स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
आज 17 सितंबर की तारीख को पूरी दुनिया में World Patient Safety Day यानि विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है, पढ़िए इस दिन से जुड़ी कुछ अहम बातें।
लगभग दो साल होने को हैं, पूरी दुनिया एक ऐसी महामारी से जूझ रही है जिसने न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक और आर्थिक पक्षों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, और इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी बीमारियों के प्रति जनमानस में सचेतता और जागरुकता इन्हें फैलने से रोकने में सक्षम है, बस यही एक केन्द्रीय लक्ष्य है World Patient Safety Day को वैश्विक स्टर पर मनाने का। World Patient Safety Day यानि विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाने की शुरुआत कोरोना जैसी वैश्विक महामारियों से लड़ने और इनके प्रति जनमानस में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
World Health Assembly पर विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा 25 मई 2019 को “रोगी सुरक्षा पर वैश्विक कार्रवाई” प्रस्ताव को अपनाया गया, इसी के बाद विश्व स्वास्थ्य सभा के समर्थन से ही 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी और साल 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया। हर साल ये दिन विश्व का हर देश एक खास विषय के साथ मनाता है और इस दिन दिन विषय से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन कर जनमानस में जागरुकता फैलाने का काम किया जाता है। इस साल हमारे देश विश्व रोगी सुरक्षा दिवस की थीम है सुरक्षित मातृत्व एवं नवजात शिशुओ की देखभाल करना। जिसका उद्देश्य है जन्म के साथ ही शिशु को अच्छी देखभाल और वक्त पर टीकाकरण कर उसे बीमारियों के प्रति सुरक्षित करना।
किसी भी बीमारी से प्रभावित रोगी की देखभाल व सुरक्षा एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, ऐसे में इस विषय के प्रति जागरुकता का प्रसार भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जब मरीज की देखभाल में हुई कोताही ही उसकी जान के नुकसान की वजह बन जाती है, ऐसी घटनाओं पर विराम के लिए इस विषय के प्रति जागरुकता और अहम हो जाती है। ऐसे में कुछ खास बातें जिनके प्रति स्वास्थ्य कर्मियों को खास तौर पर जागरुक किया जाता है, जिनकी रोगियों के प्रति जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। जैसे रोगी के रोग की पहचान और फिर बीमारी के मुताबिक उसका उपचार। रिएक्शन करने वाली दवाओं का समझदारी से इस्तेमाल और रोगी को हर दवा को लेने के सही ढंग अवगत करना। इसके अलावा स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों में साफ-सफाई को प्रति जागरुकता, ताकि गंदगी के चलते बीमारियों का प्रकोप और न बढ़े। प्रसव के समय मां-बच्चे की सुरक्षा के प्रति ज्यादा सतर्क व गंभीर होना, गर्भवती महिलाओं को रेडिएशन से
होने वाले नुकसान के प्रति अवगत कराना आदि।
ये कुछ ऐसे अहम पहलू हैं जो रोगियों को जल्द स्वस्थ व रोगियों को संख्या को बढ़ने से रोकने के साथ साथ किसी भी राष्ट्र को स्वस्थ बनाने में एक अहम भूमिका अदा करते हैं। अब इसका मतलब ये भी नहीं है कि सिर्फ हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों को ही इस विषय का ध्यान रखना है, और तमाम पहलुओं के प्रति सिर्फ उन्हीं को सचेत रहना है, क्योंकि स्वास्थ्य प्रत्येक के लिए प्रथम विषय है तो जाहिर तौर पर जागरुक होने और इस विषय को सही ढंग से समझने की जिम्मेदारी भी प्रत्येक की है। तभी हम किसी भी बीमारी और कोरोना जैसी महामारी के खात्मे में सक्षम हो सकते हैं।