बिहार विधानसभा चुनावों में ज्यादातर एक्जिट पोल धरे के धरे रह गये। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत हासिल किया है तो महागठबंधन के युवराज सत्ता की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाये। हालांकि इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि दोनों मुख्य गठबंधनों के बीच मुकाबला कांटे का था। तेजस्वी यादव की कोशिशों की सराहना जरूर होनी चाहिए लेकिन एक बात जो सामने आयी है कि चिराग पासवान काफी हद तकअपने मंसूबों में कामयाब रहे। नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी बेबाकी और कुशासन के आरोप लगा कर उन्होंने नतीजों को अप्रत्याशित तौर पर प्रभावित तो कर दिया है।
चुनाव के जो परिणाम सामने आये हैं उसमें नीतीश कुमार का जनता दल यूनाइटेड (JDU) भारतीय जनता दल (BJP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बाद राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गया है। देखा जाये तो कहीं ना कहीं इस बात का अंदेशा जरूर था कि भाजपा नीतीश कुमार को कमतर दिखाने की कोशिश कर रही है। अब तो यही कहेंगे कि भाजपा का बिहार में बड़ा भाई बनने का सपना पूरा हो गया है। एक जो कसक बिहार भाजपा के नेताओं के नेताओं में हमेशा पल रही थी वो भी इस चुनाव के साथ साफ हो गया है। 2015 के विधानसभा चुनाव पर अगर गौर करें तो उस समय तीसरे नंबर पर रही बीजेपी को सबसे ज्यादा उछाल मिला है। जेडीयू दूसरे से तीसरे नंबर पर खिसक गई है। आरजेडी पिछले चुनाव में पहले नंबर पर थी। 2015 में बीजेपी को 53 सीटें हासिल हुईं थीं। आरजेडी के साथ लड़ी जेडीयू ने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी तो आरजेडी ने 80 सीटों पर कब्जा किया था। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 27 सीटों पर जीत हासिल की थी तो इस बार उसे 21 सीटों पर बढ़त है।
भाजपा ने न सिर्फ प्रदेश में खुद को और मजबूत किया है बल्कि अब नीतिश के सामने नैतिकता की बड़ी समस्या भी खड़ी कर दी है। हालांकि, चुनाव के दौरान बीजेपी की तरफ से बार बार यह सफाई जरूर आई है कि नतीजे चाहे जो हों, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेता नीतीश कुमार ही होंगे। लेकिन कहीं ना कहीं भाजपा के बेहतरीन प्रदर्शन और जेडीयू के नीचे गीरने से ऐसी बातों उभर कर आ रही हैं कि बीजेपी का ही चेहरा मुख्यमंत्री के रूप में आना चाहिए।
देखा जाये तो चिराग पासवान के साथ बीजेपी की भी मिली भगत से जेडीयू के प्रदर्शन में कमी आई है। बार-बार बीजेपी के अंदर से नीतीश को दबाने की आवाजें मुखर हुई हैं। तभी तो भाजपा के वरिष्ठ नेता चिराग पासवान से लगातार मिलते रहे। बीजेपी ने चिराग पासवान का सहारा लिया और लोजपा ने जेडीयू के खिलाफ वोट कटवा की भूमिका निभाई।
बिहार बीजेपी में अपना सीएम बनाए जाने की उठती आवाजों को ठंडा करने के लिए जेडीयू नेताओं ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि बिहार में सीएम नीतीश कुमार के नाम पर ही एनडीए बहुमत से जीती है।