नीतीश के बिहार में शराबबंद
चुनावी वादे करना और उन्हें धरालत पर उतारना दोनों में फर्क है। देश में राजनीतिक दलों को वादों की याद उस समय आती है, जब चुनाव सिर पर आ जाते हैं। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इतने कम समय में बिहार में पूर्णत: शराबबंदी लागू करने का दम दिखाया। हालांकि, शराब के व्यापारी व शराब पीने के शौकिनों को इस फैसले से झटका लगा है। लेकिन सबसे खुश हैं महिलाएं, क्योंकि शराब की मार का सबसे बड़ा असर महिलाओं और परिवारों पर पड़ता है।
शराबबंदी के इस फैसले के बाद नीतीश को काफी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी। राज्य सरकार को इससे होने वाले राजस्व के नुकसान का हवाला दिया गया। देसी और विदेशी दोनों प्रकार की शराब की बंदी ने सबके हलक को सूखा कर दिया।
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