महिला सशक्तिकरण को लेकर बड़ी-बड़ी बाते करने वाले राजनीतिक दलों ने बिहार चुनाव 2020 में महिलाओं को न के बराबर सीटें देकर यह दिखा दिया है कि राजनीति में पुरूषों का ही वर्चस्व है। दरअसल, बिहार में दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को होना है। दूसरे चरण के लिए कुल प्रत्याशीयों (पुरुष, महिला और ट्रांस्जैंडर) की संख्या 1,464 है लेकिन राज्य के 17 जिलों के 94 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे इस चुनाव में कुल 146 महिलाएं ही चुनावी मैदान में हैं।
चौंकाने वाली वात तो यह है कि मात्र 27 महिला प्रत्याशियों को बड़े राजनीतिक दलों के द्वारा टिकट दिया गया है। एनडीए ने 13 महिला प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है जबकि महागठबंधन में आठ महिलाओं को टिकट मिला है। लोक जनशक्ति पार्टी केवल 6 महिला उम्मीदवारों पर भरोसा दिखा पाई है। बाकी महिलाएं या तो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में हैं या फिर छोटे राजनीतिक दलों की टिकटों पर वो किस्मत आजमा रही हैं।
हैरत तो इस बात पर भी है कि कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां से किसी भी दल से कोई महिला उम्मीदवार नहीं है। वैशाली, सीतामढ़ी, सिवान का महराजगंज विधान सभा क्षेत्र, पटना साहिब के नौ विधानसभा क्षेत्रों, फतुहा कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां से कोई महिला कैंडिडेट नहीं है। कुमारहार ऐसा क्षेत्र है जहां से 24 उम्मीदवार खड़े हैं, जिसमें केवल एक महिला उम्मीदवार है। बांकीपुर में भी कुल 22 उम्मीदवार हैं, लेकिन महज़ चार महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। दीघा में भी आलम कुछ ऐसा ही है। यहां से छह महिला उम्मीदवार है, लेकिन मात्र एक ही सीपीआई (एमएल) से है बाकी पांच महिलाओं पर या तो छोटी पार्टियों ने भरोसा दिखाया है या फिर वो इंडिपेंडेंट ही राजनीतिक जंग का हिस्सा हैं।