देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज तीसरी पुण्यतिथि है। पांच दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता है। वो तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले वाजपेयी जी के जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें देश हरदम याद रखेगा। एक ऐसा ही किस्सा है उनके जीवन से जुड़े 13 नंबर का। यूं तो 13 नंबर को अक्सर लोग अच्छा नहीं मानते हैं लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी में तेरह नंबर ने खूब खेल खेला है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली लेकिन बहुमत साबित न होने पर 13 दिन बाद सरकार गिर गई।
दूसरी बार भी अटल बिहारी वाजपेयी 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री रहे और इसके बाद सरकार गिर गई।
तीसरी बार सरकार बनाने पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में 13 दलों का गठबंधन रहा और 13 अक्तूबर 1999 को ही उन्होंने शपथ भी ली।
तीसरी बार 13 अक्तूबर को शपथ न लेने के लिए लोगों ने मना किया लेकिन अटल जी नहीं माने और यह सरकार पूरे पांच साल चली।
अटल जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि विपक्षी दल भी उनके कायल थे। विरोधी भी उनकी वाकपटुता और तर्कों के मुरीद हो जाया करते थे।
1994 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी अटल जी को सौंपी थी। तब इस बात को लेकर बेहद आश्चर्य हुआ था। विपक्षी नेता पर ऐसे भरोसे को पूरी दुनिया में आश्चर्य से देखा था।
अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण आज भी याद किये जाते हैं। वो राजनेता होने के साथ एक शानदार वक्ता और बेहतरीन कवि भी थे। शब्दों पर उनकी जादुई पकड़ का सुनने वाला कायल हो जाता है।
एक से बढ़कर एक रचनाएं, कवि हृदय लेकिन इरादे ‘अटल’ थे। 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध, भारत की फतेह और परमाणु परीक्षण उनके व्यक्तित्व और अटल इरादों की कहानी कहते हैं।
आपको बता दें कि साल 2018 में एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद अटल जी ने दिल्ली एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थी। एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले अटल जी को देश हमेशा याद रखेगा।