एलोपैथिक vs आयुर्वेद को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। बाबा रामदेव की डॉक्टरों के उपर की गई टिप्पणियों और एलोपैथी को लेकर मजाक उड़ाने के मामले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लगातार कार्रवाई करने की मांग कर रहा है। इसी मामले में पटना के पत्रकार नगर थाने में भी बाबा के खिलाफ आईएमए ने केस दर्ज करवाया है। केस बिहार शाखा के मानद राज्य सचिव डॉक्टर सुनील कुमार के बयान पर दर्ज किया गया है।
आईएमए ने एफआईआर यह कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पद्धती के खिलाफ जनमानस के मन में भ्रम पैदा की। डॉ सुनील ने आरोप लगाया है कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी के प्रति अविश्वास पैदा किया है और डॉक्टरों की भावनाओं को चोट पहुंचाया है। साथ ही यह आरोप भी लगाया है कि बाबा रामदेव के बयान के कारण कई लोगों की कोरोना के चलते मौत हुई और इसका असर कोविड टीकाकरण अभियान पर भी पड़ा है।
आईएमए ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव को कोरोनिल दवा का विज्ञापन बंद करने को कहा था। इसके बावजूद बाबा रामदेव ने ऐसा नहीं किया। डॉक्टर सुनील ने आरोप लगाया है कि जब पूरा बिहार और देश कोविड के लहर ये जूझ रहा था तब बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ऑक्सीजन थेरेपी, सरकार द्वारा स्वीकृत दवाओं को लेकर जानबूझकर गलत बातें कहीं। उन्होंने कोविड मरीज को इन सभी तरीकों से ईलाज न करवाने की सलाह दी।
बता दें कि बिहार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005, आईपीसी की धारा 860, 124 ,153 ,186, 188, 269 ,270, 336, 420, 499, 500, 5005 और 511 आईपीसी धारा के तहत मामला दर्ज करवाया है।
बता दें कि रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है। तब से ही आईएमए कार्रवाई की मांग कर रहा है।