स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
नए साल के आगाज पर, हर जाने वाला साल कुछ खट्टी तो कुछ मीठी यादों का पिटारा बनता है लेकिन साल 2020 को लेकर लोगों का अनुभव कुछ अलग रहा। अपनी लाइव में शायद ही किसी ने कभी सोचा था कि अनचाही इतनी सारी छुट्टियां बिनामर्जी के मिलेंगी कि हजम ही नहीं होंगी। कोरोना के चलते ये साल हर आमौखास को अच्छी यादें कम ही देकर गया है, कोरोना के कहर के चलते जहां बहुत सारे लोगों ने अपनी जान गंवाई वही इस साल हमने बहुत से चहेते बॉलीवुड सितारों को बेवक्त सितारों में जाते देखा, कुछ कोरोना के चलते और कुछ सितारों ने बीमारी के चलते तो कुछ हादसों की वजह से हमसे बिछड़ गए। आईये बताते हैं आपको कि फिल्म जगत की किन-किन हस्तियों ने साल 2020 में दुनिया को अलविदा कहा।
1- इरफान खान
वो गया तो सारा जमाना रोया, बेवक्त ऐसे गया ‘इरफान’ कि जनाज़ा भी रोया। साल 2020 में अप्रैल महीने की 29 तारीख ने न सिर्फ बॉलीवुड को हिल या बल्कि पूरा देश स्तब्ध हो गया जब लोगों ने इरफान खान की मौत की खबर सुनी। लंबे वक्त से इरफान खान कैंसर से जूझ रहे थे लेकिन वो बीमारी को मात देते, इससे पहले मौत उनकी जिंदगी पर हावी हो गई और महज 54 साल की उम्र में सिने जगत में अभिनय की परंपरा को एक नया आयाम देने वाला जगमगाता सितारा दुनिया को अलविदा कह गया। छोटे पर्दे पर कई सीरियल्स में काम करके इरफान ने दर्शकों के मन में अपनी एक अलग जगह बनाई और इसके बाद अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की एक कैमियो रोल से, फिल्म थी साल 1998 में आई सलाम बॉम्बे। हिन्दी सिनेमा की 30 से ज्यादा फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाने वाले इरफान खान ने हॉलीवुड में भी अपने अभिनय की धाक जमाई। वो अभिनय जिसमें आप खुद को जीने लगें, उसे फिल्म नहीं कह सकते, इरफान ऐसे ही अभिनय के धनी थे। फिल्म की पृष्ठभूमि जैसी भी हो लेकिन किरदार में अपने अभिनय से इरफान यूं जान फूंकते थे कि फिल्म और वास्तविक जीवन में कोई अंतर ही नहीं लगता था। अपनी दमदार, गंभीर और जींवत एक्टिंग के चलते अपने दो दशक के फिल्मी करियर में कई बड़े अवॉर्ड भी हासिल किए। पर्दे पर उनकी भूमिका हीरो की रही हो या विलेन की, उनके अभिनय ने हमेशा दर्शकों के मन पर अपने किरदार की छाप छोड़ी, लेकिन ये उम्दा कलाकार अपनी मौत की इतनी दुखद छाप छोड़कर जाएगा, किसी ने कल्पना भी नहीं की। 29 अप्रैल 2020 को बॉलीवुड ने एक एक्टर नहीं अभिनयकी सार्थक परिभाषा को साकार करने वाला एक सक्षम-समर्थ, दमदार कोहिनूर खोया है।
2- ऋषि कपूर
