कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद (Ahmed Patel) का बुधवार सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर निधन हो गया। कोरोना से एक लंबी लड़ाई के बाद अहमद पटेल ने आज सुबह आखिरी सांस ली। वे 71 साल के थे। इस बात की जानकारी उनके बेटे फैजल पटेल ट्वीट कर दी है।
फैजल पटेल लिखते हैं, ‘मैं सभी शुभचिंतकों से आग्रह करता हूं कि वे कोरोना गाइडलाइंस का विशेष रूप से पालन करें और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखें।’ नहीं रहे.
अहमद पटेल अक्टूबर में कोरोना संक्रमित हुए थे। इस बात की जानकारी उन्होंने खुद ट्वीट करके दी थी। 1 अक्टूबर को उन्होंने ट्वीट में लिखा था, ‘मैं कोरोना संक्रमित पाया गया हूं। जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं मैं उन सभी से आग्रह करता हूं कि वे खुद को आइसोलेट कर लें।’ उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं और 5 बार राज्यसभा के सांसद रहे। अगस्त 2018 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का कोषाध्याक्ष नियुक्त किया गया था। 1977 में 26 साल की उम्र में वो पहली बार भरूच से लोकसभा का चुनाव जीते थे। यह चुनाव उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था। एक तो यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था दूसरा यह 1977 का वो दौर था जब जनता पार्टी की लहर थी।
वे 1993 से राज्यसभा सांसद थे। साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के पीछे अहमद पटेल की भूमिका प्रमुख रही।
सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव के तौर पर अहमद पटेल की भूमिका कांग्रेस पार्टी को हमेशा आगे की ओर ले गई। हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल कांग्रेस परिवार के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे और पार्टी के लिए उनकी भूमिका सशक्त थी।
अहमद पटेल के जाने से पार्टी को एक भारी झटका लगेगा क्योंकि इन दिनों पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। अभी पार्टी को सही रास्ते पर लाने में अहमद पटेल की भूमिका सबसे अहम हो सकती थी।