स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री वहीदा रहमान आज पूरे 83 बरस की हो गई हैं। आईये उनके जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताते हैं।
डॉक्टर बनना चाहती थीं वहीदा
3 फरवरी 1938 को तमिलनाडु के चेंलगपट्टू में पैदा हुई वहीदा रहमान की खूबसूरती और अभिनय की दुनिया कायल है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि अभिनय की दुनिया में एक अमिट पहचान बनाने वाली वहीदा रहमान ने कभी डॉक्टर बनने का सपना देखा था और बन गई एक बेहतरीन अदाकारा। अपने नाम को सार्थक करती वहीदा ने सदा फिल्मों में वहीदा यानि लाजवाब एक्टिंग से लोगों का हमेशा दिल जीता है। तभी तो बॉलीवुड के बिग बी उनके टॉप फैन हैं।
भरतनाट्यम में निपुण
डॉक्टर बनने के साथ-साथ उन्हें बचपन से डांस और म्यूजिक में इंटरस्ट था, और माता-पिता की देखरेख में ही वहीदा भरतनाट्यम में निपुण हो गई। वहीदा को स्टेज पर्फॉर्मेंस के लिए कई ऑपर्स भी मिले लेकिन वहीदा छोटी थीं इसलिए उनके माता-पिता ने ये ऑफर नहीं स्वीकारे, लेकिन वक्त को शायद कुछ और ही मंजूर था, पिता के देहांत के बाद उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और वहीदा ने एंटरटेनमेंट की दुनिया का रुख किया और उनके इस हुनर ने सिनेमा की दुनिया में उन्हें और बुलंदी दिलाई। साल 1955 में वहीदा ने दो तेलुगू फिल्में कीं, इसके बाद निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त ने स्क्रीन टेस्ट लिया। क्योंकि वहीदा को गुरुदत्त हिन्दी फिल्मों में लाए थे इसलिए वे गुरुदत्त को अपना गुरु मानती हैं। वहीदा ने बॉलीवुड में अपने अपने करियर की शुरुआत गुरुदत्त के साथ 3 साल का कॉन्ट्रेक्ट साइन करके की। इस कॉन्ट्रेक्ट की शर्त थी कि वे कपड़े अपनी मर्जी से नहीं पहनेंगी लेकिन अगर उन्हें कोई ड्रेस पसंद नहीं आई तो उन्हें उसके लिए मजबूर भी नहीं किया जाएगा।
पहली फिल्म में खलनायिका का किरदार निभाया
बॉलीवुड में वहीदा ने 1956 में पहली फिल्म की सीआईडी, जिसमें उन्होंने खलनायिका का किरदार निभाया। इस फिल्म की सफलता के बाद वहीदा ने 1957 में फिल्म प्यासा में बतौर एक्ट्रेस काम किया। वहीदा अपने फिल्मी सफर के दौरान गुरुदत्त संग अपनी लव लाइफ के चलते काफी चर्चाओं में रहीं। बताया जाता है कि 1959 में आई गुरुदत्त और वहीदा रहमान की फिल्म कागज के फूल, इन दोनों की अपनी असफल प्रेम कहानी पर आधारित थी। इसके बाद दोनों ने 1960 में आई फिल्म चौदहवीं का चांद और 1962 में आई साहब बीवी और गुलाम में साथ काम किया। 10 अक्टूबर 1964 को गुरुदत्त ने आत्महत्या कर ली थी और इसके बाद वहीदा कुछ अकेली जरूर हो गईं लेकिन उन्होंने अपने करियर से मुंह नहीं मोड़ा।
इसके बाद1966 में आई फिल्म तीसरी कसम में वहीदा ने राजकपूर के साथ काम किया। इस फिल्म में उन्होंने हीराबाई का किरदार निभाया था, ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले सफल न मानी गई हो लेकिन फिल्म में उनके अभिनय को इतना पसंद किया गया कि ये फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई। हिन्दी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाने वाली फिल्म तीसरी कसम हिन्दी सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। वहीदा और देव आनंद की जोड़ी को दर्शकों ने फिल्मों में खासा पसंद किया। सीआईडी’, ‘काला बाजार’, ‘गाइड’ और ‘प्रेम पुजारी’ जैसी सफल फिल्मों में दोनो ने साथ काम किया। साल 1965 में देवानंद साहब के साथ फिल्म गाइड में उनकी जोड़ी सुपरहिट साबिक हुई। इस फिल्म के लिए वहीदा को बेस्ट एक्ट्रेस, फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।
फिल्म नीलकमल के लिए भी उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड
गाइड से पहले आई फिल्म नीलकमल के लिए भी उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस फिल्म में उन्होंने अपनी एक्टिंग से दर्शकों का खूब प्यार बटोरा। इस फिल्म में वहीदा ने राजकुमार और मनोज कुमार के साथ काम किया औऱ यही फिल्म उनके फिल्मी करियर को बुलंदियों पर पहुंचाने वाली फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के बाद ही एक्टर कंवलजीत ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया और दोनों ने शादी कर ली। साल 2002 में उनके पति की अचानक मौत हो गई। 60, और 70 के दशक में बिग स्क्रीन पर खूब पसंद की गई वहीदा ने फिल्मों के नए दौर में भी कई फिल्में की। फिल्म रंग दे बसंती’ के बाद ‘पार्क एवेन्यू’, ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’, ‘ओम जय जगदीश’ जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरा।
पद्मश्री, पद्मभूषण से सम्मानित
हिन्दी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलुगू, मलयालम और बंगाली फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेर चुकी वहीदा को फिल्मफेयर व नेशनल अवॉर्ड के अलावा उनके शानदार अभिनय के लिए 1972 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। साल 2013 में उन्हें भारतीय शताब्दी पुरस्कार, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। सिमेमा जगत की सदाबहार अभिनेत्री वहीदा रहमान को उनके 83वें जन्मदिन पर नेशनल खबर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देता है।