श्वेता रंजन, नई दिल्ली
क्या तीरथ सिंह रावत की तरह ममता बनर्जी के दिन भी लद गये हैं? दरअसल तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद यही अंदाजा लगया जा रहा है कि भाजपा ने तीरथ के बहाने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।
तीरथ सिंह रावत के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद कल शनिवार शाम ही भाजपा के युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी सीएम पद के लिए
शपथ लेने वाले थे लेकिन फिर इस कार्यक्रम को आज के लिए रखा गया। अब पुष्कर धामी आज उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर शपथ लेंगे। 45 साल के पुष्कर धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि पहले कयास लगाए जा रहे थे कि दिग्गज नेता सतपाल महाराज राज्य के नए सीएम हो सकते हैं लेकिन विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनकर पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने एख बार फिर सभी को चौंका दिया है। कल शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में हुई विधायक मंडल दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को सर्वसम्मति से राज्य का नया सीएम चुना गया है।
आपको बता दें कि रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ 10 मार्च को ली थी। चूंकि वह विधानसभा के सदस्य नहीं है, ऐसे में 10 सितंबर से पहले उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी थी। तीरथ ने संवैधानिक संकट और अनुच्छेद 164 का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, कोई मंत्री अगर 6 माह की अवधि तक राज्य के विधानमंडल (विधानसभा या विधान परिषद) का सदस्य नहीं होता है तो उस समयसीमा के खत्म होने के बाद मंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
कोरोना महामारी के दौर में चुनाव कराना संभव नहीं, ऊपर से यह नियम कि कोई भी उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है जब विधायिका का कार्यसमय एक साल से कम हो। अब चुंकि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च में होने की संभावना है और मौजूदा विधानसभा का अगले वर्ष 21 मार्च तक ही वैद्य है। बावजूद इसके कि उत्तराखंड विधानसभा में विधायकों की मृत्यु के कारण दो सीटें खाली हैं, चुनाव आयोग उपचुनाव नियमों का उल्लंघन नहीं करेगा। इस कारण उपचुनाव करवाने की संभावना समाप्त हो जाती है।
क्यों है ममता बनर्जी की सरकार को खतरा
तीरथ सिंह रावत का सीएम की कुर्सी छोड़ना ममता के लिए खतरे की घंटी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। दीदी ने 4 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संवैधानिक बाध्यता के अनुसार उन्हें सीएम पद की शपथ लेने के दिन से छह महीने के अंदर यानी 4 नवंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। ममता ने अपने लिए भवानीपुर सीट खाली तो करा ली है लेकिन उनकी राह में रोड़े भी हैं। वह विधानसभा की सदस्य तभी बन पाएंगी नवंबर से पहले चुनाव हो सके और वो विधानसभा की सदस्य बन सकें। कोरोना महामारी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सभी चुनाव स्थगित किए हुए हैं। जाहिर सी बात है उत्तराखंड में रावत के इस्तीफे से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी घबरा गई होंगी।