दिवाली से पहले पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकारों ने प्रतिंबंध लगाना शुरु कर दिया है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के प्रतिबंध लगाने के बाद अब जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रदेश में इको फ्रैंडली आतिशबाजी करने खरीदने और बेचने की इजाजत दी है। कुछ राज्यों ने एक ओऱ जहां पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि कुछ राज्य सरकारों ने ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है लेकिन उसके लिए भी समय सीमा तय की गई है।
जम्मू-कश्मीर में लोग केवल ग्रीन पटाखे ही फोड़ सकेंगे। राज्य सरकार की तरफ से दिए गए आदेश के मुताबिक त्योहारों के समय लोग केवल रात 8 बजे से 10 बजे तक ही ग्रीन पटाखे फोड़ सकेंगे।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
नॉर्मल पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से हानिकारक धुआं और पदार्थ (गैसें) कम निकलते हैं। ग्रीन पटाखों से प्रदूषण 40 से 50 फीसदी तक प्रदूषण घटाया जा सकता है। ग्रीन पटाखे आकार में छोटे होते हैं, जिनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है या फिर इनकी मात्रा बहुत कम होती है। दिखने, जलने और आवाज में ग्रीन पटाखे बाकी पटाखों की तरह ही होते हैं। इनसे नाइट्रोजन और सल्फर जैसी गैसें भारी मात्रा में नहीं निकलतीं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया है प्रतिबंध
दीपों के त्योहार दिवाली को पटाखों का प्रदूषण पर्यावरण के प्रतिकूल बनाता है, हालांकि पटाखे के इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर साल राज्य सरकारें पाबंदियां लगाती हैं लेकिन उत्सवों की आड़ में पाबंदियों की परवाह कम ही लोग करते हैं, इसी को गंभीरता से लेते हुए इस बार सुप्रीम कोर्ट पटाखों पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सभी तरह के पटाखों पर पाबंदी नहीं है, सिर्फ उन्हीं पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है जिनमें बेरियम साल्ट होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी अथॉरिटी को कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन और उत्सव की आड़ में प्रतिबंधित पटाखों को अनुमति नहीं दी जा सकती है। दूसरों के स्वास्थ्य की कीमत पर उत्सव नहीं मनाया जा
सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया, स्थानीय केबल (टीवी) सर्विस का इस्तेमाल होना चाहिए। अदालत ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में राज्यों, एजेंसियों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से किसी भी चूक को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।