स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
विश्वभर में 10 अप्रैल को हर साल World Homeopathy Day के रुप में मनाया जाता है। आईए इस आर्टिकल के जरिए आपको इस दिन के महत्व और इसे मनाने के उद्देश्य के बारे में बताते हैं।
ऐलोपैथी और आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धियों की तरह ही एक और चिकित्सा पद्धति है होम्योपैथी, एक ऐसी चिकित्सा पद्धति जिसके साइड इफेक्ट्स नहीं, साथ ही इस पद्धति से बीमारियों का इलाज भी सस्ता है। होम्योपैथी एक ऐसी सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है, जिसके जरिए कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार संभव है और रोगी को इसकी दवाओं की आदत भी नहीं पड़ती। इलाज की ये पद्धति गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिये सुरक्षित है। होप्योपैथिक चिकित्सकों की मानें तो रोग के लक्षण और औषधि लक्षण में जितनी ही ज्यादा समानता होती है, रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी अधिक बढ़ जाती है। आपको बता दें कि होम्योपैथी को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना जाता है। इसकी दवाओं का असर भले ही धीमी रफ्तार से होता है, लेकिन इलाज की ये पद्धति, रोग को जड़ से खत्म और रोगी को पूरी तरह स्वस्थ करती है।
कोई साइड इफेक्ट्स नहीं
इस पद्धति के विषय में एक खास बात ये कि होम्योपैथी दवाओं के साइडइफेक्ट नहीं के बराबर होते हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की रोकथाम करने और मैमोरी पॉवर बढ़ाने में अन्य चिकित्सा पद्धतियों की दवाओं के मुकाबले होम्योपैथी की दवाएं ज्यादा कारगर होती हैं। होम्योपैथी की सभी दवाएं दिखने में एक जैसी ही लगती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्वभर में चार हजार से ज्यादा तरह की होम्योपैथी की दवाएं उपलब्ध हैं। आज विश्वभर के करीब 100 देशों में रोगियों का इलाज होम्योपैथी से किया जाता है। ये एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसके माध्यम से गंभीर से गंभीर बीमारी को भी जड़मूल से मिटाया जा सकता है, लेकिन बहुत कम लोग इस चिकित्सा पद्धति से पूरी तरह वाकिफ हैं, इसीलिए चिकित्सा की इस पद्धति के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 10 अप्रैल के दिन को World homeopathy day के रूप में मनाया जाता है।
होम्योपैथी प्रणाली के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन
अब सवाल ये कि World homeopathy day के लिए 10 अप्रैल की तारीख ही क्यों चुनी गई। तो आपको बता दें कि 10 अप्रैल को होम्योपैथी प्रणाली के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन का जन्मदिन होता है, और उन्हीं को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को पेरिस में हुआ था, जिनका 2 जुलाई 1843 को निधन हो गया। वे एक जर्मन चिकित्सक, एक महान विद्वान, एक भाषाविद् और एक प्रशंसित वैज्ञानिक थे। वे होम्योपैथी के जनक, मानव फार्मास्युटिकल के जनक, नैनो-मेडिसिन के जनक और रसायन विज्ञान में अनंत प्रदूषण की अवधारणा के पिता के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्होंने ही होम्योपैथी शब्द का आविष्कार किया, और इस पद्धति के माध्यम से रोगियों के इलाज की विधि को खोजा।
इस वर्ष हम World homeopathy day के रूप में डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन की 266वीं जयंती मना रहे हैं। इस दिन को केवल डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन की जयंती के रूप में ही नहीं मनाया जाता बल्कि इस दिन को इस उद्देश्य से भी मनाया जाता है कि बल्कि होम्योपैथी के विस्तार के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है चिकित्सा की इस किफायती पद्धति तक लोगों की पहुंच को आसान बनाना, होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली को विश्व में स्थापित कर, सुदृढ़ और आधुनिकीकरण से जोड़ना, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे फायदा ले सकें। इन तमाम उद्देश्यों के साथ विश्वभर में इस दिन को हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है, इस दिन तमाम कार्यक्रमों का आयोजन कर इस पद्धति के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है, जागरुकता कार्यक्रम किए जाते हैं, ये दिन हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है। भारत में World Homeopathy Day आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मनाया जाता है। 10 अप्रैल के बाद का सप्ताह, यानी 10 से 16 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
‘होम्योपैथी-एकीकृत चिकित्सा के लिए रोडमैप’
इस साल भी आयुष मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, विश्व होम्योपैथी दिवस के मौके पर 10 और 11 अप्रैल को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘होम्योपैथी-एकीकृत चिकित्सा के लिए रोडमैप’ विषय पर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। यहां एक पैनल डिस्कशन भी रखा जाएगा, जिसमें होम्योपैथी के एक्सपर्ट और नीति निर्माता हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में कोविड19 अध्ययन के शोधकर्ता और प्रमुख शिक्षाविद कोविड-19 के ईलाज और रोकथाम में होम्योपैथी की भूमिका पर अपने विचार साझा करेंगे और इस पद्धति की विशेषताओं के बारे में बताएंगे। कुल मिलाकर, चिकित्सा की ये पद्धति भी अन्य चिकित्सा प्रणालियों की तरह खास है, साथ ही सस्ती व कारगर भी, लेकिन लोग इस पद्धति और इसकी इलाज प्रणाली के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोग जागरुक बनें, इसलिए 10 अप्रैल को World homeopathy day मनाया जाता है।