स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
5 नवंबर यानि World Tsunami Awareness Day, क्यों मनाया जाता है ये दिन और वैश्विक स्तर पर इस दिन को मनाने के लिए 5 नवंबर की तारीख ही क्यों चुनी गई। पढ़िए विश्व सुनामी जागरुकता दिवस से जुड़ी जरूरी बातें।
हर साल पांच नवंबर की तारीख को मनाया जाता है World Tsunami Awareness Day यानि विश्व सुनामी जागरुकता दिवस। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण, इस दिन लोगों को सुनामी से होने वाले खतरों बचावों के प्रति जागरुक कराने का काम होता है।
जापान की देन है विश्व सुमानी जागरुकता दिवस
जापान एक ऐसा देश है जो हर दिन भूकंप से हिलता रहता है, इन्हीं भूकंपों के चलते यहां सुनामी का खतरा भी ज्यादा रहता है, जो लोगों की जिंदगियों को निगलने के साथ साथ जनजीवन को बुरी तरह तहस नहस कर देती है इस बात को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने दिसंबर 2015 से में ये घोषणा की कि हर साल 5 नवम्बर की तारीख को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की इस घोषणा के बाद साल 2016 में 5 नवंबर को दुनिया ने पहला सुनामी जागरुकता दिवस मनाया।
सूनामी का अर्थ, 5 नवंबर ही क्यों
वैसे आपको शायद पता हो कि Tsunami भी एक जापानी शब्द है जिसमें Tsu का अर्थ है बंदरगाह और name का अर्थ है लहरें। इस तरह सुनामी उन विनाशकारी विकराल बड़ी लहरों को कहा जाता है जो समुद्र के किनारे भूस्खलन या भूकंप के चलते पैदा होती है। वैसे अगर आपके मन में ये सवाल हो कि इन दिन को मनाने के लिए 5 नवंबर का ही चुनाव क्यूं हुआ तो आपको बता दें कि विश्व सुनामी जागरुकता दिवस मना कर जापान के एक ग्रामीण नेता को याद किया जाता है जिन्होंने साल 1854 में 5 नवम्बर को समुद्री तूफ़ान – सुनामी आने के चिन्हों की
पहचान की और ग्रामीणों इस भयावह विपत्ति से बचाने के लिए लोगों को आगाह करने का एक अजब तरीका अपनाया, उन्होंने अपने ही धान के खेतों में आग लगा दी, खेतों में आग लगी देख वहां के ग्रामीणों ने आग से बचने के लिये अपने नजदीक के ऊँचे टीलों का रुख किया और इस तरह वे समुद्र के किनारे उठी उन ऊंची सुनामी लहरों की चपेट में आने से बच गए।
इस घटना को एक दमदार पूर्व चेतावनी प्रणाली समझा गया इसीलिए जब संयुक्त राष्ट्र ने इस विषय के प्रति जागरुकता फैलाने को एक दिन का चुनाव किया तो इस घटना को याद करते हुए 5 नवंबर की तारीख तय की और तमाम देशों, अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं और सिविल सोसायटी से सूनामी के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों की जिंदगियां बचाने के प्रयासों के तहत नवीन तरीके साझा करने का आहवान किया।
10-20 नहीं, 2 लाख 27 हजार बार सुनामी का दंश
वैश्विक स्तर पर इस दिन के प्रति जागरुकता फैलाने की जरूरत इसलिए है क्योंकि बीते 100 सालों में सुनामी के चलते जापान ही नहीं इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड समेत 14 देश ऐसे रहे, जिन्होंने काफी नुकसान उठाया है, इस नुकसान में स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक नुकसान तक शामिल है। इन देशों ने 10-20 नहीं 2 लाख 27 हजार बार सुनामी का दंश झेला है। साल 2004 सुनामी तो भुलाए नहीं भूलती, जिसकी वजह से इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका समेत 14 देशों को सबसे बड़ा नुकसान हुआ था। ऐसे में प्राकृतिक आपदा सुनामी के बारे में लोगों जागरुकता होना जरूरी हो जाता है क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया की 50 फीसदी आबादी बाढ़, तूफान और सुनामी के संपर्क में आ सकती है। भविष्य की इन्हीं चुनोतियों को देखते हुए सुनामी से निपटने के लिए लोगों को बुनियादी ढांचे, चेतावनी, और ट्रेनिंग दी जाती है ताकि आपात स्थिति में लोग बचाव के तरीकों को अपना सकें।