एआई के जरिए विधायकों की मॉनीटरिंग
नए वित्तीय सत्र से शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य विधायकों और मंत्रियों की सदन में अधिकतम उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। अक्सर देखा गया है कि जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र से जुड़े सवालों पर चर्चा के बाद सदन से चले जाते हैं। ऐसे में सदन की कार्यवाही और बहस में उनकी भागीदारी सीमित हो जाती है। एआई टूल इन समस्याओं का समाधान करने में अहम भूमिका निभाएगा।
यह सिस्टम प्रत्येक सदस्य के सदन में बैठने की अवधि, बार-बार आने-जाने, सवाल पूछने और बहस में सक्रियता जैसे पहलुओं का रिकॉर्ड रखेगा। इससे यह साफ हो सकेगा कि कौन-सा विधायक अपने दायित्वों को कितनी गंभीरता से निभा रहा है।
डिजिटलाइजेशन का नया अध्याय: 137 साल का रिकॉर्ड सेकंडों में
यूपी विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा होगी जो एआई के जरिए 1887 से अब तक की सभी विधायी कार्यवाहियों को डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराएगी। एआई की मदद से किसी भी नेता के भाषण, विषय या मुद्दे को सेकंडों में ढूंढा जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई जानना चाहता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शिक्षा पर क्या कहा था, तो केवल ‘शिक्षा’ कीवर्ड टाइप करने भर से संबंधित रिकॉर्ड सामने आ जाएगा।
यह नवाचार शोधकर्ताओं, पत्रकारों और आम जनता के लिए एक अभूतपूर्व संसाधन होगा। इससे पारदर्शिता और सूचना की सहज उपलब्धता में भी इजाफा होगा।
योगी मॉडल: एक प्रेरणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सदन में लंबी उपस्थिति अन्य विधायकों और मंत्रियों के लिए एक आदर्श है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का कहना है कि जब मुख्यमंत्री सदन में घंटों बैठ सकते हैं, तो अन्य सदस्य और मंत्री साल में 20 दिन भी क्यों नहीं दे सकते? एआई प्रणाली प्रत्येक सदस्य की सदन में मौजूदगी और योगदान का हिसाब रखेगी।
विधायिका के लिए एक नई सोच
एआई के इस समावेश का उद्देश्य सिर्फ मॉनीटरिंग तक सीमित नहीं है। यह विधायकों और मंत्रियों को उनके कार्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार और सक्रिय बनाने का एक प्रयास है। यह पहल न केवल विधायिका की छवि को निखारेगी, बल्कि इसे भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार सशक्त भी करेगी।
यूपी विधानसभा की यह ऐतिहासिक पहल देशभर के अन्य विधानभवनों के लिए भी एक प्रेरणा साबित हो सकती है। डिजिटल और पारदर्शी विधायिका की यह सोच भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा देने की क्षमता रखती है।