माना जाता है कि पांच सदी पूर्व बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया जिसने ऐसे विवाद को जन्म दिया कि देश की राजनीतिक दशा और दिशा ही बदल गई।
भारत वर्ष ने आजादी के बाद से ही अयोध्या को लेकर देश भर में कई आंदोलन देखे हैं। लंबे वक्त तक चली कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। 5 अगस्त को अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ होने वाला है।
पिछली पांच सदियों में अयोध्या की आंखों ने क्या-क्या देखा है-
मुगल शासक बाबर 1526 में भारत आया। 1528 तक बाबर का साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच चुका था। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मंदिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था।
1853: …जब पहली बार अयोध्या में दंगे हुए थे
अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर हिंदू-मुस्लिम हिंसा की पहली घटना 1853 में तब हुई थी जब निर्मोही अखाड़े ने बाबरी मस्जिद के ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि पहले उस स्थान पर एक मंदिर हुआ करता था जिसे बाबर के शासनकाल में नष्ट कर मस्जिद का निर्माण किया गया। मामला इतना भड़क गया कि लंबे समय तक वहां दंगे होते रहे। अयोध्या का दंगों के साथ नाता गहराता गया। फैजाबाद जिला गजट 1905 के अनुसार 1855 तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में पूजा या इबादत करते रहे।
1859: आजादी के पहले आंदोलन के बाद ब्रिटिश शासकों ने परिसर को बांटा
1857 में आजादी का पहला आंदोलन छिड़ा। 1857 की क्रांति के कारण अयोध्या को दंगों से थोड़ी राहत मिली। आजादी के लिए छिड़ी जंग के बिगुल के बीच माहौल थोड़ा ठंडा पड़ गया। 1859 में अंग्रेजी हुकूमत ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी जिसके भीतरी हिस्से में मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई।
1885: पहली बार जिला अदालत में पहुंचा यह विवादित मामला
मंदिर-मस्जिद विवाद अभी गरम ही था। हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी लेकिन उनकी अफील दी गई।
1934: दंगों में मस्जिद की दीवार और गुंबद को पहुंचा नुकसान
1934 में एक बार फिर सांप्रदायिक दंगे भड़के। दंगों में की चपेट में मस्जिद के चारों तरफ की दीवार और कई गुंबद आये। ब्रिटिश सरकार ने जिनकी मरम्मत करवायी।
1949: हिंदुओं ने कथित तौर पर मूर्ति स्थापित की, सरकार ने ताला लगवाया
आजादी के बाद अयोध्या में एक बार फिर बवाल मचा क्योंकि भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में पाई गई। इस बात पर मुसलमानों ने घोर विरोध जताया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया जिसके कारण कोर्ट ने स्थल को विवादित घोषित कर दिया और यहां ताला लगवा दिया।
1950: अदालत से भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी गई
1950 में गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए भी याचिका लगाई। बात इतनी बढ़ी की मस्जिद को ‘ढांचे’ के रूप में संबोधित कर दिया गया।
1959-61: दोनों पक्षों ने विवादित स्थल के हक के लिए मुकदमा किया
निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए 1959 में मुकदमा किया। मुसलमानों की ओर से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक दिए जाने के लिए मुकदमा किया। हिंदु-मुस्लिम विवाद के कारण मंदिर–मस्जिद विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया।
1984: रामजन्मभूमि मुक्ति समिति का गठन किया गया
भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद ने एक समिति का गठन किया। उसी समय गोरखनाथ धाम के महंत अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई। अवैद्यनाथ ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया। उन्होंने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। कुछ समय के बाद इस अभियान की कमान भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाली।
फरवरी 1986: ताला खोलने का आदेश, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनी
जिला मजिस्ट्रेट ने विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया ताकि हिंदु वहां प्रार्थना कर सकें। मुसलमानों ने इस बात का विरोध किया और बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।
जून 1989: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर का शिलान्यास किया
विश्व हिंदू परिषद को भारतीय जनता पार्टी का औपचारिक समर्थन मिला। वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से विवादित स्थान पर मंदिर होने का दावा करते हुए मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया।
25 सितंबर 1990: बिहार में आडवाणी की रथ यात्रा रोकी गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया
भाजपा के दिग्गज नेता व तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। मकसद था हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराना। इस यात्रा का असर यह रहा कि हजारों कार सेवक अयोध्या में जमा हुए लेकिन मामला काबू से बाहर हो गया। गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए। कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिये गये। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 23 अक्टूबर को लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। मंदिर निर्माण को आतुर हिंदू भक्तों ने देशभर से लाखों ईंटें अयोध्या भेजीं। असर यह रहा कि भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रसाद सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
30 अक्टूबर 1990: अयोध्या में पहली बार कारसेवा हुई और गोलीकांड भी हुआ
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए 30 अक्टूबर 1990 को पहली बार कारसेवा हुई। कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था जिसके फलस्वरूप मुलायम सिंह यादव की सरकार की आदेश पर पुलिस की गोलीबारी हुई जिसमें पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने विवाद सुलझाने का प्रयास भी किया लेकिन सफलता नहीं मिली.
