शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आज सदन के उन सदस्यों पर पलटवार किया जो मुंबई में कोरोना संक्रमण के मामले में शिव सेना सरकार को निसाना बना रहे थे। करारा जवाब देते हुए राउत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन के बयान पर कहा, “मैं सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि इतने लोग कैसे ठीक हुए? क्या सभी लोग भाभीजी का पापड़ खाकर ठीक हो गए?” उन्होंने कहा, “यह एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोगों के जीवन को बचाने की लड़ाई है।”
संजय राउत आजकल कंगना के साथ की जुबानी जंग को लेकर विवादों में घिरे में। सदन में भी उन्होंने मुंबई में फैले कोरोना के मुद्दे पर कहा, “मेरी माँ और मेरा भाई COVID-19 से संक्रमित हैं। महाराष्ट्र में भी कई लोग ठीक हो रहे हैं. आज धारावी में स्थिति नियंत्रण में है। डब्ल्यूएचओ ने बीएमसी प्रयासों की सराहना की है। मैं इन तथ्यों को बताना चाहता हूं क्योंकि यहां कुछ सदस्य महाराष्ट्र सरकार की आलोचना कर रहे थे।”
संजय राउत ने देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर भी सरकार से मांग की वो जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करे। एक लाभकारी व राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण के मुद्दे पर उन्होंने अपनी बात रखी। राउत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटबंदी और कोरोनावायरस महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और देश की जीडीपी और रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हालत में पहुंच चुका है।
राउत ने कहा, “देश की आर्थिक हालत बहुत गंभीर है,अब स्थिति ऐसी है कि हमारी GDP और हमारा RBI भी कंगाल हो चुका है, ऐसे में सरकार एयर इंडिया,रेलवे, LIC और काफी कुछ बाज़ार में बेचने के लिए लाया है बहुत बड़ा सेल लगा है। अब इस सेल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को भी खड़ा कर दिया गया है।”
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का विरोध करते हुए राउत ने कहा, “पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड जमीन को निजी हाथों में दे देना। इससे बेरोजगारी भी बढेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है।”