21 नवंबर को विश्व टेलिविजन दिवस मनाया जाता है। संचार और वैश्वीकरण में टेलिविजन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हर वर्ष टेलिविज़न के महत्वों को रेखांकित करने के लिए विश्व टेलिविजन दिवस मनाया जाता है। भारत में 1990 तक सिर्फ एक ही चैनल हुआ करता था, दूरदर्शन। लेकिन आज चैनलों की भरमार है। आखिर इतने चैनल हमारे जीवन का हिस्सा कैसे बने, इसके विकास की कहानी बहुत लंबी है। आइए इस पर एक नजर डालते हैं
दुनिया में टीवी चैनल पहले आ गए थे, भारत में थोड़ा समय लगा। शुरू में यह पता ही नहीं था कि टीवी आखिर यहां चलेगा या नहीं? इसी असमंजस में थोड़ा समय लग गया। लेकिन भारत में इसके आगमन ने बहुत कुछ बदल दिया। यह हर किसी के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया। जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है जिससे ना सिर्फ़ मनोरंजन होता है बल्कि शिक्षा और खबर की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण हो गया है ।
भारत में टेलीविजन का पहला प्रसारण
भारत में टेलीविजन का पहला प्रसारण दिल्ली में 15 सितंबर 1959 में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था। इसके तहत हफ्ते में सिर्फ तीन दिन कार्यक्रम आते थे। वह भी सिर्फ 30-30 मिनट के लिए। तब कौन जानता था कि एक समय ऐसा आयेगा कि चैनलों की भरमार होगी। हर मिनट आपकी टीवी स्क्रीन पर कुछ नया प्रसारित हो रहा होगा। अब तो यह लोगों की आदत का हिस्सा बन गया है ।
करीब 6 साल बाद 1965 में इसका रोजाना प्रसारण शुरू किया गया। तब रोजाना समाचार बुलेटिन प्रसारित होने लगे ।
आपको बता दें की शुरू में इसका नाम टेलिविजन इंडिया हुआ करता था ।1975 में इसका नाम टेलिविजन इंडिया से बदलकर दूरदर्शन रखा गया। यह भी जानने योग्य है की शुरू में इस चैनल को सिर्फ 7 शहरों में ही दिखाया जाता था।
भारत में टेलीविज़न के शुरुआत को बड़े ही आश्चर्य से देखा जाता था। सबकुछ जादुई लगता।
1966 में जब टीवी पर पहली बार कृषि दर्शन कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो लोगों को बहुत पसंद आया। चूँकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए इस कार्यक्रम को बहुत सराहना मिली। यह टीवी पर सबसे लंबे समय तक चलने वाला कार्यक्रम साबित हुआ।
पहला रंगीन प्रसारण
1980 के दशक में बहुत कुछ बदल गया, इसका प्रसारण देश के सभी शहरों में किया जाने लगा। 15 अगस्त 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भाषण के समय पहली बार इसका रंगीन प्रसारण शुरू किया गया।
रंगीन प्रसारण के आते ही लोगों के बीच एक गज़ब का उत्साह देखा गया। तब भी टीवी कुछ गिने चुने घरों में ही होते थे। 1982 में भारत में एशियाई खेलों के साथ रंगीन प्रसारण की शुरुआत हुई। टीवी के लिए लोगों की दीवानगी बढ़ती गयी।
टीवी पिल वस एक ऐसा दौर भी देखा जब कार्यक्रम देखने के लिए लोग अपना जरूरी काम भी छोड़ देते थे। खासकर रविवार के दिन तो सडकों पर सन्नाटा पसरा होता था मानो कर्फ्यू लगा हो। पूरा मोहल्ला साथ बैठ कर टीवी देखता था, जैसे कोई उत्सव चल रहा हो।
टीवी को अपना सबसे बड़ा दीवान बनाया रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिकों ने।
दूरदर्शन के कुछ कार्यक्रम जैसे – हम लोग, बुनियाद, चित्रहार, शक्तिमान, जूनियर जी, ही-मैन, व्योमकेश बख्शी, अलिफ लैला, चंद्रकांता जैसे सीरियल्स ने लंबे समय तक लोगों के दिलों पर राज किया।
26 जनवरी 1993 को दूरदर्शन अपना दूसरा चैनल लेकर आया। इसका नाम था मेट्रो चैनल। इसके बाद पहला चैनल डीडी 1 और दूसरा चैनल डीडी 2 के नाम से जाना जाता था।
निजी और विदेशी प्रसारक
केंद्र सरकार के आर्थिक और सामाजिक सुधारों के बाद, 1991 के बाद निजी और विदेशी प्रसारकों को संलग्न करने की अनुमति दी गई। 16 दिसबंर 2004 को डायरेक्ट टू होम सर्विस शुरू हुई। घरेलू चैनल जैसे ZEE TV, Sun TV, और Star TV और CNN जैसे विदेशी चैनल मनोरंजन की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करने लगे। पहला प्राइवेट चैनल 2 अक्टूबर 1992 को जी टीवी आया था। जी टीवी नए कार्यक्रमों के साथ दर्शकों के सामने आया। और इसी के साथ दूरदर्शन की लोकप्रियता में कमी शुरू होने लगी।
थोड़े ही समय में प्राइवेट चैनलों ने छोटे परदे पर अपना झंडा गाड़ दिया। आज की तारीख में देश में 1000 से ज्यादा प्राइवेट चैनल प्रसारित हो रहे हैं।
क्यों मनाया जाता है विश्व टेलीविजन दिवस
विश्व टेलीविजन दिवस प्रत्येक वर्ष 21 नवंबर को दृश्य मीडिया के बढ़ते प्रभाव को पहचानने के लिए मनाया जाता है और यह दुनिया भर में जनता की राय और निर्णय लेने में मदद करता है। वह दिन मनाता है जिस दिन पहला संयुक्त राष्ट्र विश्व टेलीविजन मंच 1996 में आयोजित किया गया था। 21 और 22 नवंबर, 1996 को यूएन ने पहली बार विश्व टेलिविजन मंच का आयोजन किया। इससे मीडिया को टीवी के महत्व पर चर्चा करने का एक प्लैटफॉर्म मिला। 17 दिसंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया और 21 नवंबर को विश्व टेलिविजन दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। निर्णय लेने की प्रक्रिया पर टेलिविजन के असर को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।