तीन नये कृषि कानूनों (Farm laws) के विरोध में किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया है। हालांकि देश की राजधानी इस समय किसानों के आंदोलन का केंद्रबिंदु बनी हुई है लेकिन इसकी लपटें देश के हर हिस्से में दिख रही है। दिल्ली में हजारों की संख्या में किसानों ने कृषि कानून के विरोध में डेरा डाल रखा है। पिछले 11 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार के साथ उनकी पांच वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्काजाम किया जाएगा। ऐसा इसलिए ताकि कामकाजी लोग दफ्तर जा सकें और उन्हें परेशानी न हो। एंबुलेंस और विवाह समारोहों में भी प्रदर्शन के कारण किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी। किसान नेताओं ने यह कहा है कि भारत बंद के दौरान किसी तरह का उपद्रव नहीं होगा। पूरी तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जाएंगे।
कई राज्यों से किसानों ने इस आंदोलन में साथ देने के लिए दिल्ली का रुख किया है। भारत बंद को फिलहाल 8 राज्य सरकारों का समर्थन मिल गया है। इनमें दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र सरकार शामिल हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने किसानों की मांगों पर तो साथ दे रही हैं लेकिन वो भारत बंद का समर्काथन नहीं कर रहीं।
शिवसेना, कांग्रेस, DMK, कमल हसन की MNM, RJD, BSP, समाजवादी पार्टी, NCP, आम आदमी पार्टी, गुपकार अलायंस, लेफ्ट, TRS, DMK, MDMK,NC, PDP समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने किसानों की मांगों और भारत बंद का समर्थन किया है। किसान और सरकार की इस लडाई में कई राजनीतिक दल लगातार अपनी राय रख रहे हैं। पर किसान संगठनों ने यह साफ कह दिया है कि भारत बंद के दौरान किसानों के मंच पर किसी भी राजनीतिक दल के नेता को जगह नहीं दी जाएगी।
केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं पर 11 दिनों से जमे हुए हैं। कड़कड़ाती ठंड और सड़कों पर रह रहे किसान भी डटे हुए हैं कि सरकार उनकी मांगें माने वरना वो आंदोलन तेज करेंगे और दिल्ली पहुंचने वाली सड़कें बंद कर देंगे।
शनिवार को पांचवें दौरे की हुई बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से अपील किया था कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेज दिया जाये। बैठक में रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बैठक में मौजूद 40 कृषक नेताओं से उनका पक्ष सुनना चाहती थी। कृषक नेताओं से सुझाव ले लिए गये हैं। नौ दिसंबर को होने वाली छठी वार्ता में शायद कोई समाधान निकल जाए।
9 दिसंबर को किसान-सरकार की छठी वार्ता
9 दिसंबर की सुबह 11 बजे फिर से किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 6वें दौर की बैठक होनी है। इसके पहले केंद्र सरकार की तरफ से किसान नेताओं को प्रस्ताव दिया जाएगा। किसान नेता उस प्रस्ताव पर आपस में चर्चा के बाद केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करेंगे।