अगर भाजपा बंगाल फतेह करती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। लेकिन कुछ हद तक इन अटकलों पर विराम देते हुअ राज्य में भाजपा के अध्यक्ष और मेदिनीपुर से सांसद दिलीप घोष ने यह साफ संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री कौन होगा। घोष ने कहा है कि बंगाल में अगर भाजपा विजयी होती है तो मुख्यमंत्री वो बनेगा जो चुनाव नहीं लड़ रहा है। घोष के इस बयान के बाद तस्वीर कुछ हद तक साफ हुई है कि पार्टी उन्हें ही सत्ता सौपनें को लेकर विचार कर रही है। घोष ने कहा, ‘यह फैसला पार्टी करेगी लेकिन जरूरी नहीं कि किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए, जब ममता जी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं।’
भाजपा की जीत को लेकर आश्वस्त दिखे दिलीप घोष ने कहा, ‘‘पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है वहीं तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता हताश दिख रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा तृणमूल टीएमसी के कार्यकर्ताओं को अपनी हार का एहसास होता जाएगा और भाजपा और भी मजबूत बनकर निकलेगी।’’
बता दें कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरों को लेकर अबतक केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रीयो सहित लोकसभा के तीन सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता भी शामिल हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दिया है।। दिलीप घोष से यह पूछे जाने पर कि बीजेपी के चुनाव जीतने की स्थिति में क्या नवनिर्वाचित विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री होगा, उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में कोई भी फैसला पार्टी ही करेगी लेकिन यह जरूरी नहीं कि नवनिर्वाचत विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बने। जब ममताजी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं।’’ बता दें कि भापका की ओर से घोष एक ऐसा जाना-पहचाना चेहरा हैं जो कि दोनों ही कैटेगरी में फिट बैठते हैं। वो मेदिनीपुर से लोकसभा सांसद भी हैं और जो बंगाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
दरअसल साल 2011 में जब ममता बनर्जी ने वामदलों के 32 साल की पकड़ को हराया था तब वह लोकसभा सांसद थीं। बाद में वह भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ीं। उस सीट पर उपचुनाव होना था।
बता दें कि पिछले दिनों दिलीप घोष अपने उस बयान को लेकर विवादों में उलझ गये थे जिसमें उन्होंने कहा था मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पैर में लगी चोट दिखाने के लिए साड़ी की जगह बरमूडा (हाफ पैंट) पहनना चाहिए। तब घोष के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई। घोष ने अपने इस बयान के बारे में कहा, ‘‘वह राज्य की मुख्यमंत्री हैं और राज्य की जनता बंगाल की परंपरा और बंगाल की महिला के मूल्यों के अनुरूप ही उनसे शालीनता की उम्मीद करती है। मुझे उनकी भाव-भंगिमा आपत्तिजनक लगी और राज्य की जनता को भी।’’
राज्य विधानसभा की 294 सीटों के लिए आठ चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान गत 27 मार्च को संपन्न हो चुका है।