‘शक्तिमान’ का जाना आज बेहद खल रहा है। शक्तिमान केवल एक घोड़ा नहीं बल्कि साहस और हिम्मत का जीता जागता उदाहरण था।
तेरह साल का शक्तिमान उत्तराखंड की पुलिस फोर्स में 11 साल से सर्विस दे रहा था। केयरटेकर की मानें तो उत्तराखंड पुलिस का घोड़ा’शक्तिमान’ बहुत बहादुर था, वह आखिरी दम तक मौत से लड़ रहा था, वह जीना चाहता था।
केयरटेकर श्याम चौहान की मानें तो शक्तिमान आखिरी सांस तक मौत से लड़ता रहा। सूत्रों की मानें तो बुधवार को ड्रेसिंग के लिए उसे एनस्थीसिया का डोज दिया गया था, इस दौरान शॉक लगने से उसने दम तोड़ दिया।
बीजेपी के प्रदर्शन में जख्मी होने के 37 दिन बाद बुधवार को शक्तिमान के दम तोड़ने से वो तमाम सवाल दिमाग में उभरने लगे हैं जिनसे हम दु:खी तो थे लेकिन निराश नहीं। लेकिन आज निराशा और हताशा इस कदर हावी है कि मन बोझिल हो रहा है। सवाल यह है कि आखिर शक्तिमान की तरह जानवरों के साथ बर्बरता कब ख़त्म होगी।
शक्तिमान को लाठी से पीटने के आरोपी विधायक गणेश जोशी का दुख जताना बेहद नाटकीय लग रहा है। उनका कहना है, “ ये बेहद दुखद है। मेरी कोई गलती नहीं है। अगर दोषी साबित हुआ तो मेरी भी टांग काट देना।”
शक्तिमान के जाने से केयरटेकर चौहान भी बहुत दुखी है, ”शक्तिमान आखिरी सांस तक मौत से लड़ता रहा। उसमें जिंदगी जीने की इच्छा गजब की थी। हमने अपना एक साथी खो दिया।”
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने शक्तिमान के मौत के ज़िम्मेदार लोगों के लिए सज़ा की मांग की है। शक्तिमान का इलाज कर रही डॉक्टर ने कहा,”मैं बहुत दुखी हूं, हम सब ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की।”
कैसे हुआ शक्तिमान के साथ हादसा-
– 14 मार्च को भाजपा वर्कर्स असेंबली का घेराव कर रहे थे। उसी दौरान उनकी पुलिस से झड़प हुई। – झड़प के दौरान मसूरी से एमएलए गणेश जोशी बौखलाहट में घोड़े को लाठी से मारने लगे।
– गणेश जोशी फिलहाल बेल पर हैं। मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। – गणेश जोशी के साथ बीजेपी वर्कर प्रमोद बोरा पर भी शक्तिमात की हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
– आरोप है कि विवाद के समय उसने ही शक्तिमान की लगाम पकड़कर उसे खींचा था। जिससे वह गिर गया था। और उसे चोट लगी थी।
– बोरा को भी गिरफ्तार किया गया था
मौत से लड़ता रहा शक्तिमान
– मार से शक्तिमान का बायां पैर बुरी तरह ज़ख्मी हो गया।
– चोट अधिक होने के कारण शक्तिमान के पैर को काटना पड़ा। बाद में उसे प्रोस्थेटिक लेग लगाया गया।
– शक्तिमान को जीवित रखने के लिए डॉक्टरों ने गैंगरीन फैलने के खतरे के चलते घोड़े की टांग काटी थी।
– देहरादून पुलिस लाइन में शक्तिमान का इलाज चल रहा था।