6 दिसंबर 1992: बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, देश में दंगे शुरू
इस तारीख को एक ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है। उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। इस दिन हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दी और वहां अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इस घटना के कारण देश भर में सांप्रदायिक दंगे होने लगे जिसमें करीब 2000 लोग मारे गए।
16 दिसंबर 1992: लिब्रहान आयोग बना गया- मस्जिद ढहाने की जांच के लिए यह आयोग बना
मस्जिद को ढहाने के मामले की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बनाया गया। जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई।
1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुरू हुआ केस
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस का केस चलना शुरू हुआ।
सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने मस्जिद विध्वंस मामले में 49 लोगों को दोषी करार दिया जिसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम शामिल थे।
2001: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर बनाने की तारीख तय की
विश्व हिंदू परिषद ने ऐलान किया कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।
जनवरी-फरवरी 2002: वाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अधिकारी नियुक्त किया, गोधरा कांड हुआ
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की
घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में जमा हुए । फरवरी में अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में सवार थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।
13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने कहा अयोध्या में शिलापूजन की अनुमती नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फैसले का पालन किया जाएगा।
15 मार्च 2002: सरकार को सौंपी गई शिलाएं
विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात पर बात बनी कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग 800 कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारीयों को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।
अप्रैल 2002: हाईकोर्ट में मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू
हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003: विवादित स्थल के नीचे पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई शुरू
हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. पुरातत्वविदों को मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने की अपील की जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया।
मई 2003: सीबीआई द्वारा लाल कृष्ण आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किये
सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में तत्कालिन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए.
जून 2003: कांची पीठ के शंकराचार्य ने जयेंद्र सरस्वती ने मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थता की
शंकराचार्य ने मध्यस्थता के प्रयास किये पर सफलता नहीं मिली।
उन्होंने उम्मीद जताई थी कि एक महीने में इस मामले का हल निकाल लिया जाएगा लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया।
अगस्त 2003: मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव ठुकराया
भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर बनाने के लिए विहिप के विशेष विधेयक लाये जाने के अनुरोध को ठुकराया।
अप्रैल-जुलाई 2004: आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की
लाल कृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में अस्थाई राम मंदिर में पूजा करते हुये कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा। जुलाई में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए.
जनवरी-जुलाई 2005: आडवाणी को अदालत में तलब किया गया। अयोध्या में आतंकी हमला हुआ
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका के मामले में उन्हें अदालत में तलब किया गया। साल 2005 में ही जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले भी हुए, जिसमें पांचों आतंकियों सहित छह लोग मारे गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामने में आडवाणी को तलब किया। 28 जुलाई को आडवाणी को इसी मामले में रायबरेली की एक अदालत में पेश होना पड़ा। कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय किये।
4 अगस्त 2005: चार लोग न्यायिक हिरासत में भेजे गये।
अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को फैजाबाद की अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजा.
20 अप्रैल 2006: कांग्रेस सरकार ने लिब्रहान आयोग से कहा- मिलीभगत से हुआ मस्जिद का विध्वंस
कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था।
कांग्रेस की सरकार ने कहा कि यह भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत से हुआ था।
जुलाई 2006: बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाने का प्रस्ताव खारिज
अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए सरकार ने बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा जिसका मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया। मुस्लिम समुदाय ने यह दलील दी कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ दोगा जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे।
19 मार्च 2007: राहुल गांधी बोले- नेहरू-गांधी परिवार का पीएम होता तो मस्जिद न गिरती
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच यह बयान दिया कि अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती।
30 जून – नवंबर 2009: लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पीएम मनमोहन सिंह को सौंपी गई
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 17 वर्षों के बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 जरूरी फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं। 24 नवंबर को लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया। आयोग की रिपोर्ट में ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया गया, नरसिंहराव को क्लीन चिट मिली।
20 मई 2010: हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका खारिज हो गई
बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई।
26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई
8 सितंबर 2010: 8 सितंबर को हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की।
28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की।
30 सितंबर 2010: कोर्ट का फैसला- विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया गया
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया- एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तिसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को मिला
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले
में बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के नाम शामिल थे।
नवंबर-दिसंबर 2017: शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया रिजवी बोले- विवादित स्थल पर राम मंदिर बने
8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने के लिए कोर्ट ने कहा.
फरवरी-जुलाई 2018: नियमित सुनवाई की अपील खारिज
8 फरवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई। राजीव धवन ने कोर्ट से मांग की कि साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।
27 सितंबर 2018: ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं‘ मामला बड़ी बेंच को भेजने से इनकार
कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसला, जिसमें कहा गया था कि ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा.
29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनवाई पर इनकार करते हुए केस जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया।
24 नवंबर 2018: शिवसेना का अयोध्या में कार्यक्रम हुआ
शिवसेना का कार्यक्रम अयोध्या में आयोजित हुआ, अपने भाषण में उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को खूब भला-बुरा कहा। मोदी सरकार की तुलना कुंभकरण से करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं यहां कोई लड़ाई लड़ने नहीं आया हूं, मैं तो सिर्फ सोए हुए कुंभकरण को जगाने आया हूं। कुंभकरण तो महज़ 6 महीने सोते थे, लेकिन आज के कुंभकरण पिछले 4 सालों से सोए हुए हैं। मैं तो सोये कुंभकरण को जगाने आया हूं। जो वादा करते हैं, जो वचन देते हैं, उसे निभाना चाहिए, चलो सब लोग मिलकर मंदिर बनाते हैं।
25 नवंबर 2018: विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में धर्म सभा हुई
अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में धर्म सभा हुई। धर्म सभा में हिंदू संत रामभद्राचार्य ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से अयोध्या मंदिर निर्णाण की तारीख का ऐलान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही भव्य राम मंदिर का निर्माण करना होगा, अब करो या मरो का समय आ चुका है, देश का बहुसंख्यक समाज अब इस मामले का हल होते हुए देखना चाहता है।
8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 हफ्ते के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा.
अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल समाधान निकालने में विफल रहा
1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके मद्देनज़र 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में सफल नहीं रहा। 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की।
राम मंदिर पर सबसे बड़ा फैसला
09 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया।
इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया. साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया।
राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान
05 फरवरी 2020: राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15
सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया।
मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया।
19 फरवरी 2020: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक हुई. महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष चुना गया, जबकि VHP नेता चंपत राय को महामंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी बने, ट्रस्ट में दलित चेहरे कामेश्वर चौपाल को भी सदस्यता दी गई।
राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख तय
19 जुलाई 2020: राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं। भेजे गये प्रस्तावित तारीख में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया। बैठक में राम मंदिर के डिजाइन को लेकर भी अहम फैसले लिए गए।
25 जुलाई 2020: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का
दौरा किया। उन्होंने बताया कि भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आएंगे।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोग इस भव्य आयोजन में शामिल हो रहे हैं।