कहते हैं जाने वाले नहीं आते, जाने वालों की याद आती है, लेकिन कुछ जाने वालों की यादें भी गुजर चुकी शख्सियत को सदा जीवंत बनाए रखती हैं, ऐसी ही अमिट शख्सियत थी ऋषि कपूर की। जिनकी जिन्दगी साल 2020 ने छीन ली। ऋषि कपूर ल्यूकेमिया नाम की बीमारी से पीड़ित थे, बीते दो साल से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन वो बीमारी पर फतह न पा सके, और बीमारी से जूझते हुए 30 अप्रैल 2020 को 67 साल की उम्र में ऋषि कपूर का देहांत हो गया। अपने दौर के चॉकलेटी हीरो के रूप में पहचाने जाने वाले ऋषि कपूर ने साल 1970 में बतौर चाइल्ड एक्टर फिल्म मेरा नाम जोकर से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की और बतौर एक्टर उनकी पहली फिल्म थी ब़ॉबी, जिसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर, फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। बहुमुखी अभिनय और कला के धनी ऋषि कपूर ने चाहने वालों के दिलों में वो जगह बनाई कि उनकी मौत पर देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। ऋषि एक कलाकार या अभिनेता नहीं बल्कि एक पूरा युग थे, उनके यूं अचानक जाने से फिल्म जगत में मानो एक युग का अंत हुआ।
3- बासु चटर्जी
इंडियन सिनेमा के मशहूर स्क्रीनराइटर और डायरेक्टर बासु चटर्जी भी 93 साल की उम्र में 4 जून साल 2020 को दुनिया से रुख्सत हुए। बासु चटर्जी का जन्म 10 जनवरी 1927 को राजस्थान के अजमेर में हुआ। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट साप्ताहिक टैब्लॉइड ब्लिट्ज के साथ की, जहां उन्होंने 18 साल काम किया, इसके बाद बॉलीवुड में उनका सफर शुरु हुआ साल 1966 में फिल्म तीसरी कसम के साथ, इस फिल्म में उन्होंने बासु भ्टाटाचार्य को असिस्ट किया इसके बाद साल 1969 में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म आई सारा आकाश। बासु चटर्जी की वास्तविक प्रतिभा यही थी कि उनकी फिल्मों में दर्शक यथार्थ को जीता था। हिन्दी सिनेमा में जब एंग्री यंगमेन का दौर चरम पर था तब शहरी भारत के मध्यम वर्गीय परिवार के वैवाहिक और प्रेम संबंधों पर आधारित बासु चटर्जी की फिल्मों को दर्शकों ने खासा पसंद किया। शौकीन, शीशा, उसपार, प्रियतमा, मन पसंद, ये कुछ ऐसी सफल फिल्में रहीं जिनमें बासु चटर्जी ने उस दौर के बड़े कलाकारों के साथ काम किया। हिन्दी फिल्मों के अलावा उन्होंने कई बंगाली फिल्मों का भी निर्देशन किया। दूरदर्शन के धारावाहिक ब्योमकेश बक्शी और रजनी भी बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित थे। 1969 से लेकर 2011 तक फिल्मों का निर्देशन करने वाले बासु दा अपने फिल्मीसफर में कई बड़े सम्मानों से नवाजे गए। बासु चटर्जी गुदगुदाती रोमांटिक फिल्मों के श्रेष्ठ डायरेक्टर थे जो अपनी यथार्थवादी फिल्मों में सदा जीवंत रहेंगे।
4- वाजिद खान
साल 2020 के जून महीने की शुरुआत ही बॉलीवुड के लिए काफी दुखदायी रही, महीने की पहली तारीख की सुबह ही बॉलीवुड के दिग्गज म्यूजिक डायरेक्टर वाजिद खान महज 42 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गए। वाजिद लंबे वक्त से किडनी की परेशानी से जूझ रहे थे, कोविड संक्रमण के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां किडनी इनफैक्शन और हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हुई। 