पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा आज ने शनिवार को कोलकाता पहुंचकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया। टीएमसी का झंडा हाथ में लेकर लहराते हुए सिन्हा ने ममता बनर्जी की पार्टी का हाथ थाम लिया।
1990 में चंद्रशेखर की सरकार में और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अलग हो गए थे। लंबे समय से बीजेपी से नाराज चल रहे सिन्हा मौके-बेमौके मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं। 2014 से 2019 के दौरान उनके बेटे जयंत सिन्हा वित्त राज्यमंत्री थे, लेकिन तब सिन्हा पार्टी नेतृत्व की आलोचना करने से पीछे नहीं हटे थे।
83 वर्षीय यशवंत सिन्हा के टीएमसी में जुड़ने से पार्टी का मनोबल बढ़ा है। सिन्हा ने भाजपा के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने का प्रण लिया।
टीएमसी में शामिल होने के बाद यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश आज अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहा है। लोकतंत्र अपनी मजबूती खो रहा है। न्यायपालिका सहित कई संस्थान अब कमजोर हो गए हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर से चुलना करते हुए सिन्हा ने कहा कि अटलजी के समय में बीजेपी आम सहमति में भरोसा करती थी, लेकिन मौजूदा सरकार कुचलने और जीतने में भरोसा करती है।हमारे देश के लिए ये सबसे बड़ा खतरा पैदा हो गया है। अकाली से लेकर बीजेडी और शिवसेना जैसे पुराने साथियों ने खुद को भाजपा से अलग कर लिया है। आज बीजेपी के साथ कौन है?
सिन्हा ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी। बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा।’
कौन हैं यशवंत सिन्हा?
मूल रूप से पटना से ताल्लुक रखने वाले यशवंत सिन्हा भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे कर सक्रिय राजनीति में आये थे। उन्होंने भाजपा के साथ एक लंबी पारी खेली।
1958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर की डिग्री लेने वाले यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल से जुड़ गये। 24 साल तक उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पद संभाले और फिर 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे कर सक्रिय राजनीति में आ गये। 1988 में वो राज्य सभा सदस्य बने। अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री का पद संभाला। बिहार के हजारीबाग (अब झारंखड) से वो लोकसभा चुनाव जीते। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हजारीबाग सीट से जनता ने नकार दिया। लेकिन 2005 में वे फिर संसद पहुंचे। साल 2009 में उन्होंने बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके सिन्हा ने पार्टी के नेतृत्व से मतभेदों के चलते वर्ष 2018 में भाजपा को अलविदा कह दिया। पीएम मोदी की आलोचना में आगे रहने वाले यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग से बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं।