पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को पार्टी में शामिल कर बीजेपी (BJP) ने एक बड़ा दाव चला है। 70 साल के मिथुन पहले भी राजनीतिक किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन टीएमसी (TMC) के साथ। 40 वर्षों से बॉलीवुड के डिस्को डांसर ने जिस तरह फिल्मी और राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसी तरह उनकी पर्सनल लाइफ भी हिचकोले खाली नैया की तरह रही है।
यह तो सभी जानते हैं कि मिथुन चक्रवर्ती ने शादी योगिता बाली से की थी लेकिन उनके रंगीन मिजाजी रिश्ते बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों से रहे। रंजीता, योगिता बाली से लेकर सारिका से उनके प्रेम संबंधों की खूब चर्चा रही। लेकिन मिथुन और श्रीदेवी के अफेयर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं।
‘जाग उठा इंसान’ फिल्म से मिथुन और श्रीदेवी एक दूसरे के बेहद करीब आ गये। 1984 की इस फिल्म से पहले मिथुन शादी शुदा थे। 1979 में उनकी योगिता बाली से शादी हो चुकी थी। दोनों के रिश्तों को लेकर हर ओर बात होने लगी थी। मिथुन चक्रवर्ती ने एक इंटरव्यू में इस बात को कबूल भी किया था कि वो श्री देवी से गुपचुप तरीके से शादी कर चुके थे। श्रीदेवी और मिथुन चक्रवर्ती कई सालों तक रिलेशनशिप में रहे।
श्रीदेवी और मिथुन के रिश्ते को लेकर मिथुन के परिवार में बहुत नाराजगी थी। मिथुन खुद पर काबू नहीं रख पा रहे थे। श्री देवी के इश्क का भूत उनके सिर चढ़ कर बोल रहा था। मिथुन की पत्नी योगिता बाली ने मिथुन को बहुत रोकने और समझाने की कोशिश की। यहां तक की उन्होंने मिथुन को उनकी पत्नी और अपने में किसी एक का चुनाव करने की शर्त भी रखी थी। मिथुन फिर भी नहीं मानें तो योगिता ने कहा कि अगर वो श्री देवी के साथ अपने ताल्लुकात खत्म नहीं करेंगे तो वो आत्महत्या कर लेंगी। योगिता बाली के इस कदम के बाद मिथुन को झुकना पड़ा और उन्होंने श्रीदेवी से खुद को अलग कर लिया। यह भी कहा जाता है कि श्रीदेवी को भी इस बात का अहसास हो गया था कि मिथुन योगिता बाली को तलाक नहीं देगे। इस कारण से वो 1988 में मिथुन से अलग हो गईं।
यह बात शायद आपको मालूम न हो कि मिथुन का असली नाम गोरांग चक्रवर्ती है। उनका जन्म 19 जून 1950 को बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। एक अभिनेता बनने से पहले मिथुन एक कट्टर नक्सली थे। वक्त के हालात और पारिवारिक परेशानियों के बोझ तले मिथुन ने अपना रास्ता बदल लिया। एक हादसे में अपने भाई को खोने के बाद मिथुन ने नक्सली आंदोलन का साथ छोड़ दिया और परिवार में लौट आये।
मिथुन ने 1976 में फिल्म ‘मृगया’ से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। फिल्म में मिथुन के अभिनय की खूब सराहना हुई और उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड भी मिला। मिथुन एक के बाद एक सफल फिल्में दे रहे थे। अग्निपथ (1990), बंगाली फिल्म तहादर कथा (1992) और स्वामी विवेकानंद (1998) के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
अब तक 350 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके मिथुन ने एक से बढ़कर एक फिल्में की हैं। ‘वारदात’, ‘अविनाश’, ‘जाल’, ‘डिस्को डांसर’, ‘भ्रष्टाचार’, ‘घर एक मंदिर’, ‘वतन के रखवाले’, ‘हमसे बढ़कर कौन’, ‘चरणों की सौगंध’, ‘हमसे है जमाना’, ‘बॉक्सर’, ‘बाजी’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘प्यार झुकता नहीं’, ‘करिश्मा कुदरत का’, ‘स्वर्ग से सुंदर’ कभी न भूलने वाली फिल्में हैं।
कहते हैं ना कि उतार-चढ़ाव जिंदगी का हिस्सा हैं। मिथुन की जिंदगी ने भी एक बार फिर से करवट बदली। 1993 से लेकर 1998 के बीच का समय मिथुन के लिए फिल्मों के लिहाज़ से सबसे बुरा समय था। एक के बाद एक उनकी 33 फिल्में फ्लॉप हुईं थी।