7 अक्टूबर 1977 मशहूर तबला वादक उस्ताद शराफत खान के यहां पैदा हुए वाजिद खान। संगीत प्रेमी परिवार में जन्मे वाजिद ने अपने बड़े भाई साजिद खान के साथ मिलकर अपने सुरीले सफर की शुरुआत की। साजिद-वाजिद की जोड़ बॉलीवुड में बेहतरीन संगीत के लिए जानी जाती रही है। साजिद-वाजिद ब्रदर्स की जोड़ी ने फिल्म प्यार किया तो डरना क्या से बॉलीवुड में डेब्यू किया। सलमान खान की अधिकतर फिल्मों को अपने संगीत से सजाने वाले वाजिद खान अपने भाई के साथ कई सुपरहिट फिल्मों में संगीत दिया, अपने बेहतरीन संगीत निर्देशन के लिए वाजिद कई अवॉर्ड्स से भी सम्मानित हुए। फिल्मों में गीत-संगीत के अलावा वाजिद के कई म्यूजिक एलबंम्स भी कंपोज किए। अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में अपनी आवाज और संगीत दे चुके वाजिद एक उम्दा गायक – संगीतकार के साथ-साथ एक बेहतरीन गिटारिस्ट भी थे। कोविड महामारी के दौरान सलमान के लिए बनाया भाई-भाई सॉंग उनके आखिरी गानों में एक था। इतने बेहतरीन कलाकारों का साल 2020 में यूं दुनिया से जाना बॉलीवुड ही नहीं देश के लिए काफी दुखद है। कुछ प्रतिभाओं का जाना अपूर्णीय क्षति होती है, वाजिद भी उऩ्हीं मे से एक थे।
5- सुशांत सिंह राजपूत
फिल्मी दुनिया एक चार्मिंग फेस, सुशांत सिंह राजपूज, जिनके फैंस ने कभी कल्पना भी नहीं थी कि एक उभरते हुए चमकदार सितारे की रोशनी यूं मौत के अंधकार में खत्म हो जाएगी। 34 साल की उम्र में सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून 2020 को मुंबई स्थि अपने फ्लैट में फांसी लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। बिहार की धरती से संबंध रखने वाला ये सितारा पढ़ाई में अव्वल था लेकिन अभिनय से प्यार उन्हें मुंबई खींच लाया। सुशांत ने अपने करियर की शुरुआत बैकस्टेज डांसर के रूप में की फिर टीवी के रिएलिटी शोज में भी हिस्सा लिया और फिर हिट टीवी सीरियल पवित्र रिश्ता में अहम भूमिका निभाने के बाद साल 2013 में फिल्मों में कदम रखा, डेव्यू किया 2013 में फिल्म काईपोचे से, अपने छोटे से फिल्मी करियर में सुशांत ने कुल 12 फिल्मों में काम किया जिनमें फिल्म एमएस धोनी में लोगों ने उनकी एक्टिंग को काफी पसंद किया था, बिग स्क्रीन पर रिलीज हुई सुशांत की आखिरी फिल्म छिछोरे को भी दर्शकों का खूब प्यार मिला और सुशांत के दुनिया से जाने के बाद उनकी फिल्म दिल बेचारा का डिजिटल रिलीज हुआ, जिसमें उनकी एक्टिंग को देख हर किसी की आंखें नम हुईं, वाकई ऐसे काबिल सितारे का दुनिया से यूं मुंह मोड़ना बेहद दुखद था। साल 2020 में बॉलीवुड की इस नई हस्ती के ऐसे अंत ने फिल्मी दुनिया को भी कटघरे में खड़ा किया। चकाचौंध भरी बॉलीवुड नगरिया के कई राज सुंशात की मौत ने खोल दिए और आज भी इस विषय पर छानबीन जारी है।
6- सरोज खान
