तमिलनाडु के कन्नूर में बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर हादसे (Helicopter Crash) में एकमात्र बचे जवान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) का इलाज बेंगलुरु के मिलिट्री अस्पताल में चल रहा है। देश के हर शख्स की यह कामना है कि कैप्टन वरुण सिंह मौत को मात दे कर घर लौंटे। एक ओऱ जहां देश की आंखें सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत पर नम हैं वहीं इस बीच कैप्टन वरुण सिंह का एक पत्र चर्चा में है।
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Gp Capt Varun Singh) को इसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह सम्मान 2020 में एक हवाई आपातकाल के दौरान अपने एलसीए तेजस लड़ाकू विमान को बचाने के लिए दिया गया था।
वरुण सिंह ने हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की थी। 18 सितंबर को वरुण सिंह ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक खत लिखा था। खत छात्रों के नाम एक संदेश था। जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी छात्र का औसत दर्जे का होना ठीक है, लेकिन यह किसी भी तरह से उसके सामर्थ और उसके जीवन में आने वाली चीजों का पैमाना नहीं हो सकता।
छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए कैप्टन सिंह ने कहा, ‘औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है उसकी सराहना होनी चाहिए।’
पत्र में कहा गया, ‘लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए बने हैं। आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।’
उन्होंने कहा कि औसत होने में बुराई नहीं है। आप जो भी काम करें उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें और उम्मीद न हारें। औसत दर्जे का होने में कोई बुराई नहीं है। परीक्षा में सभी 90% नंबर नहीं ला सकते। अगर आप औसत दर्जे के हैं तो यह नहीं समझे कि जीवन भर औसत ही रहेंगे।
देश सेवा में जुटे कैप्टन वरुण सिंह ने अपना उदाहरण देते हुए छात्रों से कहा था कि मैं औसत छात्र था। बहुत मुश्किल से 12वीं में फस्ट क्लास डिवीजन से पास हुआ। मुझे उड़ना पसंद था। आप अपने मन की सुनिए। कला, संगीत, साहित्य, ग्राफिक डिजाइन या कुछ और जो भी अपको पसंद हो करिए और उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए।