लेकिन खत्म हुई उस धारा के तहत 7 साल में 1 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, जो भी चल रहा है वो भयावह है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार कहा कि सभी पुलिस स्टेशनों को ये निर्देश भेजें कि धारा 66A के तहत कोई केस दर्ज न किया जाए और अगर दर्ज किए गए केस वापस लिये जाएं। धारा 66A पर सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद केन्द्र सरकार तुरंत एक्शन में आई और इस बावत सभी राज्य सरकारों को आदेश जारी किए। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को IT एक्ट की धारा 66A को ये कहते हुए खत्म किया था कि ये कानून धुंधला, असंवैधानिक है जो बोलने की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।
2- कोरोना महामारी की तीसरी लहर के प्रति बेपरवाह हुए लोगों के रवैये पर सख्त रुख अपनाते हुए केन्द्र सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि जहां भी कोरोना प्रोटोकॉल्स के प्रति लापरवाही बरतती दिखाई दे, वहां तुरंत लॉकडाउन लगाया जाए। केन्द्र सरकार ने राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशो को ऐसे वक्त में चेतावनी और हिदायतें दी हैं, जब दूसरी लहर खत्म होने से पहले ही तीसरी के आने की आहट सुनाई देने लगी है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा गया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कोविड गाइडलाइन्स का पालन नहीं हो रहा, बाजारों में बढ़ी भीड़ के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और किसी भी तरह की लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है, इसलिए कोरोना से बचाव के नियमों का पालन जरूरी है। पत्र में सख्ती बरतने के निर्देश देते हुए कहा गया है कि, किसी भी संस्थान, परिसर, बाजार या इस तरह के स्थलों पर कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन होता है तो वहां दोबारा से पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। साथ ही कोविड प्रोकोटकॉल्स का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित धाराओं में सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
3- बढ़े हुए महंगाई भत्ते के रूप में मोदी सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद ही सही, कोरोना के चलते केन्द्रीय कर्मचारियों के अतिरिक्त महंगाई भत्ते पर लगी रोक हटा ली गई है और जुलाई महीने से कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। केंद्र सरकार के 48 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को ये सौगात देते हुए ऐलान किया है कि अब कर्मचारियों और पेंशनरों को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी डीए दिया जाएगा। जो 1 जुलाई 2021 से लागू होगा। ये फैसला कल, गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। हालांकि कर्मचारियों और पेंशनरों को बीते 18 महीने का एरियर देने पर फैसला नहीं लिया गया है।
4- केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल अब राज्यसभा में सदन के नेता होंगे। पीयूष गोयल से पहले ये पद, हाल ही में कर्नाटक के राज्यपाल बनाए गए पूर्व सामाजिक एवं न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के पास था, और उनसे पहले ये खास जिम्मेदारी अरुण जेटली निभा रहे थे, जो अब केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल को दी गई है। पीयूष गोयल अब वाणिज्य मंत्री हैं। इसके अलावा उपभोक्ता एवं खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय और टेक्सटाइल मिनिस्ट्री का प्रभार भी उन्हीं के पास है। 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरु हो रहा है जिससे महज कुछ दिन पहले ही उन्हें ये अहम जिम्मेदारी दी गई है।
5- कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के खतरों को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कांवड यात्रा पर रोक लगाई है साथ ही कांविड़यों को हरिद्वार आने से रोकने के लिए सख्त चेतावनी भी जारी की है। साथ ही कांवड यात्रा रद्द करने के बाद बस ऑपरेटरों को हरिद्वार आने की बुकिंग न लेने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं, ट्रेवल व रोडवेज बसों के जरिए आने वाले कावंडियों को रोकने के लिए भी योजना बनाई जा रही है। पुलिस प्रशासन ने साफ किया है कि कांवड यात्रा पर पाबंदी होने के बाद भी यदि कांवड़ लेने आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने सभी जरूरी तैयारियां भी पूरी कर ली हैं ताकि कांविड़यों को हरिद्वार आने से रोका जा सके। बताया जा रहा है कि कांवड यात्रा पर पाबंदी के चलते 24 जुलाई से बॉर्डर सील कर दिए जाएंगे और बॉर्डर पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नियुक्त किया जाएगा। वहीं कोरोना संकट के बीच कांवड़ यात्रा को यूपी सरकार की ओर से अनुमति दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से यूपी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। शीर्ष अदालत ने सरकारों को नोटिस जारी कर कांवड़ यात्रा को परमिशन दिए जाने को लेकर जवाब मांगा है। अदालत ने इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करने का फैसला लिया है। जस्टिस आर.एफ नरीमन की बेंच ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।