मदर ऑफ डांस, सरोज खान फिल्म जगत का एस ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मौहताज नहीं, बॉलीवुड की इस डॉंसिग क्वीन ने भी 71 साल की उम्र में साल 2020 में ये दुनिया छोड़ी। सरोज खान को सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन 3 जुलाई को दिल का दौरा पड़ने से उनका स्वर्गवास हो गया। बॉलीवुड में मशहूर कोरियोग्राफर का रुतबा और स्थान हासिल करने वाली सरोज खान ने जीवन में तमाम चुनौतियों का सामना किया और हालात के विपरीत वो हर चुनौती पर फतह पा कर एक कामयाब शख्सियत बनीं। सरोज के माता-पिता बंटवारे के वक्त अपना सबकुछ छोड़कर हगिन्दुस्तान आ गए थे। 22 नवंबर 1948 को बॉम्बे में पैदा हुई सरोज खान यानि निर्मला, किशनचंद संधू औऱ नौनी संधू की 6 औलादों में सबसे बड़ी थीं। सरोज का बचपन बीता PWD की चॉल में औऱ उनके सफर की शुरुआत महज तीन साल की उम्र में हो गई थी, उन्होंने फिल्म नजराना में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। कोरियोग्राफर बी सोहनलाल से डांस सीखा और फिर मात्र 13 साल की उम्र में 43 बरस के बी सोहन लाल से शादी की, उस वक्त बी सोहनलाल चार बच्चों के पिता थे। साल 1963 में सरोज खान ने बेटे राजू खान को जन्म दिया और इसके कुछ वक्त बाद सरोज और सोहन लाल का तलाक हो गया। इसके बाद सरोज ने सरदार रोशन खान से दूसरी शादी की, जिसके बाद वो एक बेटी की मां बनी । सरोज खान ने बतौर कोरियोग्राफर 1974 में आई फिल्म गीता मेरा नाम में काम किया। इस फिल्म में सरोज के काम को काफी सराहा गया, और उसके बाद बतौर कोरियोग्राफर उन्होंने श्रीदेवी-माधुरी के साथ कई फिल्में कीं। देखते ही देखते सरोज खान बॉलीवुड की डांसिंग क्वीन बन गईँ। इसके बाद टीवी पर रिएलिटी शोज की धूम के दौरान वो नच बलिए’, ‘उस्तादों के उस्ताद’, ‘नचले वे विद सरोज खान’, ‘बूगी-वूगी’, ‘झलक दिखला जा’ जैसे कई शोज में जज मेंबर्स में भी नजर आईं। निर्मला यानि सरोज खान ने अपने 40 साल के करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और करीब 2000 गानों में अपनी कोरियोग्राफी से जान फूंकी, तभी तो सरोज को बॉलीवुड में मदर ऑफ डांस की उपाधि दी गई, लेकिन 2020 के काल चक्र ने नृत्य की इस माता को बॉलीवुड से छीन लिया और 71 बरस की उम्र में 3 जुलाई 2020 को सरोज खान इस दुनिया से विदा ले गईं।
7- जगदीप
जिन्दगी और मौत ऊपर वाले के हाथ हैं, लेकिन बॉलीवुड ने 2020 में जितनी मौतों का दर्द झेला है, शायद ही कभी झेला हो। इस साल में बॉलीवुड ने एक के बाद एक कई सितारों को खुद से दूर जाते देखा, कुछ को उम्र के आखिरी पड़ाव में ईश्वर का बुलावा आया तो कुछ को वक्त से पहले। 8 जुलाई 2020 को बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जगदीप जगदीप ने 81 साल की उम्र में दुनिया से विदा ली। कम ही लोग जानते होंगे कि जगदीप का वास्तविक नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। जगदीप नाम उन्हें बॉलीवुड में मिला और उनके अनूठे अभिनय ने उन्हें एक और नाम दिया सूरमा भोपाली, ज्यादातर लोग उन्हें सूरमा भोपाली के नाम से ही जानते थे। 400 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय की मिठास घोलने वाले सूरमा भोपाली यादि जगदीप ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने फिल्मी सफर का आगाज किया, उनकी पहली फिल्म थी अफसाना। एक अभिनेता के साथ-साथ बेहतरीन कॉमेडियन के रूप में उन्हें सभी फिल्मों में दर्शकों का भरपूर प्यार मिला, और शोले में निभाया सूरमा भोपाली का किरदार तो जैसे उनकी पहचान बन गया। आखिरी बार 2012 में बनी फिल्म गली गली चोर हैं में नजर आए जगदीप अपने दौर के एक ऐसे कलाकार थे जो अपने अभिनय से लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाते रहे। जगदीप अपने अंतिम वक्त में भी लोगों को मुस्कुराते रहने का संदेश देकर दुनिया से रुख्सत हुए। “आओ हंसते-हंसते और जाओ हंसते-हंसते”
8- कुमकुम
अपने जमाने की मशहूर अदाकारा रही कुमकुम ने भी साल 2020 में दुनिया को अलविदा कहा। काफी वक्त से बीमार चल रही अभिनेत्री कुमकुम ने 86 साल की उम्र में 28 जुलाई 2020 को बांद्रा स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। 22 अप्रैल 1934 को बिहार के शेखपुरा में जन्मी कुमकुम का वास्तविक नाम था जैबुनिस्सा था, कहा जाता है कि कुमकुम गुरुदत्त की ही खोज थीं, और उन्होंने ही जैबुनिस्सा से बदलकर उनका नाम कुमकुम रखा था। कुमकुम ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत गुरुदत्त की फिल्म आर-पार से की, इस फिल्म में कुमकुम को कभी आर कभी पार गाने में काफी छोटा सा रोल मिला था। 1963 में बनी पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो में भी कुमकुम ने काम किया था जो की भारतीय इतिहास की पहली भोजपुरी फिल्म थी। बॉलीवुड में एन्ट्री लेने के बाद कुमकुम ने गुरुदत्त, किशोर कुमार, दिलीप कुमार, देवानंद जैसे कई मशहूर अभिनेताओं के साथ काम किया, लेकिन किशोर कुमार के साथ ऑन स्क्रीन उनकी जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया। कुमकुम कथक में निपुण थीं, मधुबन में राधिका नाचे रे गाने में उनके शास्त्रीय नृत्य को दर्शकों ने काफी पसंद किया था। 50-60 के दशक में अधिकतर फिल्मों नें नजर आई कुमकुम ने अपने 23 साल के फिल्मी करियर में 100 से ज्यादा फिल्में कीं जिनमें गवैया, मिस्टर एंड मिसेज 55, मदर इंडिया, प्यासा, घर संसार, सन ऑफि इंडिया, मिस्टर एख्स इन बॉम्बे, राजा औऱ रंक, आंखें, गीत, ललकार, जलते बदन और एक कुंवारा एक कुंवारी उनकी प्रमुख फिल्में थीं। साल 1973 में शादी के बाद कुमकुम ने फिल्में करनी छोड़ दीं और सऊदी अरब चलीं गईं लेकिन फिर लंबे वक्त बाद वो मुंबई वापस लौटी और यहां रहने लगीं और 28 जुलाई को उनका निधन हो गया।
9- आसिफ बसरा
साल 2020 में बॉलीवुड के दिल दुखदायी इसलिए भी रहा क्योंकि कुछ सितारों को मौत ने नहीं बख्शा और कुछ ने खुद मौत को गले लगाया, मौत को गले लगाने वाले इस सिने सितारे का नाम था आसिफ बसरा। हिमाचल प्रदेश में धर्माशाला के मैक्लोडगंज में 5 साल से किराए पर रह रहे आसिफ बसरा ने 12 नवंबर 2020 को फांसी लगाकर खुदकुशी की, जांच में पाया गया कि आसिफ डिप्रेशन से जूझ रहे थे और इसी के चल ते उन्होंने अपने ही हाथों अपनी जिंदगी खत्म कर ली। एक बेतरीन थियेटर आर्टिस्ट और छोटे-बड़े पर्दे का नामी चेहरे का ऐसा अंत, कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन साल 2020 ने ऐसी कई अकल्पनीय घटनाओं से बॉलीवुड का साक्षात्कार कराया।